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Showing posts from June, 2023

Chaturmas will be of 5 months in the year 2023, what is the reason ?

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साल 2023 में चातुर्मास 5 महीने का होगा क्या कारण है ?  आषाढ़ माह की देवशयनी एकादशी से चातुर्मास लग जाते हैं. इस साल चतुर्मास 4 नहीं बल्कि 5 महीने का होगा. जानते हैं चातुर्मास कब से शुरू होंगे, इस दौरान क्या करें, क्या न करें.  हिंदू धर्म में चातुर्मास को बहुत खास माना गया है. चातुर्मास यानी वह चार महीने जब देवताओं का शयनकाल रहता है, जिसमें सूर्य दक्षिणायन होते हैं और समस्त मांगलिक कार्य पर रोक लगा जाती है. हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल एकादशी यानी देवशयनी एकादशी  से भगवान श्रीहरि क्षीरसागर में योग निद्रा के लिए चले जाते है और वे वहां चार माह विश्राम करते हैं.  इन चार माह की अवधि को चातुर्मास कहा जाता है. देवों के शयनकाल के समय शुभ कार्य करने की मनाही होती है. इस साल चतुर्मास 4 नहीं बल्कि 5 महीने तक मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी. आइए जानते हैं चातुर्मास कब से शुरू होंगे, इस दौरान क्या करें, क्या न करें.  चातुर्मास 2023 कब से कब तक ?  पंचांग के अनुसार इस साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी 29 जून 2023 को है, इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत हो रही है. चातुर्मास की समाप्ति

The habit of keeping the bathroom dirty can make you poor

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बाथरूम गंदा रखने की आदत बना सकती है गरीब, वास्‍तु शास्‍त्र अनुसार जानें कहां हो इसका स्‍थान बाथरूम को गंदा छोड़ते हैं तो राहु-केतु का दोष बढ़ेगा बाथरूम में पानी की बरबादी कुंडली में चंद्रमा कमजोर कर सकता है घर में वास्तु दोष बढ़ने की वजह से परिवार वाले नकारात्मक विचार के हो जाते हैं घर में स्नान घर यानि बाथरूम सबसे अहम जगह होती है, जिसका न सिर्फ परिवार वाले बल्‍कि घर में आने वाले महमान भी प्रयोग करते हैं। वास्‍तु के अनुसार बाथरूम बनाने की जगह के अलावा इसकी साफ सफाई पर भी काफी ध्‍यान देना चाहिये। बहुत से लोग घर तो साफ कर लेते हैं मगर बाथरूम की साफ सफाई करने पर उतना ध्‍यान नहीं देते।  बाथरूम अगर दिनों दिन गंदा पड़ा रहता है तो इससे आपके जीवन में राहु-केतु का दोष बढ़ेगा। यदि राहु-केतु नाराज हो गए तो अनेक तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जब भी किसी की कुंडली में राहु की वक्री दृष्टि पड़ती है तो वह दिलो दिमाग खो बैठता है और उसका दिमाग ठीक से काम नहीं करता। यही नहीं इनकी बुरी छाया पेट में अल्सर, हड्डियों से संबंधित परेशानी और नौकरी में ट्रांसफर की समस्याा भी पैदा कर सकती

Worship of Amla tree, Mercury will be strong, Mother Lakshmi's blessings will shower throughout life

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आंवला वृक्ष की पूजा, मजबूत होगा बुध ग्रह, जीवनभर बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा प्राचीन काल से ही हमारे ऋषि मुनियों ने आवला को औषधीय रूप में प्रयोग किया। परन्तु आंवले का धार्मिक रूप से भी महत्व माना जाता है। आंवला पूजनीय और पवित्र माना गया है। वामन पुराण में कहा गया है कि आषाढ़ मास के प्रथम बुधवार को आंवला दान किसी ब्राम्हण को भक्तिपूर्वक करने से लक्ष्मी जी जो रूठ गई हों तो उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है। आज आषाढ़ मास का बुधवार और पूर्वा आषाढ़ नक्षत्र भी है। माना जाता है कि आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास होता है। यह वृक्ष विष्णु जी को अत्यंत प्रिय है। कहा जाता है कि आवंले के पेड़ से बुध ग्रह की शांति भी की जाती है। इस पेड की पूजा अर्चना करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं वास्तुशास्त्र में भी आंवले का वृक्ष घर में लगाना शुभ माना जाता है। आंवले के पेड़ को हमेशा पूर्व दिशा में लगाना चाहिए इससे सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता है। इस वृक्ष को घर की उत्तर दिशा में भी लगाया जा सकता है। आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर यज्ञ करने से लक्ष्मी जी की कृपा मिलती है। जिस घर में आंवला सदा मौ

Tantra Sadhna is specially done in Gupta Navratri.

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गुप्त नवरात्रि में विशेष रूप से होती है तंत्र साधना.  सनातन धर्म में मां देवी की आराधना और उन्हें प्रसन्न करना अन्य देवी-देवताओं के मुकाबले थोड़ा मुश्किल है. परंतु जब देवी मां की कृपा किसी भक्त पर पढ़ती है तो उसके जीवन में आ रही समस्याएं दूर होती है और उसके हर काम बनते चले जाते हैं. मां दुर्गा की आराधना के लिए नवरात्रि का पर्व सर्वोत्तम माना जाता है. यह पर्व साल में 4 बार मनाया जाता है जिनमें से दो गुप्त नवरात्रि होती हैं और दो सामान्य मानी जाती हैं. गुप्त नवरात्रि उन लोगों के लिए बेहद खास होती है जो तंत्र साधना में लीन होते हैं या फिर जिन्हें तांत्रिक विद्या को सिद्ध करना होता है.  धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गृहस्थ जीवन जी रहे या फिर साधारण व्यक्ति के लिए सामान्य नवरात्रि विशेष मानी जाती है. ये चैत्र और अश्विन माह की नवरात्रि होती है जिसमें सात्विक या दक्षिणमार्गी साधना करने का विधान है. वहीं माघ और आषाढ़ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. जिसमें तंत्र साधना यानी वाममार्गी साधना का विधान है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार तंत्र साधना के लिए गुप्त नवरात्रि विशेष

Astrology gives information about monsoon, do you know how ?

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सिर्फ मौसम विभाग ही नहीं ज्योतिष भी देता है मानसून की सूचना, जानते हैं कैसे? वर्तमान समय में जलवायु एवं वर्षा को बताने के लिए मौसम विज्ञान के साथ-साथ अनेक नई वैज्ञानिक प्रणालियां प्रचलित हो चुकी हैं लेकिन प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में इसको जानने के लिए ज्योतिष शास्त्र की गणना चली आ रही है। आज भी पंचांगों में वर्षा का योग पंचांग बनाते समय ही बता दिया जाता है। ज्योतिष में वर्षा के आधार जलस्तंभ के रूप में बताया गया है। इसलिए वर्षा को आकृष्ट करने के लिए यज्ञ बहुत महत्वपूर्ण कहा गया है। 'अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्न संभव' वस्तुतः वायु तथा बादलों का परस्पर संबंध होता है। आकाश मंडल में बादलों को हवा ही संचालित करती है वही उनको संभाले रखती है इसलिए वायुमंडल का वर्षा एवं स्थान विशेष में वर्षा करने में महत्वपूर्ण योगदान होता है। तूफानी वायु, जंगलों एवं अन्य स्थानों में लगे हुए वृक्ष मकानों तथा पर्वत की शीला खंडों को उखाड़ फेंकने में समर्थ होते हैं लेकिन जब आर्द्रा, आश्लेषा, उत्तरा भाद्र पद, पुष्य, शतभिषा, पूर्वाषाणा एवं मूल नक्षत्र वारुण अर्थात्‌ जल मंडल के नक्षत्र क

Poor relationship with parents If you do, the planet will be destroyed .

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माता पिता के साथ संबंध खराब करोगे तो ग्रह खराब हो जाएंगे एक परिवार एक इकाई है जिसमें मूल रूप से माता-पिता, बच्चे और रिश्तेदार शामिल होते हैं। इसमें परिवार के सदस्यों की आशाएं और इच्छाएं भी शामिल हैं। एक परिवार पूरी तरह से तब बनता है जब सदस्यों में दूसरों की चिंता और देखभाल होती है। पूरी दुनिया में, पितृसत्तात्मक और मातृसत्तात्मक परिवार होने के कारण परिवार की स्थापना बदल सकती है। कुछ परिवारों में बहुविवाह को स्वीकार किया जाता है। पुराणों में पुरुषों द्वारा सैकड़ों स्त्रियों से विवाह करने की कहानियाँ मिलती हैं। इसी तरह, महाभारत में हम कुंती और द्रौपदी को एक से अधिक पुरुषों के साथ संबंध देखते हैं। बच्चों से भी परिवार पूरा होता है। ज्योतिषीय सिद्धांतों के अनुसार सूर्य को पिता के रूप में जाना जाता है। यह सौर मंडल का केंद्र है और अन्य सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं। अन्य ग्रह अपने अस्तित्व के लिए सूर्य पर निर्भर हैं। ज्योतिष में सूर्य एक बहुत बड़ी शक्ति है। यह न केवल पिता का बल्कि आत्मा, अहंकार और जीवन शक्ति का भी संकेत देता है। ज्योतिष में चंद्रमा माता का प्रतिनिधि

By consuming meat and alcohol Do the planets get afflicted ?

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मांस मदिरा का सेवन करने से क्या ग्रह पीड़ित हो जाते हैं ? ज्योतिष शास्त्र अनुसार मंगल हमारा रक्त और भाई है। मंगल अच्छा है तो व्यक्ति राजनेता, पुलिस अफसर, इंजीनियर या मैनेजर बनेगा। लेकिन यदि खराब है तो व्यक्ति अपराधी, गुंडा या डाकू बनेगा या उससे भी नीचे गिर जाएगा। उक्त में से कुछ भी नहीं है तो हर समय क्रोध करने वाला, व्यर्थ ही गुस्सा दिखाने वाला मूर्ख व डरपोक व्यक्ति होगा। यदि कुंडली में मंगल की स्थिति ठीक नहीं है, तो मांस-मछली नहीं खाना चाहिए। कहते हैं कि खून खराब होने से मंगल खराब हो जाता है। मंगल के खराब होने से जीवन से पराक्रम, कार्य और शांति नष्ट हो जाती है। खून के खराब होने से और भी कई तरह की समस्याएं जन्मती हैं। बद मंगल अपराधी बनाता है और नेक मंगल सेनापति, राजनेता, पुलिस ऑफिसर या बेहतर खिलाड़ी। यह भी कहा जाता है कि जो व्यक्ति जिस तरह का मांस खाता है, उसका उसी तरह का चरित्र और प्रवृत्ति का विकास होता है। जो बच्चे मां का दूध कम पीते हैं और जानवरों का ज्यादा, उनकी कार्यशैली में जानवरों जैसा ही व्यवहार देखा जा सकता है। दरअसल, मांस-मच्छी खाने से व्यक्ति के शरीर और मस्तिष्क

What are the auspicious and inauspicious effects of Sun's zodiac sign and what is this change called ?

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सूर्य के राशि परिवर्तन से क्या होता है शुभ-अशुभ प्रभाव तथा इस परिवर्तन को क्या कहते हैं ? ज्योतिष गणना के अनुसार सभी ग्रह एक निश्चित अवधि के अंतराल में एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन करते हैं। सूर्य हर महीने एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में प्रवेश करता है। सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहते हैं। सूर्य का शुभ-अशुभ असर जब किसी की कुंडली में सूर्य का शुभ प्रभाव होता है तो व्यक्ति को नौकरी और व्यापार में तरक्की मिलती है। सूर्य के शुभ होने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है और मान-सम्मान मिलता है। वहीं अगर कुंडली में सूर्य का अशुभ प्रभाव है तो यह असफलता का कारण बनता है। देता है। रुकावटें और परेशानियां बढ़ने लगती हैं। इसके अलावा धन हानि भी होता है।  सूर्य के राशि परिवर्तन का  प्रभाव सूर्य देव मेष राशि के पांचवे भाव के स्वामी हैं. मेष राशि में सूर्य के आने से कई लोगों का भाग्य चमकने वाला है. इसके प्रभाव से जातकों को करियर में सफलता, धन लाभ, मान-सम्मान में वृद्धि जैसे शुभ परिणाम देखने को मिलेंगे.सूर्य के इस गोचर से अध्यात्म के प्रति झुकाव बढ़ता और मानसिक शांति मिलती है. ज