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Showing posts from December, 2022

Why is Putrada Ekadashi celebrated? Know its fasting story

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 क्यों मनाई जाती है पुत्रदा एकादशी? जानें इसकी व्रत कथा धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि कोई जातक इस व्रत को नियम और विधि-विधान से करता है, तो जल्द ही उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही इस व्रत को करने वालों के संतान का स्वास्थ्य भी सदैव अच्छा बना रहता है। इसके अलावा लंबे समय से रुके हुए कार्य की पूर्ति भी होती है।   धर्म में एकादशी को व्रतों में सर्वशेष्ठ माना गया है. वैसे साल में 24 एकादशी होती हैं लेकिन साल 2023 में अधिक मास होने से 26 एकादशी का व्रत रखा जाएगा. खास बात ये है कि नए साल में सबसे पहला व्रत एकादशी का ही है, मान्यता है कि इस व्रत को करने वाला व्यक्ति पाप मुक्ति हो जाता है साथ ही पितरों की कई पीढ़ियों को भी इसका फल. पौष पुत्रदा एकादशी व्रत और पूजा विधि पौष पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प कर शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए। फिर धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह सामग्री से भगवान विष्णु का पूजन, रात को दीपदान करना चाहिए।  साथ ही एकादशी की सारी रात भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करना चाहिए और श्री हरि विष्णु से अनजाने में हुई भूल या पाप के लिए क्षमा मांगनी च

Measures according to the zodiac will prove to be very beneficial

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नए साल में मां लक्ष्मी के साथ नवग्रहों की कृपा पाने के लिए राशि के अनुसार कुछ उपाय करना काफी लाभकारी साबित होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन उपायों को करने से सुख-समृद्धि धन-दौलत की प्राप्ति होगी। ज्योतिष गणना के अनुसार, 12 राशियां किसी न किसी ग्रह से संबंधित है। ग्रहों की स्थिति की असर इन 12 राशियों के जीवन पर जरूर पड़ता है। ऐसे में ग्रहों की अशुभ स्थिति के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए ज्योतिष संबंधी कुछ उपायों को अपना सकते हैं। नए साल आने के कुछ ही घंटे शेष रह गए हैं। हर कोई नया साल को खुशनुमा बनाने के लिए विभिन्न तरह के उपाय आजमा रहा है। सभी चाहते हैं कि आने वाला साल उनके लिए खास हो। ऐसे में आप मां लक्ष्मी के साथ शनि, मंगल, राहु सहित अन्य ग्रहों की असीम कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप अपने राशि के अनुसार ये उपाय आजमा सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नए साल में राशि के अनुसारआप कुछ उपाय करके अपने  जीवन में खुशियां ही खुशियां पा सकते हैं। आइए जानते हैं कि ग्रहों के हिसाब से किन राशियों को क्या उपाय करना होगा शुभ। मंगल ग्रह मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल ग्रह ह

What is Shani's Dhaiya and Shani Sade Sati ?

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क्या है शनि की ढैया और शनि साढ़े सती शनि देव को क्रूर ग्रह माना गया है । शनि की टेढ़ी नज़र, साढ़ेसाती हो या ढैय्या हो किसी को भी बर्बाद कर सकती है । आज हम आपको शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती के बारे में बताएँगे । शनि एक राशि में ढाई साल तक रहते हैं, ऐसे में शनि अपना पूरा चक्र करीब 30 साल में पूरा करते हैं। जब शनि गोचर काल में राशि से चौथे या आठवें भाव में विराजमान हों तो उस स्थिति में शनि की ढैय्या कहलाती है। इस वक्त मिथुन व तुला राशि पर शनि की ढैय्या का प्रभाव बना हुआ है तो धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव बना रहेगा। हम बात कर रहे हैं ढैय्या की तो मिथुन राशि के अष्टम भाव में शनि विराजमान हैं, जिनको कंटक शनि भी कहा जाता है। वहीं तुला राशि के चतुर्थ भाव में शनि विराजमान हैं तो इनको अर्धाष्टम शनि भी कहते हैं। साढ़ेसाती - जब शनि गोचर में जन्मकालीन राशि से द्वादश, चन्द्र लग्न व द्वितीय भाव में स्थित होता है तब इसे शनि की 'साढ़ेसाती' या 'दीर्घ कल्याणी' कहा जाता है। शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहता है। इस प्रकार 'साढ़ेसाती' की संपूर्ण अवधि साढ़े सात

Which planets cause diseases like urine infection and kidney stones ?

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यूरिन इन्फेक्शन और किडनी में स्टोन जैसे रोग किन ग्रहों से उत्पन्न होते हैं ? एस्ट्रो मेडिकल  के अनुसार सभी ग्रह एक निश्चित अंतराल पर अपनी चाल बदलते रहते हैं। ग्रह किसी जातक को उनकी कुंडली में मौजूद स्थिति के आधार पर शुभ या अशुभ फल प्रदान करते हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ग्रहों का संब से भी होता है। हर एक ग्रह किसी न किसी बीमारी का कारक तत्व माना जाता है। व्यक्ति की कुंडली में ग्रह शुभ होने पर व्यक्ति को आर्थिक लाभ के साथ सेहत भी अच्छी बनी रहती है। वहीं अगर कुंडली में ग्रहों की स्थिति शुभ नहीं है तो व्यक्ति को तरह-तरह की मानसिक और शारीरिक पीड़ रहती है। कुंडली में किसी भी विशेष ग्रह का कमजोर होना या दूषित होना,जातक को उस ग्रह से संबंधित बीमारियां देने की आशंका बढ़ा देता हैं। आइए जानते हैं सभी 9 ग्रहों के कमजोर होने पर किस-किस तरह की बीमारियां पैदा होती हैं। गुरु से जनित बीमारियां: कुंडली में गुरु के कमजोर होने से व्यक्ति को मोटापे और पेट से संबंधित रोग होने लगते हैं। व्यक्ति को लीवर, किडनी आदि से संबंधित कोई रोग,मधुमेह,पीलिया और याददाश्त में कमी जैसे रोग उभरने लगते हैं। शुक

There are rules for ringing the bell and know what is its scientific and religious importance.

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घंटी बजाने के नियम है और जानिए क्या है इसका वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व मंदिर में घंटी बजाने की परंपरा काफी प्राचीन है. ऐसा माना जाता मेहै कि इससे ईश्वर जागते हैं और आपकी प्रार्थना सुनते हैं. पर क्या आपको पता है कि घंटी बजाने का मतलब सिर्फ भगवान से ही कनेक्शन नहीं है, बल्क‍ि इसके पीछे वैज्ञानिक पहलू और धार्मिक मान्यताएं भी हैं। आखिर घंटी क्यों बजाई जाती है? और इसके पीछा का वैज्ञानिक पहलू और धार्मिक मान्यताएं क्या हैं? घंटी बजाने का वैज्ञानिक कारण वैज्ञानिक के अनुसार जब घंटी बजाई जाती है तो उसकी आवाज से वातावरण में तेज कंपन उत्पन्न होता है. जो वायुमंडल के कारण सिर्फ आस-पास ही नहीं बल्कि काफी दूर तक जाता है. जिससे फायदा यह होता है कि घंटी की कंपन के प्रभाव से वातावरण में मौजूद हानिकारक जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं और हमारे आस-पास का वातावरण शुद्ध हो जाता है. सिर्फ इतना ही नहीं घंटी बजाने से निकलने वाली आवाज से सात सेकंड तक गूंज बनी रहती है.घंटियों की गूंज हमारे शरीर के सातों चक्र को कुछ समय के लिए सक्रिय कर देती है, जिससे नकारात्मक विचार खत्म होते हैं और सकार

Due to which planet nose ear Have throat problems?

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किस ग्रह के कारण नाक कान गले की समस्या होती है ? अगर कुंडली में बुध खराब हो जाए तो सबसे पहले व्यक्ति में वाणी का दोष पैदा हो जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति या तो हकलाने लगता है, साफ तरीके से नहीं बोल पाता, जल्दी-जल्दी में बोलता है या चीजें स्पष्ट नहीं बोल पाता है। ज्योतिष के अनुसार बुध ग्रह को कुंडली का युवराज कहा जाता है। यह व्यक्ति की वाणी पर प्रभाव डालता है। बुध को कुंडली का मंत्रणा करने वाला ग्रह माना जाता है। साथ ही यह कुंडली के संचार तंत्र का मालिक होता है। अगर कुंडली में बुध खराब हो जाए तो सबसे पहले व्यक्ति में वाणी का दोष पैदा हो जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति या तो हकलाने लगता है, साफ तरीके से नहीं बोल पाता, जल्दी-जल्दी में बोलता है या चीजें स्पष्ट नहीं बोल पाता है। संचार तंत्र का जो सिस्टम है वो कान, नाक और गले से ही चलता है क्योंकि यहीं से पूरे शरीर का कम्युनिकेशन तय होता है। आगे जानते हैं कि बुध दोष से कौन-कौन सी समस्या होती है और ज्योतिष में इसके लिए उपाय क्या बताए गए हैं? अगर बुध कुंडली में खराब है तो कान, नाक और गले की समस्या परेशान करती है। जो लोग गूंगे-बहरे

The bad condition of these planets in the horoscope makes a person poor and poor.

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कुंडली में इन ग्रहों की खराब दशा व्यक्ति को दरिद्र और कंगाल बना देते हैं.  ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति की आर्थिक स्थिति के पीछे कुछ क्रूर और पाप ग्रह होते हैं. कुंडली में इन ग्रहों की खराब दशा व्यक्ति को दरिद्र और कंगाल बना देते हैं.  ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहों की स्थिति के हिसाब से व्यक्ति के जीवन में कई बड़े उतार चढ़ाव आते रहते हैं। कई बार आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण कर्ज में डूब जाते हैं। धन संबंधी कई समस्याओं सामना करना पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, आर्थिक रूप से कमजोर होने के पीछे कुंडली में मौजूद ये तीन ग्रह है। इन तीन ग्रहों की स्थिति खराब होने से व्यक्ति को एक-एक पैसे के लिए भी मोहताज होना पड़ता है।  व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की खराब दशा का प्रभाव पड़ता है. ऐसे में व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. आर्थिक स्थिति खराब होने लगती है, व्यक्ति कर्ज में डुबने लगता है और कंगाली छा जाती है. ये सब कुछ क्रूर और पापी ग्रहों की खराब दशा के कारण होता है. व्यक्ति की आर्थिक स्थिति के लिए ये तीन ग्रह जिम्मेदार माने गए हैं. कुंडली में

From which planet are the lungs and Respiratory illness?

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किस ग्रह से होती है फेफड़ों और सांस से जुड़ी बीमारी ? आजकल सांस और फेफड़ों से जुड़ी बीमारी का प्रकोप अधिक बढ़ गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बीमारियों का संबंध हमारे ग्रहों से होता है। माना जाता है कि यदि कुंडली में किसी ग्रह की स्थिति ठीक न हो, पीड़ित हो तो जातकों को उस ग्रह से सबंधित बीमारियों का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष में फेफड़ों से जुड़ी बीमारी का संबंध चंद्र ग्रह से माना गया है। इसके अलावा चंद्रमा के पीड़ित होने पर व्यक्ति को कफ और मानसिक बीमारी भी हो होती है। कुंडली में चंद्र ग्रह को मजबूत बनाने के लिए सोमवार के दिन शिवजी की आराधना करनी चाहिए। सांस की बीमारियों का जिम्मेदार है चंद्र सांस और फेफड़े से जुड़ी परेशानियां चंद्रमा के कमजोर होने से होती हैं जैसे अस्थमा, निमोनिया, सर्दी, जुकाम आदि. इसके अलावा चंद्रमा मन को विचलित करता है. ऐसे में व्यक्ति को तनाव बहुत होता है. उसे नींद नहीं आती और अन्य मानसिक परेशानियां सताती हैं. देश की स्थिति बहुत बुरी है। कोरोना की दूसरी लहर ने देश को तोड़ कर रख दिया है। रोज कई सौ लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि कोर