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Showing posts from February, 2023

Weak in maths, commerce and communication, so this planet is responsible in the horoscope

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बुध  इसी नाम के खगोलीय ग्रह के लिये भारतीय ज्योतिष शास्त्र में नियत एक ग्रह है। बुध चंद्रमा का तारा या रोहिणी से पुत्र कहलाता है। बुध को माल और व्यापारियों का स्वामी और रक्षक माना जाता है। बुध हल्के स्वभाव के, सुवक्ता और एक हरे वर्ण वाले कहलाते हैं। उन्हें कृपाण, फ़रसा और ढाल धारण किये हुए दिखाया जाता है और सवारी पंखों वाला सिंह बताते हैं। एक अन्य रूप में इन्हें राजदण्ड और कमल लिये हुए उड़ने वाले कालीन या सिंहों द्वारा खींचे गए रथ पर आरूढ दिखाया गया है। बुध का राज बुधवार दिवस पर रहता है। आधुनिक हिन्दी, उर्दु, तेलुगु, बंगाली, मराठी, कन्नड़ और गुजराती भाषाओं में सप्ताह के तीसरे दिवस को बुधवार कहा जाता है। बुध का विवाह वैवस्वत मनु की पुत्री इला से विवाह किया।  इला से प्रसन्न होकर मित्रावरुण ने उसे अपने कुल की कन्या तथा मनु का पुत्र होने का वरदान दिया। कन्या भाव में उसने चन्द्रमा के पुत्र बुध से विवाह करके पुरूरवा नामक पुत्र को जन्म दिया। तदुपरान्त वह सुद्युम्न बन गयी और उसने अत्यन्त धर्मात्मा तीन पुत्रों से मनु के वंश की वृध्दि की जिनके नाम इस प्रकार हैं- उत्कल, गय तथा विनताश्

Astrology for becoming a police officer

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पुलिस अधिकारी बनने के ज्योतिष योग बहुत सारे लोग हैं जो IPS अधिकारी बनना चाहते हैं। कुछ सफल होते हैं, जबकि जो लोग आईपीएस अधिकारी बनने के अपने सपने को पूरा नहीं कर पाते हैं, वे आईपीएस से निचले स्तर पर पुलिस विभाग में शामिल होते हैं या सपने को पूरी तरह छोड़ देते हैं। एक इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर, डीएसपी या एएसपी के रूप में यह अधिकारी का कर्तव्य है कि वह राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखे और अपराध को नियंत्रित करे। कुछ ऐसे भी हैं जो इस पेशे में हैं लेकिन बिना वर्दी के काम करते हैं। वे गुप्त एजेंट या अपराध जांच की शाखा में अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जो लोग अपने पेशेवर जीवन में वर्दी पहनते हैं, उनकी जन्म कुंडली में मंगल और शनि का प्रमुख योगदान होता है। मंगल के प्रभाव से व्यक्ति को इस क्षेत्र के लिए शक्ति, साहस, जोश और उत्साह प्राप्त होता है। सेना और रक्षा के क्षेत्र में साहस प्रमुख संपत्ति है। शनि व्यक्ति को अनुशासित और सख्त बनाता है। शनि को न्याय और दंड का ग्रह कहा जाता है। सामान्यतः कहा जाता है कि रुचक योग में जन्म लेने वाला जातक साहसी, नेतृत्वकर

Is south facing house auspicious or inauspicious ?

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दक्षिण मुखी मकान शुभ एवं अशुभ होता है ? वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा के मकान को कुछ परिस्थिति को छोड़कर अशुभ और नकारात्मक प्रभाव वाला माना जाता है। हालांकि बहुत से लोक कहते हैं कि दक्षिण मुखी मकान में रहने से कुछ नहीं होता है हमारे एक परिचित तो वर्षों से रह रहे हैं। इसका जवाब भी आप नीचे पढ़ेंगे तो पता चलेगा कि क्यों उन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ा।   दरअसल, हर दिशा में कोई न कोई ग्रह स्थित है जो कि अपना अच्छा या बुरा प्रभाव डालता है। यह निर्भर करता है मकान के वास्तु, मुहल्ले के वास्तु और उसके आसपास स्थित वातावरण और वृक्षों की स्थिति पर। प्रत्येक ग्रह का अपना एक वृक्ष होता है। जैसे चंद्र की शनि से नहीं बनती और यदि आपने घर के सामने चंद्र एवं शनि से संबंधित वृक्ष या पौधे लगा दिए हैं तो यह कुंडली में चंद्र और शनि की युति के समान होते हैं जो कि विषयोग कहा गया है।   पूर्व में सूर्य, आग्नेय में शुक्र, दक्षिण में मंगल, नैऋत्य में केतु, पश्‍चिम में शनि, वायव्य में चंद्र, उत्तर में बुध, ईशान में बृहस्पति का प्रभाव रहता है।   दक्षिणमुखी में मकान क्यों नहीं रहना चाहिए? वास्तुशास्त्र में दक

What are the main factors for getting respect and prosperity in the society ?

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समाज में मान सम्मान एवं समृद्धि प्राप्त करने के लिए मुख्य ग्रह कौन से कारक हैं ? जीवन में मान-सम्मान, उच्च पद आखिर कौन नहीं चाहता है। लेकिन क्या सभी को यह मिल पाता है? इस सवाल का जवाब है- नहीं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, अगर हम इस प्रश्न के मूल पर जाएं तो पता चलता है कि जीवन में प्राप्त होने वाला मान-सम्मान और राजसी जीवन का संबंध सूर्य ग्रह से है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली सूर्य शुभ हो तो उस व्यक्ति को सरकारी सेवा में उच्च पद की प्राप्ति होती है। साथ ही उसे अन्य प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। गरीब हो या अमीर हर छोटा-बड़ा व्यक्ति यह कामना रखता है कि उसे समाज में वैसा मान-सम्मान प्राप्त हो जैसा वो चाहता है। कुछ लोगों का तो ये सपना पूरा हो जाता है परंतु बहुत से ऐसे भी लोग होते हैं जो यश, कीर्ति पाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। मगर सब कुछ होने के बाद भी उन्हें इसकी प्राप्ति नहीं हो पाती। मगर ऐसा क्यों होता है, ये प्रश्न उनके ज़हन में घूमता रहता है। जिसका जवाब न उन्हें अपने आप से मिल पाता है और न ही किसी और से। तो आख़िर इसका जवाब है किसके पास? हम बताते हैं, असल में इस प्रश्न

Go through your horoscopehow will old age be ?

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अपनी कुंडली से जाने आपका बुढ़ापा(वृद्ध अवस्था)कैसा होगा ? मतलब बुढ़ापा  में हर माता पिता को यही आस होती है की बुढ़ापे(वृद्ध अवस्था) में बच्चे मतलब बेटा/संतान साथ रहे।अब बुढ़ापे में संतान साथ रहेगी या नही रहेगी या किसी कारण वश संतान को नोकरी या अन्य किसी कारण से दूर रहना पड़ेगा, संतान माता-पिता की अहमियत समझेगी या नही और क्या संतान साथ बुढ़ापे में रहेगी और क्या सुख रहेगा अब इस विषय पर बात करते है:-                                                                           बुढ़ापे/वृद्ध अवस्था मे संतान का साथ और सुख रहे इसके लिए जरूरी जातक/जातिका(माता-पिता) की कुंडली में 5वे भाव और इसके स्वामी की स्थिति अच्छी होना और शुभ ग्रहों गुरु शुक्र बुध चन्द्र जैसे शुभ ग्रहों के प्रभाव में होने से और पाचवे भाव और इस भाव स्वामी के अच्छी अवस्था मे होने से संतान का साथ और सुख बुढ़ापे में रहेगा और संतान साथ रहेगी अब दूसरी स्थिति में जब माता-पिता(जातक-जातिक) की कुंडली मे 5वे भाव और इस भाव का स्वामी पृथकता मतलब अलग कर देने वाले पाप ग्रहों शनि या राहु केतु के प्रभाव में हो और और 5वे भाव या 5वे भाव

Good life partner

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जन्मपत्रिका में सुयोग हो तो सुंदर एवं गुणवान जीवनसंगिनी मिलती है सभी लड़कों की चाहत होती है कि उनकी होनी वाली पत्नी सुंदर हो। जन्म कुंडली देखकर इस बारे में बहुत कुछ जाना जा सकता है। जिन लोगों की जन्म कुंडली में कुछ विशेष योग होते हैं, उनकी ये इच्छा जरूर पूरी होती है। विवाह जीवन का ऐसा दौर होता है, जिसमें व्यक्ति को न सिर्फ अपनी बल्कि दूसरे व्यक्ति की भावनाओं का भी उतना ही ख्याल रखना होता है। हर व्यक्ति को एक अच्छे जीवनसाथी की तलाश होती है। जिस तरह महिलाएं एक सुयोग्य वर चाहती हैं उसी तरह पुरुष भी एक समझदार, सुलक्षण और संस्कारवान जीवनसाथी चाहते हैं। जो उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए प्रेम और समर्पण से जीवन व्यतीत करने में यकीन रखती हो। आइए जानते हैं कि एक जातक की जन्म पत्रिका में ऐसे कौन-कौन से विशिष्ट ग्रहयोग होते हैं जो एक सर्वगुण, समझदार जीवनसंगिनी दिलाने के कारक होते हैं। सभी लड़कों की चाहत होती है कि उनकी होनी वाली पत्नी सुंदर हो। जन्म कुंडली देखकर इस बारे में बहुत कुछ जाना जा सकता है। जिन लोगों की जन्म कुंडली में कुछ विशेष योग होते हैं, उनकी ये इच्छा जरूर पूरी होती है। ज

To win in life Contribution of planets.

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जीवन में विजय प्राप्ति के लिए ग्रहों का योगदान ! जिन्दगी की दौड़ में प्रतियोगिता और विवाद चलता रहता है। महत्वपूर्ण यह है कि जीत किसकी होती है। कहा भी जाता है जो जीता वही सिकन्दर। जीतने वाले की ही सदा ज य- जयकार होती है। अगर आप किसी प्रतियोगिता अथवा विवाद में उलझ गए हैं, तो प्रश्न कुण्डली से परिणाम का अंदाजा स्वयं लगा सकते हैं। प्रतियोगिता से संबंध रखने वाले महत्वपूर्ण भाव :  प्रतियोगिता अथवा वाद-विवाद की जब बात करते हैं तब प्रथम भाव यानी लग्न प्रश्नकर्ता होता है। छठे भाव से छुपे हुए शत्रुओं का आकलन किया जाता है। सप्तम भाव से विपक्षी और प्रत्यक्ष शत्रु का विचार किया जाता है। दशम भाव से न्यायपालिका या न्यायकर्ता को जाना जाता है। चतुर्थ भाव निर्णय का भाव है जिससे व्यक्ति को मिलने वाले फल को देखा जाता है। वाद-विवाद के प्रश्नों में पाप ग्रह लग्न में प्रश्नकर्ता को अत्यधिक बल और उत्साह देता है, जिसे विजय प्राप्ति के लिए आवश्यक माना जाता है। प्रश्न कुण्डली के नियम के अनुसार देखें तो लग्न में पाप ग्रह के होने से प्रश्नकर्ता की जीत होती है जबकि सप्तम भाव में पाप ग्रह होने पर विपक्षी