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Showing posts from April, 2023

Effect of afflicted moonwhat happens ?

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पीड़ित चंद्रमा का प्रभाव क्या होता है ? आज के समय में हर व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से घिरा हुआ है. फिर चाहे उसका कारण आनुवांशिकता हो या फिर खराब लाइफस्टाइल. हर कोई अपने सेहत के लिए डॉक्टरों के चक्कर काटते ही नजर आएगा. लेकिन कई बार अच्छे से अच्छे डॉक्टर या सही ट्रिटमेंट के बाद भी आराम नहीं आता, तो उसमें व्यक्ति के ग्रह नक्षत्र भी वजह हो सकते हैं.  ज्योतिष के अनुसार कुछ बीमारियों की वजह हमारे ग्रहों की खराब स्थितियां होती हैं.ज्योतिष अनुसार जब कोई ग्रह हमारी कुंडली में खराब दशा में होता है, तो उसके नकारात्मक प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ते हैं. इन नकारात्मक प्रभावों के कारण व्यक्ति को कई रोग घेर लेते हैं. कई बार कुडंली में चंद्र  कमजोर होता है. जिस कारण व्यक्ति को फेफड़ों की परेशानी का सामना करना पड़ता है.  कुंडली में कमजोर चंद्र से होती हैं ये बीमारियां  ज्योतिषियों का मानना है कि चंद्र ग्रह का संबंध जल और मन से है. ऐसे में चंद्र के कमजोर होने पर व्यक्ति को खांसी-जुकाम, अस्थमा, आईएलडी आदि सांस या फेफड़ों से संबंधित बीमारियां परेशान करती हैं. इसके अलावा तनाव, डिप्रेशन, एकाग्रता क

Mohini Ekadashi Story, Rituals and Significance

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शास्त्रों के अनुसार ये है मोहिनी एकादशी व्रत  का महत्व क्या है ? वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में मोहिनी एकादशी का व्रत करने से सभी कामनाएं जहां पूर्ण हो जाती हैं, वहीं प्रभु कृपा प्राप्त होने से जीवन में किसी प्रकार का कोई अभाव नहींं रहता। संसार के सभी सुखों को भोगता हुआ व्यक्ति अंत में प्रभु के धाम को प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान को एकादशी तिथि अति प्रिय है तथा नदियों में गंगा को जो स्थान प्राप्त है वही स्थान व्रतों में एकादशी को प्राप्त है। कहा जाता है कि जिसकी कोई कामना किसी भी कारण वश पूरी न हो रही हो वह एकादशी का व्रत सच्चे मन से करें तो उसकी कोई भी मनोकामना अधूरी नहीं रहती। इसके लिए दशमी को व्रत करने का संकल्प करना चाहिए। एकादशी में व्रत तथा द्वादशी को प्रात: उठकर मां लक्ष्मी जी का पूजन करने मात्र से ही मनुष्य सभी बंधनों से मुक्त एवं सभी सुखों से युक्त हो जाता है।  कैसे करें पूजन मोहिनी एकादशी को भगवान श्री कृष्ण के पूजन का विधान है। इस दिन सूर्य निकलने से पूर्व उठकर नित्य स्नानादि क्रियाओं से निवृत होकर भगवान की प्रतिमा को स्नान करवाकर उन्हें ऊंचे आसन पर वि

Why is the Pran Pratishtha of the idol necessary ?

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मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा क्यों जरूरी है? मूर्ति प्रतिष्ठा पंचरात्र आगम शास्त्रों द्वारा निर्धारित वैदिक संस्कारों और मंत्रों का जाप करके एक मूर्ति में भगवान का आह्वान करने का एक अनुष्ठान है। एक नए मंदिर के उद्घाटन के दिन मूर्ति प्रतिष्ठा की जाती है। मूर्ति प्रतिष्ठा एक उत्सव है जो अक्सर एक नगर यात्रा, या सांस्कृतिक जुलूस, और विश्वशांति महा यज्ञ, या विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ जोड़ा जाता है। नगर यात्रा के दौरान, मूर्तियों को सुंदर ढंग से सजी हुई झांकियों पर रखा जाता है जो पूरे शहर में ले जाया जाता है जिसमें मंदिर बनाया जा रहा है। हिंदुओं का मानना ​​है कि मूर्ति प्रतिष्ठा के बाद देवता मूर्ति में प्रवेश करते हैं। मूर्ति केवल एक छवि नहीं बल्कि भगवान का एक जीवित रूप है।  इसलिए जरूरी है देवप्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा जब भी लोग किसी देवमूर्ति को घर के मंदिर में लाते हैं तो पूरे विधि विधान से इसकी पूजा की जाती है। इस प्रतिमा में जान डालने की विधि को ही प्राण प्रतिष्ठा कहते हैं। यह मूर्ति को जीवंत करती है जिससे की यह व्यक्ति की विनती को स्वीकार कर सके। प्राण-प्रतिष्ठा की यह

What is the astrological connection of abuse ?

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गाली का ज्योतिष कनेक्शन क्या है ? आम बोलचाल की भाषा में हर कोई कभी ना कभी अपशब्दों का प्रयोग करता है, ये अलग बात है कि अपशब्द का प्रयोग करना ठीक नहीं होता है, गुस्सा होने पर अक्सर लोग गालियां देने लगते हैं, लेकिन गालियों का नकारात्मक प्रभाव आप पर ही पड़ता है, जितना नुकसान सामने वाले का नही होता है उस से ज्यादा आपका हो जाता है, लोगों की कुंडली में अपशब्द को लेकर कई बातें लिखी होती हैं, व्यक्ति के स्वभाव के बारे में इस से पता चलता है, साथ ही अपशब्द का प्रयोग करने से आपकी किस्मत पर क्या असर पड़ेगा इस के बारे में भी संकेत मिल जाते हैं। कानूनी रूप से गाली देने के लिये अलग अलग देशो मे अलग अलग धारायें लगती है और साबित होने पर कि अमुक को अमुक के द्वारा गाली देकर मानसिक रूप से आहत किया गया है तो गाली देने वाले को धन और शरीर से सजा भी झेलनी पडती है। गाली का क्यों दी जाती है कौन से ग्रह गाली देने के लिये अपनी युति प्रदान करते है कुंडली मे गाली देने से क्या लाभ और हानि होती है आदि बातो पर चलिये विवेचन करते है। खुद को भी गाली दी जाती है जानते हुये भी काम को खराब खुद के द्वारा कर दिया जा

How is the sum of being rich made in the horoscope ?

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कुंडली में कैसे बनता है धनवान होने का योग ? जिस व्यक्ति की कुंडली में गुरु स्वराशि यानी धनु या मीन में हो या अपनी उच्च राशि के केंद्र स्थान में मौजूद हो तो दिव्य योग बनता है। आमतौर पर यह योग मेष, तुला, मकर और कर्क लग्न की कुंडली में बनता है। जिन लोगों की कुंडली में ये योग बनते हैं वे चरित्र के अच्छे और महान विचारों वाले होते हैं। ऐसे लोगों का जीवन सुखमय होता है। अगर कुंडली में शनि पहले, चौथे, सातवें या दसवें भाव में होता है या स्वराशि मकर या कुंभ में विराजमान होता है तो शश योग बनता है। यह एक प्रकार का राजयोग है। साथ ही तुला राशि में शनि बैठा हो तब भी इस योग का शुभ परिणाम मिलता है। ग्रहों की शुभ या अशुभ स्थिति को देखकर व्यक्ति की परेशानी, धन-दौलत, यश आदि के बारे में बताया जाता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में गुरु स्वराशि यानी धनु या मीन में हो या अपनी उच्च राशि के केंद्र स्थान में मौजूद हो तो दिव्य योग बनता है। आमतौर पर यह योग मेष, तुला, मकर और कर्क लग्न की कुंडली में बनता है। जिन लोगों की कुंडली में ये योग बनते हैं वे चरित्र के अच्छे और महान विचारों वाले होते हैं। ऐसे लोगों क