Know the importance of Dashami Tithi and the work to be done in it

जानिए, दशमी तिथि का महत्व और इसमें किए जाने वाले कार्य हिंदू पंचांग की दसवीं तिथि को दशमी कहते हैं। यह तिथि मास में दो बार आती है। पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली दशमी को कृष्ण पक्ष की दशमी और अमावस्या के बाद आने वाली दशमी को शुक्ल पक्ष की दशमी कहते हैं। अक्षर "मी" अंतमे होता है, ऐसी पाँच तिथीयाँ है!{५पंचमी,७सप्तमी,८अष्टमी,९नवमी और १०दशमी} ये पाँचो तिथीयाँ हर महीनेमे दो बार याने, पहलीबार शुक्लपक्ष और दुसरीबार कृष्णपक्षमे आती है।माघ-स्नान अनुभूती मे माघमास शुक्लपक्ष दशमी शुक्रवार को यदी पंचगंगामें से कौनसी भी नदी संगमपर सूर्योदय के पूर्व स्नान करके गुरूदत्तात्रेय की प्रार्थना करने का प्रसाद-फलसे अनन्यसाधारण महत्त्व प्राप्त होता है। यही स्नान शुक्ल-अष्टमी से पौर्णिमा तक करने का प्रसाद अधिक लाभदायी और आयुआरोग्य संपन्न, अष्ट-फल प्राप्त करनेवाला होता है। सूर्य अपने अंशों से जब 12 अंश आगे जाता है, तो एक तिथि का निर्माण होता है. इसके अतिरिक्त सूर्य से चन्द्र जब 109 अंशों से लेकर 120 अंश के मध्य होता है. उस समय चन्द्र मास अनुसार शुक्ल पक्ष की ...