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Showing posts from November, 2022

What kind of furniture from Vastu point of view Is it good for home ?

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वास्तु की दृष्टि से कैसा फर्नीचर घर के लिए शुभ होता है ? जैसा कि सभी इस बात से परिचित है कि व्यक्ति के जीवन में वास्तु शास्त्र का कितना महत्व माना गया है। वास्तु दोष के कारण व्यक्ति को न जाने जीवन में कितनी समस्याओं का सामना करना पड़ता है लेकिन क्या इस बीच आप ये जानते हैं कि घर का फर्नीचर भी वास्तुदोष पैदा करता है। और घर की आर्थिक समस्याओं को बढ़ावा देता है। अगर नहीं, तो आपको बता दें कि घर में रखा फर्नीचर भी व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डालता है। घर में यदि यह ध्यान न रखा जाए कि कौन सा फर्नीचर किस स्थान पर और किस तरह का रखना है तो यह आपके घर की शांति और आर्थिक स्थिति पर बुरा प्रभाव डालता है। तो इसी के चलते आज हम आपको फर्नीचर कैसा और किस दिशा में होना चाहिए के बारे में बताने जा रहे हैं, कुछ लोग घर पर भारी फर्नीचर रखना पसंद करते हैं। वास्तु के हिसाब भारी फर्नीचर को सदा दक्षिण और पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। फर्नीचर हम सबके घर का अहम हिस्सा है। यदि घर पर फर्नीचर ना हो तो घर कुछ अधूरा सा मालूम पड़ता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कौन सा फर्नीचर घर के लिए शुभ

Planets for success in politics Who becomes ?

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राजनीति में सफलता के ग्रहयोग कौन बनता है ? राजसत्ता या राजनीति से जोड़ने में सूर्य, चन्द्र, राहु और शनि मुख्य माने गए हैं। वैदिक ज्योतिष में सूर्य को राजा तो चन्द्रमा को राजमाता की उपाधि दी गई है। वहीं राहु को सभी ग्रहों में नीति कारक ग्रह का दर्जा दिया गया है। विस्तार एक ओर राजनीति जहां व्यक्ति को सत्ता-सुख, प्रसिद्धि, विशेष सामाजिक पहचान देती है। वहीं इसमें सेवा व जनमानस कल्याण का भाव भी निहित है। आज के समय में बड़ी मात्रा में युवा वर्ग राजनीति को करियर के रूप में देख रहा है। अन्य करियर की भांति ही राजनीति में प्रवेश करने वालों की कुंडली में भी विशेष ज्योतिष योग होते हैं। राजनीति करना सबके बस की बात नहीं होती है। यही कारण है कि ऐसे व्यक्तियों की जन्म कुंडली में ग्रहों का विशिष्ट संयोग देखा गया है। राजसत्ता या राजनीति से जोड़ने में सूर्य, चन्द्र, राहु और शनि मुख्य माने गए हैं। वैदिक ज्योतिष में सूर्य को राजा तो चन्द्रमा को राजमाता की उपाधि दी गई है। वहीं राहु को सभी ग्रहों में नीति कारक ग्रह का दर्जा दिया गया है। राजनीति और जन्म कुंडली के भाव वैदिक ज्योतिष में जन्म कुंडली

astrological birthday What is the importance of ?

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ज्योतिष की दृष्टि से जन्मदिन का क्या महत्व है ? आपका जन्मदिन निश्चित रूप से आपके जीवन में एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। आखिरकार, यह वह दिन है जब आप पृथ्वी पर अवतरित हुए, अपने परिवार के लिए खुशी लेकर आए। इसलिए यह एक विशेष दिन है, यही वजह है कि दुनिया भर में कई लोग अपना जन्मदिन हर साल बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। लेकिन आपका जन्मदिन और भी कई मायनों में महत्वपूर्ण है। ज्योतिष शास्त्र में आपकी जन्मतिथि का बहुत महत्व होता है। लेकिन ज्योतिष में मेरी जन्मतिथि क्यों महत्वपूर्ण है, आप पूछ सकते हैं। बात यह है कि यह आपके बारे में बहुत कुछ कहता है। हालांकि, पूरी तस्वीर के लिए आपका समय और जन्म स्थान भी जरूरी है। धन की देवी का आह्वान करें - धन, समृद्धि, वृद्धि, शुभता और सफलता प्राप्त करने के लिए महालक्ष्मी का शक्ति दिवस अब सम्मिलित हों! जन्म दिन और उसका महत्व आपका जन्मदिन निश्चित रूप से आपके जीवन में एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। आखिरकार, यह वह दिन है जब आप पृथ्वी पर अवतरित हुए, अपने परिवार के लिए खुशी लेकर आए। इसलिए यह एक विशेष दिन है, यही वजह है कि दुनिया भर में कई लोग अपना जन्मदिन हर साल

eclipse blames eclipse on life

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ग्रहण दोष लगाता है जीवन पर ग्रहण ज्योतिष में ऐसे अनेक योगों का विस्तार से वर्णन मिलता है जो यदि किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में हो तो बुरे प्रभाव दिखाते हैं। इन्हीं में से एक है ग्रहण दोष। ग्रहण दोष एक अशुभ योग है जो जिस कुंडली में होता है उस व्यक्ति का जीवन कष्टप्रद हो जाता है। उसके जीवन में न तो तरक्की होती है और न आर्थिक परेशानियों से उबर पाता है। अज्ञानतावश उस व्यक्ति का पूरा जीवन संकटग्रस्त बीतता है। यदि योग्य ज्योतिष के पास जाकर ग्रहण दोष का निवारण करवा लिया जाए तो परेशानियां काफी हद तक कम हो जाती है। ग्रहण दोष क्या होता है ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण दोष की विस्तृत परिभाषा दी गई है। उसके अनुसार जब किसी जन्मांगचक्र यानी लग्न कुंडली के द्वादश भावों में से किसी एक भाव में सूर्य या चंद्र के साथ राहु या केतु में से कोई एक ग्रह बैठा हो तो ग्रहण दोष बनता है। इसके अलावा यदि सूर्य या चंद्रमा के घर में राहु-केतु में से कोई एक ग्रह मौजूद हो तो यह ग्रहण दोष कहलाता है। ग्रहण दोष जिस भाव में बनता है उस भाव से संबंधित परिणामों पर यह अशुभ प्रभाव डालता है। उदाहरण के तौर पर यदि देखा जाए

Planets have a deep connection with relationships

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रिश्तों से है ग्रहों का गहरा नाता ग्रह नक्षत्र हमारे आपसी रिश्ते-नाते पर क्या प्रभाव डालते हैं, इस संबंध में लाल किताब में बहुत कुछ लिखा हुआ है। लाल किताब अनुसार प्रत्येक ग्रह हमारे एक रिश्तेदार से जुड़ा हुआ है अर्थात् कुंडली में जो भी ग्रह जहां भी स्थित है तो उस खाने अनुसार वह हमारे रिश्तेदार की स्थिति बताता है।  1.सूर्य : पिता, ताऊ और पूर्वज। 2.चंद्र : माता और मौसी। 3.मंगल : भाई और मित्र। 4.बुध : बहन, बुआ, बेटी, साली और ननिहाल पक्ष। 5.गुरु : पिता, दादा, गुरु, देवता। स्त्री की कुंडली में इसे पति का प्रतिनिधित्व प्राप्त है। 6.शुक्र : पत्नी या स्त्री। 7.शनि : काका, मामा, सेवक और नौकर। 8.राहु : साला और ससुर। राहु को दादा का प्रतिनि‍धित्व प्राप्त है। 9.केतु : संतान और बच्चे। केतु को नाना का प्रतिनिधि भी माना जाता है। ग्रहों को सुधारने के लिए रिश्तों को सुधारने की बात कही जाती है अर्थात् अपने रिश्ते प्रगाढ़ करें।  अंतत: यह माना जा सकता है कि कुंडली का प्रत्येक भाव किसी न किसी रिश्ते का प्रतिनिधित्व करता है तथा प्रत्येक ग्रह मानवीय रिश्तों से संबंध रखता है। यदि कुंडली में कोई ग्

Guru Chandal Yoga can spoil the work done.

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गुरु चांडाल योग से बिगड़ सकते हैं बने बनाए काम . ज्योतिष शास्त्र में कई प्रकार के शुभ और अशुभ योगों का वर्णन है, उन्हीं में से एक योग है गुरु चांडाल योग।  गुरु चांडाल योग गुरु, राहु और केतु के मिलने से बनता है। आइए जानते हैं गुरु चांडाल योग के क्या दुष्प्रभाव हैं और इसके दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए क्या उपाय करने चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी किसी कुंडली का निर्माण किया जाता है तो उसमें योग बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शुभ योग बहुत से काम में तरक्की दिलाते हैं और वहीं अशुभ योग बने बनाए काम बिगाड़ने की क्षमता रखते हैं। व्यक्ति की कुंडली में कई शुभ और अशुभ योग ग्रहों के संयोग से बनते हैं। ज्योतिष शास्त्र में कई प्रकार के शुभ और अशुभ योगों का वर्णन है, उन्हीं में से एक योग है गुरु चांडाल योग।  गुरु चांडाल योग गुरु, राहु और केतु के मिलने से बनता है। आइए जानते हैं गुरु चांडाल योग के क्या दुष्प्रभाव हैं  गुरु-राहु के संयोग की वजह से इसका प्रभाव जातक की कुंडली में इन ग्रहों के स्थानानुसार पड़ता है।  राहु गुरु के प्रभाव को नष्ट करता है व उस जातक को अपने प्रभाव में

Why don't twins have the same fate?

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जुड़वाँ बच्चों का भाग्य अलग-अलग क्यों होता है अगर उनका लगन और नक्षत्र भी एक ही हो तब भी? हम बात करेंगे जुड़वां लोगों की कुंडली के बारे में. हम आपको बताएंगे कि जुड़वां लोगों की कुंडली में क्या ख़ास बात होती है. जब जुड़वां लोगों का जन्म लग्न एक होता है तो भविष्यवाणियां एक तरह की होने लगती हैं जबकि भाग्य में काफी अंतर होता है. चार मिनट से कम का अंतर जुड़वां कुंडलियों में काफी समस्या पैदा कर देता है. अगर लग्न अलग हो तो तो जुड़वां लोगों की कुंडलियों का अद्ध्ययन थोडा सा आसान हो जाता है. जुड़वां लोगों की कुंडली एक होने के बावजूद अलग-अलग ग्रहों से नियंत्रित होती है. जुड़वां बच्चों का भाग्य समान क्यों नहीं होता? दुनिया की आबादी का लगभग 3% जुड़वां हैं। जुड़वाँ एक जैसे या एक जैसे हो सकते हैं। एक ही लिंग या अलग-अलग जुड़वां बच्चों के होने की संभावना अधिक होती है। समान जुड़वाँ दुर्लभ हैं, लेकिन वे मौजूद हैं। जुड़वा बच्चों के माता-पिता एक ही होते हैं, एक ही समय और एक ही अस्पताल में पैदा होते हैं लेकिन दोनों का जीवन और भाग्य पूरी तरह से अलग होगा। इसके पीछे के कारण का पता हम विशेषज्ञों द्वारा किए

Vaastu defect of the house is one of the causes of cancer.

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कैंसर का एक कारण घर का वास्तुदोष जगह की कमी, फिर जरूरत और डिजाइन के हिसाब से किसी जगह को ऊंचा और किसी जगह को नीचा बना दिया जाता है। इस कारण घर में नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा का असंतुलन बन जाता है और कैंसर जैसी बीमारी का जन्म होने के कारण क्रिएट हो जाते हैं। वर्तमान समय में कैंसर का रोग एक भयावह बीमारी का रूप ले चुका है। हालांकि ऐसा नहीं है कि कैंसर एक लाइलाज रोग है लेकिन यदि प्रारंभिक अवस्था में अगर इसका पता चल जाए तो इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है। ज्योतिषविद्या के मुताबिक शरीर के स्वास्थ्य का संबंध हमारी कुंडली से भी होता है। इसके मुताबिक व्यक्ति की एस्ट्रो मेडिकल से शरीर की बीमारी से जुड़ी जानकारी बता सकती है। इसके अलावा घर में यदि वास्तुदोष हो तो भी कैंसर जैसी घातक बीमारी होने की आशंका काफी हद तक होती है।  वर्तमान में बन रहे घरों की बनावट पुराने जमाने की तरह आयताकार न होकर अनियमित आकार की हो रही है, जिसमें घर का कोई कोना दबा दिया जाता है या कोई कोना बाहर निकाल दिया जाता है। घर का कोई भाग ऊंचा तो कोई नीचा बनाया जाता है। ऐसी अनियमित बनावट के कारण घर में सकारात्मक और नका