Posts

Showing posts from September, 2022

Why is coconut kept on the Kalash of Navratri? Know its importance and benefits ?

Image
नवरात्रि के कलश पर क्यों रखा जाता है नारियल? जानें इसका महत्व और लाभ इसमें पूरे नौ दिनों तक माता के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। इस अवधि में देवी की उपासना से सारे संकट दूर हो जाते हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना से होती है। इसमें एक कलश पर कलावा बांधा जाता है और उसके मुख पर आम या अशोक के पत्ते बांधे जाते हैं। फिर कलश पर लाल रंग की चुनरी बांधी जाती है। इसके बाद कलश पर एक नारियल रखा जाता है। आइए आज आपको कलश पर रखे इस नारियल का महत्व और लाभ के बारे में बताते हैं। कलश पर नारियल रखने का महत्व ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुभ या मांगलिक कार्यों से पहले कलश स्थापना करना अनिवार्य है। नारियल को माता लक्ष्मी का फल माना गया है। ऐसा कहते हैं कि भगवान विष्णु जब पृथ्वी पर अवतरित हुए तो वे अपने साथ माता लक्ष्मी, कामधेनु गाय और नारियल का वृक्ष लेकर आए थे। इसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देव समाहित हैं। इसलिए किसी भी शुभ कार्य से पहले कलश पर नारियल रखा जाता है। कलश पर नारियल रखने के नियम नवरात्रि में कलश पर नारियल रखने से पहले कुछ विशेष बातों पर ध्

Do you know the benefits of doing Aarti with clove camphor?

Image
क्या आप जानते हैं ज्योतिष के अनुसार लौंग का महत्व, नवरात्रि पूजन में जरूर होता है इसका प्रयोग l लौंग का इस्तेमाल कई तरीकों से खाने और औषधि के रूप में किया जाता है, लेकिन हम आपको इसके ज्योतिषीय महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं। लौंग एक ऐसे गरम मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है जो खाने के स्वाद को कई गुना तक बढ़ा देता है। इसका इस्तेमाल खाने के स्वाद और खुशबू दोनों को बढ़ाने के लिए किया जाता है। यही नहीं इस मसाले के सेहत से जुड़े भी अनगिनत फायदे हैं। आयुर्वेद में भी इस मसाले को औषधि के रूप में इस्तेमाल में लाया जाता है। लेकिन जब बात आती है ज्योतिष की, तब इसका महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है। लौंग का ज्योतिष के अनुसार इस्तेमाल करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और घर में सुख समृद्धि बनी रहती है।  ज्योतिष के अनुसार लौंग का इस्तेमाल पूजा में क्यों किया जाता है और इसके द्वारा किए गए किस तरह के ज्योतिषीय उपायों से आप घर की शांति बनाए रख सकती हैं। ज्योतिष में लौंग के लाभ लौंग को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है। घरों में भोजन के स्वाद और पूजा के साथ-साथ ज्योतिष उपायो

Importance of keeping Shikha Bandhan

Image
* शिखा बन्धन (चोटी) रखने का महत्त्व * शिखा का महत्त्व विदेशी जान गए हिन्दू भूल गए।हिन्दू धर्म का छोटे से छोटा सिध्दांत,छोटी-से-छोटी बात भी अपनी जगह पूर्ण और कल्याणकारी हैं। छोटी सी शिखा अर्थात् चोटी भी कल्याण, विकास का साधन बनकर अपनी पूर्णता व आवश्यकता को दर्शाती हैं। शिखा का त्याग करना मानो अपने कल्याणका त्याग करना हैं। जैसे घङी के छोटे पुर्जे कीजगह बडा पुर्जा काम नहीं कर सकता क्योंकि भले वह छोटा हैं परन्तु उसकी अपनी महत्ता है। शिखा न रखने से हम जिस लाभ से वंचित रह जाते हैं, उसकी पूर्ति अन्य किसी साधन से नहीं हो सकती। 'हरिवंश पुराण' में एक कथा आती है हैहय व तालजंघ वंश के राजाओं ने शक, यवन, काम्बोज पारद आदि राजाओं को साथ लेकर राजा बाहू का राज्य छीन लिया। राजा बाहु अपनी पत्नी के साथ वन में चला गया। वहाँ राजा की मृत्यु हो गयी। महर्षिऔर्व ने उसकी गर्भवती पत्नी की रक्षा की और उसे अपने आश्रम में ले आये। वहाँ उसने एक पुत्र को जन्म दिया, जो आगे चलकर राजा सगर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। राजासगर ने महर्षि और्व से शस्त्र और शास्त्र विद्या सीखीं। समय पाकर राजा सगरने हैहयों को म

16 customary adornments.

Image
हर लड़की के लिए, उसकी शादी का दिन उसकी सभी आशाओं और सपनों की परिणति है, उसके जीवन के एक नए अध्याय की शुरुआत। दुल्हन की पोशाक पहनकर वह खुद का सबसे अच्छा संभव प्रतिबिंब होने की कल्पना करती है। शादी एक ऐसा अवसर होता है जहां एक लड़की एक पूरी तरह से नई भूमिका में एक नए स्थान में परिवर्तन करती है, इसलिए उसे अपने विशेष दिन पर सबसे अच्छा दिखना पड़ता है। और जब भारतीय दुल्हन की बात आती है, तो वह अपने सर्वोत्कृष्ट रूप को पूरा करने के लिए सिर से पांव तक सोलह श्रृंगारों से सजी होती है। सोलह श्रृंगार या 16 सौंदर्य आभूषण एक अनुष्ठान है जो सदियों से भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है। 16 सौंदर्य आभूषण महिला रूपों की सुंदरता और दिव्यता का जश्न मनाने के लिए हैं। भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार "सोलह श्रृंगार" चंद्रमा के सोलह चरणों को दर्शाता है जो एक महिला के मासिक धर्म से संबंधित है। कहा जाता है कि 16 सौंदर्य आभूषण चक्र से उत्पन्न होने वाली नकारात्मकताओं को समाप्त करते हैं। एक महिला की वैवाहिक स्थिति का प्रतीक सोलह श्रृंगार दुल्हन के पहनावे में अनिवार्य तत्व हैं जहां प्रत्येक आभूषण ए

Which color clothes are good and beneficial to wear according to the day ?

Image
  वस्त्र हमारे तन को ढ़कने का काम तो करते ही हैं, ये हमारे व्यक्तित्व, व्यवसाय, चरित्र एवं आत्मविश्वास को भी दर्शाते हैं। आप किसी भी व्यक्ति को उसके कपड़े पहनने के तरीके, कपड़ों के रंग एवं उनकी गुड़वत्ता से आसानी से पहचान सकते हैं।आजकल के आधुनिक युग में फटे हुए कपडे़ पहनना काफी प्रचलन में हैं, लेकिन ऐसे कपडे़ हमारी भारतीय संस्कृति में शुभ नहीं माने जाते क्योंकि ऐसे कपडे़ पहनने से शुक्र ग्रह प्रभावित होता हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार फटे और मैले कपडे़ पहनने से व्यक्ति की शारीरिक क्षमता व सकारात्मक ऊर्जा का नाश होता हैं। ऐसे कपडे़ हमारे तन-मन को शिथिल बनाकर कई प्रकार की बीमारियों को जन्म देते हैं। साथ ही गंदे और फटे वस्त्र दुर्भाग्य लेकर आते हैं, घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आपकी कुंडली के अच्छे-बुरे ग्रह आपके कपड़ों के रंग से भी प्रभावित होते हैं। सभी ग्रहों की कृपा पाने के लिए उनसे सम्बंधित रंग के कपडे़ पहनने चाहिए। प्रकृति एक इंद्रधनुष के समान है। रंग हमारी भावनाओं को दर्शाते हैं। हर रंग का जीव के मन और शरीर से बहुत गहरा संबंध होता है,

Why should we fast during Navratri

Image
नवरात्र में व्रत क्यों रखना चाहिए और इसका क्या लाभ है ? मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि में व्रत रखने से मन, तन और आत्मा शुद्ध होती है। नवरात्रि के दिनों में 9 दिनों तक व्रत रखकर हम अपने मन, तन और आत्मा का शुद्धिकरण कर सकते हैं। इन दिनों में व्रत करने से विशेष फल मिलता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इन दिनों व्रत रखने से मां प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। नवरात्रि के दौरान उपवास क्यों करना चाहिए? नवरात्रि उत्सव रंग, परंपरा, संगीत तथा नृत्य का उत्सव है, साथ ही यह विश्राम करने का, अपने अन्दर  उतरने का और अपनी ऊर्जा के स्तर में वृद्धि करने का समय है। नवरात्रि काल में उपवास करने से परमानंद तथा प्रसन्नता की ओर ले जाने वाला मार्ग सुगम हो जाता है। इससे मन की अस्वस्थता दूर हो जाती है और सजगता और आनंद बढ़ता है। आयर्वेद     के अनुसार उपवास करने से जठराग्नि प्रज्वलित होती है। इस कारण हमारे शरीर में विषाक्त पदार्थ नष्ट हो जाते है। इन विषाक्त पदार्थों का शरीर से निष्कासन होने से सुस्ती कम हो जाती है। शरीर की पेशियों में नवचैतन्य जाग जाता है। इसलिए शरीर शुद्धि के लिए उपवास