Posts

Showing posts with the label ✍ Acharya JP Singh Astrology

Chaturmas will be of 5 months in the year 2023, what is the reason ?

Image
साल 2023 में चातुर्मास 5 महीने का होगा क्या कारण है ?  आषाढ़ माह की देवशयनी एकादशी से चातुर्मास लग जाते हैं. इस साल चतुर्मास 4 नहीं बल्कि 5 महीने का होगा. जानते हैं चातुर्मास कब से शुरू होंगे, इस दौरान क्या करें, क्या न करें.  हिंदू धर्म में चातुर्मास को बहुत खास माना गया है. चातुर्मास यानी वह चार महीने जब देवताओं का शयनकाल रहता है, जिसमें सूर्य दक्षिणायन होते हैं और समस्त मांगलिक कार्य पर रोक लगा जाती है. हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल एकादशी यानी देवशयनी एकादशी  से भगवान श्रीहरि क्षीरसागर में योग निद्रा के लिए चले जाते है और वे वहां चार माह विश्राम करते हैं.  इन चार माह की अवधि को चातुर्मास कहा जाता है. देवों के शयनकाल के समय शुभ कार्य करने की मनाही होती है. इस साल चतुर्मास 4 नहीं बल्कि 5 महीने तक मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी. आइए जानते हैं चातुर्मास कब से शुरू होंगे, इस दौरान क्या करें, क्या न करें.  चातुर्मास 2023 कब से कब तक ?  पंचांग के अनुसार इस साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी 29 जून 2023 को है, इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत हो ...

Worship of Amla tree, Mercury will be strong, Mother Lakshmi's blessings will shower throughout life

Image
आंवला वृक्ष की पूजा, मजबूत होगा बुध ग्रह, जीवनभर बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा प्राचीन काल से ही हमारे ऋषि मुनियों ने आवला को औषधीय रूप में प्रयोग किया। परन्तु आंवले का धार्मिक रूप से भी महत्व माना जाता है। आंवला पूजनीय और पवित्र माना गया है। वामन पुराण में कहा गया है कि आषाढ़ मास के प्रथम बुधवार को आंवला दान किसी ब्राम्हण को भक्तिपूर्वक करने से लक्ष्मी जी जो रूठ गई हों तो उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है। आज आषाढ़ मास का बुधवार और पूर्वा आषाढ़ नक्षत्र भी है। माना जाता है कि आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास होता है। यह वृक्ष विष्णु जी को अत्यंत प्रिय है। कहा जाता है कि आवंले के पेड़ से बुध ग्रह की शांति भी की जाती है। इस पेड की पूजा अर्चना करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं वास्तुशास्त्र में भी आंवले का वृक्ष घर में लगाना शुभ माना जाता है। आंवले के पेड़ को हमेशा पूर्व दिशा में लगाना चाहिए इससे सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता है। इस वृक्ष को घर की उत्तर दिशा में भी लगाया जा सकता है। आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर यज्ञ करने से लक्ष्मी जी की कृपा मिलती है। जिस घर में आंवला सदा मौ...

Tantra Sadhna is specially done in Gupta Navratri.

Image
गुप्त नवरात्रि में विशेष रूप से होती है तंत्र साधना.  सनातन धर्म में मां देवी की आराधना और उन्हें प्रसन्न करना अन्य देवी-देवताओं के मुकाबले थोड़ा मुश्किल है. परंतु जब देवी मां की कृपा किसी भक्त पर पढ़ती है तो उसके जीवन में आ रही समस्याएं दूर होती है और उसके हर काम बनते चले जाते हैं. मां दुर्गा की आराधना के लिए नवरात्रि का पर्व सर्वोत्तम माना जाता है. यह पर्व साल में 4 बार मनाया जाता है जिनमें से दो गुप्त नवरात्रि होती हैं और दो सामान्य मानी जाती हैं. गुप्त नवरात्रि उन लोगों के लिए बेहद खास होती है जो तंत्र साधना में लीन होते हैं या फिर जिन्हें तांत्रिक विद्या को सिद्ध करना होता है.  धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गृहस्थ जीवन जी रहे या फिर साधारण व्यक्ति के लिए सामान्य नवरात्रि विशेष मानी जाती है. ये चैत्र और अश्विन माह की नवरात्रि होती है जिसमें सात्विक या दक्षिणमार्गी साधना करने का विधान है. वहीं माघ और आषाढ़ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. जिसमें तंत्र साधना यानी वाममार्गी साधना का विधान है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार तंत्र साधना के लिए गुप्त नवरात्...

Astrology gives information about monsoon, do you know how ?

Image
सिर्फ मौसम विभाग ही नहीं ज्योतिष भी देता है मानसून की सूचना, जानते हैं कैसे? वर्तमान समय में जलवायु एवं वर्षा को बताने के लिए मौसम विज्ञान के साथ-साथ अनेक नई वैज्ञानिक प्रणालियां प्रचलित हो चुकी हैं लेकिन प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में इसको जानने के लिए ज्योतिष शास्त्र की गणना चली आ रही है। आज भी पंचांगों में वर्षा का योग पंचांग बनाते समय ही बता दिया जाता है। ज्योतिष में वर्षा के आधार जलस्तंभ के रूप में बताया गया है। इसलिए वर्षा को आकृष्ट करने के लिए यज्ञ बहुत महत्वपूर्ण कहा गया है। 'अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्न संभव' वस्तुतः वायु तथा बादलों का परस्पर संबंध होता है। आकाश मंडल में बादलों को हवा ही संचालित करती है वही उनको संभाले रखती है इसलिए वायुमंडल का वर्षा एवं स्थान विशेष में वर्षा करने में महत्वपूर्ण योगदान होता है। तूफानी वायु, जंगलों एवं अन्य स्थानों में लगे हुए वृक्ष मकानों तथा पर्वत की शीला खंडों को उखाड़ फेंकने में समर्थ होते हैं लेकिन जब आर्द्रा, आश्लेषा, उत्तरा भाद्र पद, पुष्य, शतभिषा, पूर्वाषाणा एवं मूल नक्षत्र वारुण अर्थात्‌ जल मंडल के नक्षत्र क...

Due to which planetary combination Is it and when does transfer take place ?

Image
किस ग्रह योग के कारण होता  है और कब होता है तबादला या स्थानांतरण (Transfer) ? अगर आप नौकरी में हैं या सरकारी सेवा में हैं तो आपको नौकरी में तबादलों के लिए तैयार रहना चाहिए। स्थानांतरण (Transfer) बहुत चुनौतीपूर्ण होते हैं क्योंकि आपको न केवल अपना पेशेवर आधार बदलना पड़ता है बल्कि आपको अपने परिवार के सदस्यों और विशेष रूप से पढ़ाई में शामिल बच्चों के लिए स्थान बदलना पड़ता है। यदि आप एक अच्छे स्थान पर नहीं हैं तो आप कुंडली में स्थानान्तरण योग की तलाश करते हैं और यदि आप एक अच्छे स्थान पर हैं तो आप फिर से वैदिक ज्योतिष मे स्थानान्तरण की संभावना तलाशते हैं।  ज्योतिष के लिए धन्यवाद, हम ज्योतिष में स्थानांतरण (Transfer) योग से लेकर कुंडली में नौकरी परिवर्तन और यहां तक ​​कि प्रत्येक राशि के लिए सर्वश्रेष्ठ करियर के संबंध में सब कुछ सीख सकते हैं । हम नौकरी स्थानांतरण (Transfer) के लिए विभिन्न प्रकार के ज्योतिषीय योगों के आधार पर वैदिक ज्योतिष में नौकरी परिवर्तन का समय भी पता कर सकते हैं। अनुभवी ज्योतिषी जन्म तिथि से नौकरी परिवर्तन की भविष्यवाणी कर सकते हैं। और यदि आप प्रशासन म...

Seeing ants in the house is the effect of which planet ?

Image
घर में चीटियां देखना किस ग्रह का प्रभाव है ? शास्त्र में घर में बार-बार चीटियों का आना भविष्य में होने वाली घटनाओं का संकेत देती हैं. इनके रंग और घर में इनके आगमन के स्थान से पहचान सकते हैं कि ये संकेत शुभ है या अशुभ. आइए जानते हैंकाली चीटियों का घर में पश्चिम दिशा से निकलना जल्द विदेश यात्रा का संकेत देती है. काली चीटियों को ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है.शास्त्रों के अनुसार जब चींटियां चावल के भरे बर्तन में से निकले तो यह शुभ माना जाता है. ये धन वृद्धि का संकेत होता है. ये आर्थिक तंगी दूर होने का इशारा करती हैं.लाल चीटियों का घर में प्रवेश करना अच्छा नहीं माना जाता है. कहते ये आने वाली बड़ी मुसीबतों जैसे धन हानि, विवाद का संकेत है. वैसे लाल चीटियां घर में होना शुभ नहीं होता लेकिन अगर ये लाल चीटियां मुंह में अंडा लेकर घर से जाते हुए दिखे तो ये शुभ संकेत होता है. कहते हैं ये घर से नकारात्मक ऊर्जा को अपने साथ ले जाती है. इसका अर्थ है जीवन में कुछ प्रगति होने वाली है. शास्त्रों के अनुसार घर में काली चीटियों का ऊपर की ओर जाने का मतलब होता है जीवन में विकास, सुख, शांति, समृद्धि ...

Role of venus in astrology What ?

Image
ज्योतिष में शुक्र ग्रह की भूमिका   क्या है ? वैदिक ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण सूत्र है और वो है फलित विचार, दरअसल भविष्य में होने वाली किसी भी घटना के बारे में विचार करने को फलित विचार कहते हैं। फलित सूत्र में नॉर्मली 9 ग्रह, 12 भाव और 27 नक्षत्रों से विचार किया जाता है। फलित में 9 ग्रह है, सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध,गुरु, शुक्र,शनि  ये 7 मूल ग्रह माने गए हैं वहीं 2 ग्रह राहु केतु छाया ग्रह माने गए हैं। राहु केतु सदैव एक दूसरे से सप्तम होते हैं और विपरीत यानी वक्री गति से ही चलते हैं तो आइये जानते हैं शुक्र ग्रह के बारे में और साथ ही यह भी जानेंगे कि ज्योतिष में उसकी क्या उपयोगिता है।  वैदिक ज्योतिष में शुक्र एक बेहद महत्वपूर्ण ग्रह हैं जो कि सप्तम भाव यानी कि पत्नी के भाव के कारक होते हैं। इसी भाव से मनुष्य की काम इच्छा का विचार किया जाता है इसलिए कुंडली में शुक्र की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण हो जाती है। शुक्र देव वृषभ और तुला राशि के स्वामी होते हैं। तुला राशि इनकी मूल त्रिकोण राशि होती है जहां ये वृषभ राशि से अच्छे परिणाम देने में समर्थ होते हैं। शुक्र ग्रह...

If the deeds are bad, even the higher planets do not give their auspicious effect.

Image
कर्म बुरे हो तो उच्च ग्रह भी नहीं देते अपना शुभ प्रभाव कई जातकों के जन्मांग में एक से अधिक उच्च ग्रह होते हैं किंतु फिर भी उन्हें इसका पूर्ण शुभ प्रभाव नहीं मिलता। फिर वह ज्योतिषियों के पास भटकता रहता है और पूछता रहता है कि आखिर क्या कारण है कि उच्च ग्रह होने के बाद भी वह परेशानियों से घिरा हुआ है। इसका उत्तर ज्योतिष के ग्रंथ लाल किताब में मिलता है। लाल किताब के अनुसार जातक के कर्म बुरे होते हैं तो उच्च ग्रह भी अपना शुभ प्रभाव नहीं दिखा पाते हैं। उच्च ग्रह का व्यक्ति भी कभी-कभी अपने व्यवहार या दृष्टि से ग्रह के उच्च प्रभाव को खत्म कर देता है जिससे उच्च ग्रह भी नीच प्रभाव देने लगता है। आइए जानते हैं विस्तार से किस भाव में कौन-सा ग्रह उच्च होता है सूर्य - प्रथम भाव में चंद्र - द्वितीय भाव में राहु- तृतीय भाव में गुरु - चतुर्थ भाव में बुध - छठे भाव में शनि - सप्तम भाव में केतु - नवम भाव में मंगल - दशम भाव में शुक्र - द्वादश भाव में पंचम, अष्टम और एकादश भाव में कोई ग्रह उच्च नहीं होता है। सूर्य : जन्मांग में यदि उच्च सूर्य वाला जातक अनाचार, अत्याचार में लिप्त है, अपने उच्चाधिका...