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Showing posts from January, 2023

Why are betel leaves used in worship ? Know its importance ?

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पूजा में पान के पत्ते का क्यों करते हैं प्रयोग? जानें इसका महत्व  ? हिंदू रीति-रिवाजों में सबसे महत्वपूर्ण पूजा सामग्री में से एक पान का पत्ता है। संस्कृत में तंबुला के रूप में जाना जाता है, यह शब्द 'ताम्र' शब्द की उत्पत्ति का श्रेय देता है जो तांबे को दर्शाता है जो लाल रंग का होता है। लाल रंग कत्थे या कत्थे के कारण होता है। भारत में अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में पान के पत्ते को पान, नाग वे, वेट्टा या वेटिला के नाम से जाना जाता है। पान के पत्ते का उपयोग हिंदुओं द्वारा आध्यात्मिक और स्वास्थ्य दोनों कारणों से पूजा में किया जाता है। ताम्बूलम पारंपरिक रूप से हिंदुओं द्वारा अपने स्वस्थ गुणों के कारण मेहमानों को भोजन के बाद पेश किया जाता है और इसलिए, नैवेद्यम के बाद, ताम्बूलम देवताओं को चढ़ाया जाता है। सिक्के का आध्यात्मिक पक्ष पान का पत्ता ताजगी और समृद्धि का प्रतीक है।  स्कंद पुराण के अनुसार अमृत के लिए समुद्र मंथन के दौरान देवताओं को पान का पत्ता प्राप्त हुआ था। हालांकि, पूजा में इसका उपयोग करने का मुख्य कारण यह है कि हिंदुओं का मानना ​​है कि पान के पत्ते में विभिन्न देवता

Is Mars a blood factor?

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क्या मंगल रक्त कारक है ? मंगल रक्त का प्रतिनिधित्व करता है परन्तु जिनका मंगल कमजोर होता है रक्त की बीमारियों के अतिरिक्त जोश की कमी होगी। ऐसे व्यक्ति हर काम को धीरे धीरे करेंगे। वह जातक सुस्त दिखाई देगा और किसी भी काम को सही ऊर्जा से नहीं कर पाता। खराब मंगल से चोट चपेट और दुर्घटना आदि का भय बना रहता है। प्यास, नेत्र विकार, मिरगी, अस्थि टूटना, गर्भाशय के रोग, प्रसव तथा गर्भपात, सिर में चोट, लड़ाई में चोट आदि का करक बनता हैं.. मेष राशि का स्वामी मंगल है। यह सिर या मस्तिष्क की कारक है और इसके कारक ग्रह मंगल और गुरू हैं। मकर राशि में 28 अंश पर मंगल उच्चा के होते हैं तथा कर्क राशि में नीच के होते हैं। मंगल वीर, योद्धा, खूनी स्वभाव और लाल रंग के हैं। अग्नि तत्व व पुरूष प्रधान तथा क्षत्रिय गुणों से युक्त है। यह राशि मस्तिष्क, मेरूदण्ड तथा शरीर की आंतरिक तंत्रिकाओं पर विपरीत प्रभाव डालती है। लग्न में यह राशि स्थित हो तथा मंगल नीच के हो या बुरे ग्रहों की इस पर दृष्टि हो तो ऎसा जातक उच्चा रक्तचाप का रोगी होगा। आजीवन छोटी-मोटी चोटों का सामना करता रहेगा। सीने में दर्द की शिकायत रहती है

Significance of Nakshatra

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नक्षत्र का महत्व ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्रों का विवरण दिया गया है। पौराणिक कथाओं में इन्हें दक्ष प्रजापति की पुत्रियाँ बताया गया है। नक्षत्र और राशि के अनुसार, मनुष्य का स्वभाव, गुण-धर्म, जीवन शैली जन्म नक्षत्र से जुड़ी हुई होती है। ये सत्य है कि जिस नक्षत्र में मनुष्य जन्म लेता है वह नक्षत्र उसके स्वभाव और आने वाले जीवन पर अपना  प्रभाव अवश्य डालता है। ये सभी नक्षत्र जितने महत्वपूर्ण हैं उतने ही व्यक्तिगत जीवन पर भी प्रभाव डालते हैं। भारतीय वैदिक ज्योतिष की गणनाओं में महत्वपूर्ण माने जाने वाले 27 नक्षत्रों का विवरण दिया गया है। प्राचीन काल में ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों ने राशियों को सरलता से समझने के लिए 12 भागों में बाँट दिया था और आकाश को 27 नक्षत्रों में। इन नक्षत्रों की गणना ज्योतिष में महत्वपूर्ण योगदान के लिए की जाती है। वैदिक ज्योतिष में एक नक्षत्र को एक सितारे के समान समझा जाता है। सभी नक्षत्रों को 4 पदों में या 3 डिग्री और 20 मिनट के अन्तराल में बांटा गया है। आकाश मंडल के नौ ग्रहों को 27 नक्षत्रों का अर्थात हर ग्रह को तीन नक्षत्रों का स्वामि‍त्व प्राप्त है।

Do your teeth tell wealth,condition of fortune and happiness .

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  क्या आपके दांत बताते हैं धन, भाग्य और सुख दुःख का हाल समुद्रशास्त्र में शरीर के हर अंगों के अनुसार व्यक्ति के गुण दोष और भाग्य का हाल बताया गया है। इसमें बताया गया है कि दांतों की बनावट और उनके रंगों से भी व्यक्ति के भाग्य, धन और जीवन के सुख दुःख को जाना जा सकता है। आप भी अपने दांतों को आइने में देखें और खुद जानें कि आपका भाग्य, धन और सुख दुःख के बारे में ईश्वर ने किया लिखा है। समुद्रशास्त्र के अनुसार जिन व्यक्तियों के दांत एक बराबर और एक दूसरे से सटे हुआ न बहुत अधिक चौड़े न बहुत अधिक पतले होते हैं वह बहुत ही सौभाग्यशाली होते हैं। ऐसे व्यक्ति आर्थिक मामलों में सुखी और आनंद पूर्वक जीवन जीने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति बीमार भी कम होते हैं। जिनके दांत मोतियों के समान चमकदार होते हैं समुद्रशास्त्र के अनुसार वह भी बड़े भाग्य वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति लंबे समय तक जीवत रहकर धरती का सुख भोगते हैं। समुद्र शास्त्र : दूसरों के पैसों पर मौज करने वाले होते हैं दांतों में गैप वाले लोग , दांतों से जाना जा सकता है व्यक्ति का स्वभाव हमारे पूर्वजों ने कई ऐसे शास्त्रों और पुराणों की रचना क

Gupta Navratri? Why is it different from other Navratri ?

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गुप्त नवरात्रि? दूसरे नवरात्रि से क्यों है  अलग? हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है और इस दौरान 9 दिनों तक दुर्गा मां के अलग-अलग स्वरूपों का पूजन किया जाता है. बता दें कि साल में चार बार नवरात्रि का त्योहार आता है. इनमें से दो बार की नवरात्रि का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है और इस दौरान घरों और मंदिरों में अलग ही रौनक देखने को मिलती है. वहीं दो गुप्त नवरात्रि होती हैं जो कि माघ और आषाढ़ के महीने में मनाई जाती है. जानिए क्या है गुप्त नवरात्र । गुप्त नवरात्रि महत्व गुप्त नवरात्रों में मां दुर्गा की पूजा का विधान होता है, यह गुप्त नवरात्र साधारण जन के लिए नहीं होते हैं मुख्य रुप से इनका संबंध साधना और तंत्र के क्षेत्र से जुड़े लोगों से होता है. इन दिनों भी माता के विभिन्न रूपों की पूजा का विधान होता है. जैसे नवरात्रों में मां दुर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है उसी प्रकार इन गुप्त नवरात्रों में भी साधक माता की विभिन्न प्रकार से पूजा करके उनसे शक्ति और सामर्थ्य की प्राप्ति का वरदान मांगता है. गुप्त नवरात्र रहस्य मां दुर्गा को शक्ति कहा गया है ऐसे में इन गुप्त नव

Worried about financial crisis? So know what is the reason ?

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आर्थिक तंगी से हो गए हैं परेशान! तो जानिए क्या कारण है ? कोरोना वायरस की वजह से कई लोग बेरोजगार हो गए हैं और कइयों की आर्थिक स्थिति डगमगा गई है। लॉकडाउन तो खुल गया है लेकिन स्थिति अभी भी संतुलित नहीं हो पा रही हैं। ऐसे में सपनों को पूरा करना ईद का चांद की तरह हो गया है। हर कोई सफलता प्राप्त करना चाहता है और धन संबंधित समस्याओं से छुटकारा चाहता है। लेकिन चाहत को हकीकत में बदलना बहुत मुश्किल होता जा रहा है। शास्त्रों में ऐसी स्थिति से बचने के लिए या फिर सबकुछ संतुलित करने के लिए कुछ विशेष बातों के बारे में बताया गया है। इन बातों का ध्यान रखने से धन और वैभव की देवी लक्ष्मी माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आइए हम आपको बताते हैं कि शास्त्रों में किन बातों के बारे में बताया गया है इनका कभी नहीं टिकता पैसा शास्त्रों के अनुसार, दांतों को दांतों से नहीं रगड़ना नहीं चाहिए, ऐसा अपशगुन होता है। साथ ही चिंता और स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां का भी सूचक माना जाता है। ऐसा करने से दुख की प्राप्ति होती है और आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगती है। देवी-देवताओं की कृपा प्राप्ति के लिए दान करना बहुत