What is fate? What is its Vedic basis?

भाग्य क्या है? इसका वैदिक आधार क्या है? हिंदू धर्म के अनुसार कहते हैं कि भाग्य की रचना भगवान ब्रह्मा करते हैं। ऐसा भी सुनने में आता है कि कर्म-रेखाएँ जन्म से पहले ही लिख दी जाती हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि तकदीर के आगे तदवीर (योजना) की नहीं चलती। ये किंवदंतियाँ एक सीमा तक ही सच हो सकती हैं। जन्म से अंधा, अपंग उत्पन्न हुआ या अशक्त, अविकसित व्यक्ति ऐसी विपत्ति सामने आ खड़ी होती है, जिससे बच सकना या रोका जा सकना अपने वश में नहीं होता। अग्निकाण्ड, भूकम्प, युद्ध, महामारी, अकाल, मृत्यु, दुर्भिक्ष, रेल, मोटर आदि का पलट जाना, चोरी, डकैती आदि के कई अवसर ऐसे आ जाते हैं और ऐसी विपत्ति सामने आ खड़ी होती है, जिससे बच सकना या रोका जा सकना अपने वश में नहीं होता। ऐसी कुछ घटनाओं के बारे में भाग्य या होनी की बात मानकर संतोष किया जाता है। पुरुषार्थ का नियम है और भाग्य उसका अपवाद। अपवादों को भी अस्तित्व तो मानना पड़ता है, पर उनके आधार पर कोई नीति नहीं अपनाई जा सकती, कोई कार्यक्रम नहीं बनाया जा सकता। कभी- कभी स्त्रियों के पेट से मनुष्याकृति से भिन्न आकृति के बच्चे जन्म लेते देखे गए...