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Showing posts with the label Acharya JP SinghAstrologer

One should not eat or drink while sitting on the bed.

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अक्सर हम सभी घरों में लोग एक कॉमन सी गलतियां करते हैं जैसे देर तक सोना, सुबह देर से जगना, बेड पर ही चाय-कॉफी पी लेना, बाथरूम गंदा छोड़ देना या फिर आराम से बिस्तर में बैठकर भोजन करना। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये गंदी आदतें हमारे जीवन पर बुरा असर डालती हैं।  वास्तु शास्त्र के अनुसार बिस्तर पर बैठकर खाना या पीना नहीं चाहिए। क्योंकि इससे मां लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं और वह घर छोड़कर चली जाती हैं, जिसके कारण घर पर दरिद्रता का वास हो जाता है। इससे आपके घर में अशांति फैलती और घरवालों के ऊपर कर्ज चढ़ता है। इसके साथ ही आपको भी धनहानि का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं यह आदतें आपको कई बीमारियों का शिकार बना सकती हैं। वास्तु के अनुसार हमेशा जमीन में बैठकर पलथी मार कर आराम से खाना खाएं। अगर आप नीचे नहीं बैठ सकते हैं तो डाइनिंग टेबल पर बैठ कर खाएं। इस बात का भी ध्यान रखें कि खाने की थाली बैठने के स्थान से ऊपर  हो। ऐसा करने से आपके घर में कभी भी धन की कमी नहीं होगी। दरअसल, शास्त्रों के अनुसार बिस्तर पर बैठकर खाना खाने से माता लक्ष्‍मी रूठ जाती हैं और घर में धन ...

Yoga for success in singing and music

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कला जगत में नाम, शोहरत एवं पैसा है, इस कारण से लोगों कला जगत में अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश करते हैं. परंतु, सच यह है कि किसे किस क्षेत्र में सफलता मिलेगी वह ईश्वर पहले से तय करके धरती पर भेजता है. कला जगत में भी कई काम हैं जैसे अभिनय, गायन, नृत्य, लेखन आदि. कौन व्यक्ति अभिनेता बन सकता है कौन गीतकार तथा कौन गायक यह उस व्यक्ति की कुण्डली से ज्ञात किया जा सकता है. जिस व्यक्ति की कुण्डली में जो योग मजबूत होगा कला के उस क्षेत्र में व्यक्ति के सफल होने की उतनी ही अधिक संभावना रहेगी. गायन एवं संगीत में सफलता दिलाने वाले योग  वृष लग्न अथवा तुला लग्न की कुण्डली शुक्र एवं बुध की युति दशम अथवा पंचम में भाव में हो तो व्यक्ति अभिनय की दुनियां में ख्याति प्राप्त कर सकता है. पंचम भाव जिसे मनोरंजन भाव कहते हैं उस पर लग्नेश की दृष्टि हो साथ ही शुक्र या गुरू भी उसे देखते हों तो व्यक्ति अभिनय की दुनियां में अपना कैरियर बना सकता है. शुक्र, बुध एवं लग्नेश जिस व्यक्ति की कुण्डली में केन्द्र भाव में बैठे हों उन्हें कला जगत में कामयाबी मिलने की अच्छी संभावना रहती है. तृतीय भाव का स्वामी शुक्...

Which planets are responsible for discord in the house

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घर में कलह क्लेश के लिए होते हैं कौन से ग्रह जिम्मेदार कई बार आपसी तालमेल अच्छा होने के बावजूद कई घरों में कलह-क्लेश का महौल बना रहता है. क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है? ऐसी स्थिति कुंडली में बैठे कौन से ग्रह जिम्मेदार होते है l ज्योतिष मे गृह कलह के योग यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा पाप ग्रह से युक्त हो तो योग आपको घर-परिवार में कलह का कारण बनता है। ये योग आपके मन को आपके वश में नहीं रहने देते हैं। साथ ही आपके निर्णय लेने की क्षमता को कम कर देते हैं।  1. यदि चंद्रमा पाप ग्रह के साथ राहु से युक्त होता है और पांचवें या फिर आठवें स्थान में हो तो कलह योग बनता है। ऐसे जातक को पूरा जीवन किसी न किसी बात को लेकर घर में कलह होता है।  2. चंद्रमा में जब शनि, मंगल और राहु एक साथ आ जाता है तब भी कलह का योग बनता है। 3. जब कुंडली में चंद्रमा के साथ शनि-मंगल बैठ गया तो जातक पंडित होते हैं। अगर कुंडली में चंद्रमा के साथ शनि और राहु बैठ जाए तो जातक के मन में वैराग्य आ जाता है। साथ ही ऐसे लोग दुखी मन के होते हैं। ऐसे जातक में निर्णय लेने की क्षमता बहुत कम रहती है। इस कारण ये घर-प...

Obstacles in marriage due to inauspicious planets

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वैदिक ज्योतिष में विवाह के लिए जन्म कुंडली में सातवां भाव मुख्य माना गया है और इस भाव पर ग्रहों के प्रभाव स्वरूप अनेक स्थितियां उत्पन्न होती हैं जिनके चलते शादी में देरी या बार-बार बनते रिश्तों का टूटना सहना पड़ता है। अशुभ ग्रहों के कारण विवाह में बाधा जब कुंडली में सप्तम भाव की दशा या फिर अन्तर्दशा, सातवें भाव में स्थित ग्रहों की दशा या अन्तर्दशा या सातवें भाव को देखने वाले ग्रहों की दशा तथा अन्तर्दशा हो, या फिर छठे भाव से सम्बंधित दशा या अन्तर्दशा चल रही हो तो विवाह में निश्चित रूप से विलम्ब होता है या फिर रुकावटें उत्पन्न होती है। ये भी हो बनते हैं कारण - छठा तथा दसवां घर विवाह में रूकावटे उत्पन्न करता है। - सुखी वैवाहिक जीवन के लिए 12 वां तथा 11 वां भाव शुभ होना जरुरी होता है अन्यथा शादी में रूकावटे आती हैं। शुक्र, बुध, गुरु और चन्द्र ये शुभ ग्रह हैं, इनमे से कोई एक भी यदि सातवें घर में बैठा हो तो शादी में आने वाली रुकावटें समाप्त हो जाती हैं। - यदि शुक्र, गुरु या चन्द्र आपकी कुंडली के सातवें घर में हैं तो 24-25 की उम्र में शादी होने की सम्भावना रहती है, अन्यथा शादी में...

lamp

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ईश्वर को प्रकाश पुंज कहा जाता हैं, इसीलिए हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य, पूजा के समय, मंदिर में या फिर घर आंगन में हर कोई देवी देवताओं के सम्मुख उनके तत्व के आधार पर दीपक जलाते ही हैं । अगर भी अपने ईष्ट को प्रसन्न करना चाहते है तो जाने कौन सा और कितनी बत्ती वाला दीपक जलाने से ईश्वर प्रसन्न होकर कपा बरसाते हैं । इन देवताओं को इतनी बत्ती वाला दीपक जलाएं 1- माँ भगवती को प्रसन्न करने के लिए तिल के तेल का दीपक में मौली की बाती लगाकर जलाना उत्तम माना गया है । 2- ईष्ट देवताओं को प्रसन्न करने के लिए देसी गाय के घी का दीपक जलाना चाहिए । 3- जब किसी शत्रु का शमन करने के लिए साधना करे तो उस समय सरसों एवं चमेली के तेल का दीपक जलाने से कार्य पूर्ण हो जाते है । 4- सूर्य नारायण भगवान की पूजा में 7 बत्तियों वाले दीपक को जलाने का विशेष महत्व है । 5- माता भगवती दुर्गा की पूजा में को 9 बत्तियों वाला दीपक सर्वोत्तम माना गया है । 6- हनुमानजी एवं शंकरजी कि प्रसन्नता के लिए इनकी पूजा में पांच बत्तियों वाला दीपक जलाने का विधान है । इससे इन देवताओं की कृपा शीघ्र प्राप्त हो जाती है । 7- दीपक जलात...

It is forbidden in the scriptures to burn bamboo, it is also harmful for health.

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शास्त्रों में वर्जित है बांस को जलाना, सेहत के लिए भी नुकसानदायक है हिंदू धर्म के अनुसार बांस जलाने से पितृ दोष लगता है। वहीं जन्म के समय जो नाल माता और शिशु को जोड़ कर रखती है उसे भी बांस के वृक्षों के बीच में गाड़ते हैं ताकि बांस की तरह वंश भी सदैव बढ़ता रहे। हम अक्सर शुभ (हवन या पूजन) और अशुभ (दाह संस्कार) कार्य या अनुष्ठान के लिए विभिन्न प्रकार के लकड़ियों का हवन करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी किसी काम के दौरान बांस की लकड़ी को जलाते हुए देखा है। नहीं ना। भारतीय संस्कृति, परंपरा और धार्मिक महत्व के अनुसार, हमारे शास्त्रों में बांस की लकड़ी को जलाना वर्जित माना गया है। यहां तक कि हम अर्थी के लिए बांस की लकड़ी का उपयोग तो करते हैं, लेकिन उसे चिता में नहीं जलाते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार बांस जलाने से पितृ दोष लगता है। वहीं जन्म के समय जो नाल माता और शिशु को जोड़ कर रखती है, उसे भी बांस के वृक्षों के बीच में गाड़ते हैं, ताकि बांस की तरह वंश भी सदैव बढ़ता रहे। बांस को वंश की संज्ञा से जोड़ा गया है।  जैन धर्म में तो बांस की काढ़ी या काठी से बनी अगरबत्ती जलाना सर्वथा वर्जि...

Gold is a lucky metal for you or not ?

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ज्योतिष शास्त्र में स्वर्ण यानि सोना को अत्यंत शुभ धातु माना गया है. इस धारण करने से भाग्य में वृद्धि होती है. इसे किस दिन पहनाना चाहिए इसे जानना बहुत ही आवश्यक है, साथ ही किन को नहीं धारण करना चाहिए और कैसे धारण करना चाहिए इन सभी नियमों को भी जान लेना आवश्यक है, सोना एक लकी धातु है.  इसका संबंध सुख-समृद्धि से जुड़ा हुआ है. इसीलिए एक कीमती धातु के तौर पर देखा जाता है. वैज्ञानिक भी मानते हैं सोने में एक कई तत्व होते हैं जो स्वास्थ्य को बेहतर रखने में अहम भूमिका निभाते हैं. सोने की चमक सभी का आकर्षित करती है. सोने की खुबियों के बारे में शास्त्रों में वर्णन मिलता है. सोना पहनने से किस्मत भी चमकती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सोना धारण करने से ग्रहों की अशुभता को भी दूर किया जा सकता है. सोना पहनने से व्यक्ति की एकाग्रता में वृद्धि होती है. मान्यता है कि सोना रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है. जानकार मानते हैं कि सोना धारण करने से पहले इस बात का ध्यान रखना चाहिए सोना सदैव शरीर से स्पर्श करता रहे. यदि ऐसा है तो इसके गुणों में बढ़ोत्तरी होती है, जो स्वास्थ्य के लिए उत्तम म...

Why the person is very fond of making money from speculative lottery and stock market.

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जन्म कुंडली में आकस्मिक धन का योग ना होने और धन भाव में क्रूर ग्रहों के कारण जातक सट्टा मटका बाजार  में भारी नुक्सान उठाता है और बर्बाद होता है। हस्तरेखा के अनुसार- जिनके दाहिने हाथ पर चंद्र के उभरे हुए भाग पर तारे का चिह्न है और जिनकी अंतःकरण रेखा शनि के ग्रह पर ठहरती है, ऐसे व्यक्तियों को आकस्मिक लाभ मिलता है। जिनके दाहिने हाथ की बुध से निकलने वाली रेखा चंद्र के पर्वत से जा मिलती है और जिनकी जीवन रेखा भी चंद्र पर्वत पर जाकर रुक जाती है, ऐसे व्यक्तियों को अचानक भारी लाभ होता है। ज्‍योतिष  में सट्टे को प्रमुख रूप से पंचम भाव से देखा जाता है। अगर पंचम भाव बहुत अच्‍छा है तो जातक कभी सट्टा  नहीं खेलेगा, लेकिन अगर पंचम भाव खराब है तो सट्टे की प्रवृत्ति पाई जाती है। पंचम भाव और राहू  की करामात बनाती है  धन स्थान में 5 या इससे अधिक ग्रह हों तो बड़ा धन-लाभ होता है। इसके विपरीत व्यय स्थान में बारहवें केतु हो, जन्मकुंडली में कालसर्प योग हो। चंद्र, बुध और शनि नीच स्थान में हों तो रेस, सट्टा, लॉटरी से कोई लाभ नहीं होता। व्यक्ति को तभी आकस्मिक लाभ होगा जब कुंडली ...