There are rules for ringing the bell and know what is its scientific and religious importance.


घंटी बजाने के नियम है और जानिए क्या है इसका वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व

मंदिर में घंटी बजाने की परंपरा काफी प्राचीन है. ऐसा माना जाता मेहै कि इससे ईश्वर जागते हैं और आपकी प्रार्थना सुनते हैं. पर क्या आपको पता है कि घंटी बजाने का मतलब सिर्फ भगवान से ही कनेक्शन नहीं है, बल्क‍ि इसके पीछे वैज्ञानिक पहलू और धार्मिक मान्यताएं भी हैं। आखिर घंटी क्यों बजाई जाती है? और इसके पीछा का वैज्ञानिक पहलू और धार्मिक मान्यताएं क्या हैं?

घंटी बजाने का वैज्ञानिक कारण

वैज्ञानिक के अनुसार जब घंटी बजाई जाती है तो उसकी आवाज से वातावरण में तेज कंपन उत्पन्न होता है. जो वायुमंडल के कारण सिर्फ आस-पास ही नहीं बल्कि काफी दूर तक जाता है. जिससे फायदा यह होता है कि घंटी की कंपन के प्रभाव से वातावरण में मौजूद हानिकारक जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं और हमारे आस-पास का वातावरण शुद्ध हो जाता है. सिर्फ इतना ही नहीं घंटी बजाने से निकलने वाली आवाज से सात सेकंड तक गूंज बनी रहती है.घंटियों की गूंज हमारे शरीर के सातों चक्र को कुछ समय के लिए सक्रिय कर देती है, जिससे नकारात्मक विचार खत्म होते हैं और सकारात्‍मक ऊर्जा से शरीर भर जाता है.

घंटी बजाने की धार्मिक महत्व

कहा जाता है कि देवताओं को घंटा, शंख और घड़ियाल आदि की आवाज काफी पसंद होती है. घंटी बजाने से देवताओं की प्रतिमा में चेतना जागृत होती है और वह उपासना करने वाले व्यक्ति की प्रार्थना को ध्यानपूर्वक सुनते हैं. जिससे पूजा का प्रभाव बढ़ जाता है. घंटी बजाने से देवताओं के समक्ष आपकी हाजिरी लग जाती है. स्कंद पुराण के मुताबिक घंटी से जो ध्वनि निकलती है, वह 'ॐ' की ध्वनि के समान होती है, इसलिए माना जाता है कि जब कोई मंदिर में घंटी बजाता है तो उसको 'ॐ' उच्चारण के समान पुण्य प्राप्त होता है।  

पूजा के दौरान क्यों बजाई जाती हैं घंटी? जानें इससे जुड़े नियम और महत्व

हिंदू धर्म में प्रतिदिन घर और मंदिरों में देवी-देवातओं की पूजा की जाती है। पूजा में घंटी बजाने को शास्त्रों में महत्वपूर्ण माना गया है। लेकिन घंटी बजाने के कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है।

हिंदू सनातन धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। सनातन परंपराओं में पूजा के दौरान घंटी बजाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। शास्त्रों के अनुसार घंटी बजाकर पूजा करते हुए भगवान को जगाया जाता है। इसलिए पूजा की अन्य विधियों की तरह घंटी भी जरूरी होती है। लेकिन पूजा के दौरान घंटी के प्रयोग से लेकर कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन पूजा के दौरान जरूर करना चाहिए। तभी पूजा सफल मानी जाती है और देवी-देवता आपकी पूजा को स्वीकार करते हैं। जानते हैं पूजा की घंटी और इससे जुड़े नियमों के बारे में।

 पूजा के समय क्यों बजाते हैं घंटी

मंदिरों में जाते समय उसके प्रवेश द्वार पर ही घंटी लगी होती है। मंदिर में प्रवेश करते समय लोग घंटी बजा कर ही प्रवेश करते हैं। कई लोग मंदिर से निकलते समय भी घंटी बजाकर ही निकलते हैं। मंदिरों में घंटी बजाने के पीछे एक गूढ़ रहस्य छुपा हुआ है। मान्यताओं के अनुसार घंटी बजाने से मस्तिष्क में पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है। घंटी से निकलने वाली कर्णप्रिय ध्वनि से मन में पूजा के प्रति सकारात्मक विचार जागृत होती है। घंटी बजाते हुए पूजा करने से आत्म संतुष्टि मिलती है और भक्तजन शांति का अनुभव करते हैं।

घंटी बजाने के नियम

मंदिर में प्रवेश करते समय आवश्यक रूप से घंटी बजाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि मंदिर में प्रवेश के समय घंटी बजाने से मौजूद देवी-देवताओं में चेतना जागृत होती है और उनका आकर्षण भक्तों की ओर बढ़ता है।मान्यताओं के अनुसार पूजा करने के बाद बाहर निकलते हुए कभी भी घंटी नहीं बजाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार पूजा करने के बाद लौटते हुए घंटी बजाना घंटी के नियमों के विरुद्ध है।

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार जिन स्थानों पर नियमित रूर से पूजा-पाठ किए जाते हैं और घंटियां बजाई जाती है, उस स्थान पर नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। इसलिए नियमित पूजा पाठ और घंटी बजने वाले स्थानों पर वातावरण शुद्ध और माहौल शांतिमय बना रहता है।

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✍आचार्य जे पी सिंह
ज्योतिष, वास्तु विशेषज्ञ एवं एस्ट्रो मेडिकल स्पेशलिस्ट       
www.astrojp.com,
www.astrojpsingh.com
Mob .9811558158

There are rules for ringing the bell and know what is its scientific and religious importance

The tradition of ringing the bell in the temple is very ancient.  It is believed that this wakes up the Gods and listens to your prayers.  But do you know that ringing the bell does not only mean connection with God, but there are also scientific aspects and religious beliefs behind it.  Why is the bell ringing after all?  And what are the scientific aspects and religious beliefs behind its pursuit?

scientific reason for bell ringing

According to the scientist, when the bell is rung, its sound creates a strong vibration in the atmosphere.  Due to the atmosphere, it goes not only nearby but also far away.  Due to which the harmful bacteria, viruses and micro-organisms present in the environment are destroyed by the effect of the vibration of the bell and the environment around us becomes pure.  Not only this, the sound emanating from ringing the bell keeps echoing for seven seconds. The echo of the bells activates the seven chakras of our body for some time, due to which negative thoughts end and the body is filled with positive energy.  Is.

religious significance of bell ringing

It is said that the deities like the sound of bells, conch and gharial etc. very much.  By ringing the bell, consciousness is awakened in the idols of the deities and they listen attentively to the prayer of the worshipper.  Due to which the effect of worship increases.  Ringing the bell marks your presence in front of the deities.  According to the Skanda Purana, the sound that comes out of the bell is similar to the sound of 'Om', so it is believed that when one rings the bell in the temple, he gets the same virtue as chanting 'Om'.

  Why are bells rung during worship?  Learn the rules and importance related to it

  In Hinduism, deities are worshiped daily in homes and temples.  The ringing of bells in worship has been considered important in the scriptures.  But there are some rules for ringing the bell, which are necessary to be followed.

Worship has special importance in Hindu Sanatan Dharma.  In Sanatan traditions, the tradition of ringing the bell during worship has been going on for centuries.  According to the scriptures, God is woken up while worshiping by ringing the bell.  That's why bell is also necessary like other methods of worship.  But there are some rules ranging from the use of bells during worship, which must be followed during worship.  Only then the worship is considered successful and the gods and goddesses accept your worship.  Know about the worship bell and the rules related to it.

Why do bells ring at the time of worship?

While going to temples, a bell is placed at its entrance.  While entering the temple, people enter only by ringing the bell.  Many people leave the temple only after ringing the bell.  There is a deep secret hidden behind the ringing of bells in temples.  According to beliefs, positive energy is transmitted to the brain by ringing the bell.  The melodious sound emanating from the bell awakens positive thoughts towards worship in the mind.  Worshiping while ringing the bell gives self-satisfaction and the devotees feel peaceful.

ringing rules

One must ring the bell while entering the temple.  It is believed that ringing the bell at the time of entering the temple awakens the consciousness of the gods and goddesses present there and increases their attraction towards the devotees. According to beliefs, one should never ring the bell while going out after worshiping.  According to the scriptures, ringing the bell while returning after worship is against the rules of the bell.

According to mythological texts, negative energy is destroyed at those places where worship is done regularly and bells are rung.  That's why the atmosphere remains pure and peaceful at the places of regular worship and ringing of bells.

Read this article carefully and do not keep this knowledge to yourself after reading, share it as much as possible so that this knowledge can reach everyone because the donation of knowledge is most important and beneficial.

✍ Acharya JP Singh
Astrology, Vastu Specialist & Astro Medical Specialist
www.astrojp.com
www.astrojpsingh.com
Mob.9811558158

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