Why is Putrada Ekadashi celebrated? Know its fasting story


 क्यों मनाई जाती है पुत्रदा एकादशी? जानें इसकी व्रत कथा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि कोई जातक इस व्रत को नियम और विधि-विधान से करता है, तो जल्द ही उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही इस व्रत को करने वालों के संतान का स्वास्थ्य भी सदैव अच्छा बना रहता है। इसके अलावा लंबे समय से रुके हुए कार्य की पूर्ति भी होती है। 

 धर्म में एकादशी को व्रतों में सर्वशेष्ठ माना गया है. वैसे साल में 24 एकादशी होती हैं लेकिन साल 2023 में अधिक मास होने से 26 एकादशी का व्रत रखा जाएगा. खास बात ये है कि नए साल में सबसे पहला व्रत एकादशी का ही है, मान्यता है कि इस व्रत को करने वाला व्यक्ति पाप मुक्ति हो जाता है साथ ही पितरों की कई पीढ़ियों को भी इसका फल.

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत और पूजा विधि

पौष पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प कर शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए। फिर धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह सामग्री से भगवान विष्णु का पूजन, रात को दीपदान करना चाहिए। 

साथ ही एकादशी की सारी रात भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करना चाहिए और श्री हरि विष्णु से अनजाने में हुई भूल या पाप के लिए क्षमा मांगनी चाहिए।

अगली सुबह स्नान करके पुनः भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद ही खुद भोजन कराना चाहिए।

पौष पुत्रदा एकादशी 2023 मुहूर्त 
पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत नए साल के पहले ही दिन यानी 01 जनवरी 2023 रविवार को शाम 07 बजकर 11 मिनट पर हो रही है। वहीं अगले दिन 02 जनवरी 2023 दिन सोमवार को रात 08 बजकर 23 मिनट पर इसका समापन होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 2 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। 

पुत्रदा एकादशी कथा-

 पुत्रदा एकादशी व्रत से संबंधित पौराणिक व्रत कथा के अनुसार भद्रावती नामक नगरी में सुकेतुमान नाम का एक राजा राज्य करता था। उसको कोई पुत्र नहीं था। उसकी स्त्री का नाम शैव्या था। वह निपुती होने के कारण सदैव चिंतित रहा करती थी। राजा के पितर भी रो-रोकर पिंड लिया करते थे और सोचा करते थे कि इसके बाद हमको कौन पिंड देगा। राजा को भाई, बांधव, धन, हाथी, घोड़े, राज्य और मंत्री इन सबमें से किसी से भी संतोष नहीं होता था। 

 वह सदैव यही विचार करता था कि मेरे मरने के बाद मुझे कौन पिंडदान करेगा। बिना पुत्र के पितरों और देवताओं का ऋण मैं कैसे चुका सकूंगा। जिस घर में पुत्र न हो, उस घर में सदैव अंधेरा ही रहता है, इसलिए पुत्र उत्पत्ति के लिए प्रयत्न करना चाहिए। जिस मनुष्य ने पुत्र का मुख देखा है, वह धन्य है। उसको इस लोक में यश और परलोक में शांति मिलती है अर्थात उसके दोनों लोक सुधर जाते हैं। पूर्व जन्म के कर्म से ही इस जन्म में पुत्र, धन आदि प्राप्त होते हैं। 

 राजा इसी प्रकार रात-दिन चिंता में लगा रहता था। एक समय तो राजा ने अपने शरीर को त्याग देने का निश्चय किया, परंतु आत्मघात को महान पाप समझकर उसने ऐसा नहीं किया। एक दिन राजा ऐसा ही विचार करता हुआ अपने घोड़े पर चढ़कर वन को चल दिया तथा पक्षियों और वृक्षों को देखने लगा। उसने देखा कि वन में मृग, व्याघ्र, सूअर, सिंह, बंदर, सर्प आदि सब भ्रमण कर रहे हैं। हाथी अपने बच्चों और हथिनियों के बीच घूम रहा है।

 इस वन में कहीं तो गीदड़ अपने कर्कश स्वर में बोल रहे हैं, कहीं उल्लू ध्वनि कर रहे हैं। वन के दृश्यों को देखकर राजा सोच-विचार में लग गया। इसी प्रकार आधा दिन बीत गया। वह सोचने लगा कि मैंने कई यज्ञ किए, ब्राह्मणों को स्वादिष्ट भोजन से तृप्त किया फिर भी मुझको दु:ख प्राप्त हुआ, क्यों?

 राजा प्यास के मारे अत्यंत दु:खी हो गया और पानी की तलाश में इधर-उधर फिरने लगा। थोड़ी दूरी पर राजा ने एक सरोवर देखा। उस सरोवर में कमल खिले थे तथा सारस, हंस, मगरमच्छ आदि विहार कर रहे थे। उस सरोवर के चारों तरफ मुनियों के आश्रम बने हुए थे। उसी समय राजा के दाहिने अंग फड़कने लगे। राजा शुभ शकुन समझ कर घोड़े से उतरकर मुनियों को दंडवत प्रणाम करके बैठ गया। 

राजा को देखकर मुनियों ने कहा- हे राजन्! हम तुमसे अत्यंत प्रसन्न हैं। तुम्हारी क्या इच्छा है, सो कहो। राजा ने पूछा- महाराज आप कौन हैं और किसलिए यहां आए हैं? कृपा करके बताइए। मुनि कहने लगे कि हे राजन्! आज संतान देने वाली पुत्रदा एकादशी है, हम लोग विश्वदेव हैं और इस सरोवर में स्नान करने के लिए आए हैं। 

 यह सुनकर राजा कहने लगा कि महाराज, मेरे भी कोई संतान नहीं है। यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो एक पुत्र का वरदान दीजिए। मुनि बोले- हे राजन्! आज पुत्रदा एकादशी है। आप अवश्य ही इसका व्रत करें, भगवान की कृपा से अवश्य ही आपके घर में पुत्र होगा। मुनि के वचनों को सुनकर राजा ने उसी दिन एकादशी का व्रत किया और द्वादशी को उसका पारण किया। इसके पश्चात मुनियों को प्रणाम करके महल में वापस आ गया। 

 कुछ समय बीतने के बाद रानी ने गर्भ धारण किया और नौ महीने के पश्चात उनके एक पुत्र हुआ। वह राजकुमार अत्यंत शूरवीर, यशस्वी और प्रजापालक हुआ। इस एकादशी के संबंध में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि हर मनुष्‍य को पुत्र की प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य ही करना चाहिए। जो मनुष्य इस एकादशी के माहात्म्य को पढ़ता या सुनता है, उसे अंत में स्वर्ग की प्राप्ति होती है तथा घर सुख-संपदा, पुत्रादि से भरापूरा होकर मनुष्‍य सुखमय जीवन व्यतीत करता है। 

एकादशी पर क्या खाएं और क्या नहीं, जानिए

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बड़ा महत्व है। शास्त्रों के अनुसार हर माह दो एकादशी आती हैं, एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल कृष्ण पक्ष में। सभी धर्मों के नियम भी अलग-अलग होते हैं। खास कर हिंदू धर्म के अनुसार एकादशी व्रत करने की इच्छा रखने वाले मनुष्य को दशमी के दिन से ही कुछ अनिवार्य नियमों का पालन करना चाहिए। इन दिनों कुछ चीजों को सेवन निषेध माना गया है। आइए जानें...

 * एकादशी के दिन यथा‍शक्ति अन्न दान करें, किंतु स्वयं किसी अन्य का दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें। 

 * किसी कारणवश निराहार रहकर व्रत करना संभव न हो तो एक बार भोजन करें। 

 * इस दिन दूध या जल का सेवन कर सकते है। 

 * एकादशी व्रत में शकरकंद, कुट्टू, आलू, साबूदाना, नारियल, काली मिर्च, सेंधा नमक, दूध, बादाम, अदरक, चीनी आदि पदार्थ खाने में शामिल कर सकते हैं। 

 * एकादशी का उपवास रखने वालों को दशमी के दिन मांस, लहसुन, प्याज, मसूर की दाल आदि निषेध वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।

 * एकादशी के दिन प्रात: लकड़ी का दातुन न करें। 

 * इस दिन वृक्ष से पत्ता तोड़ना वर्जित है। अत: स्वयं गिरा हुआ पत्ता लेकर सेवन करें। नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और अंगुली से कंठ साफ कर लें। यदि यह संभव न हो तो पानी से बारह बार कुल्ले कर लें।

 * एकादशी (ग्यारस) के दिन व्रतधारी व्यक्ति को गाजर, शलजम, गोभी, पालक, इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए।

 * एकादशी पर श्री विष्णु की पूजा में मीठा पान चढ़ाया जाता है, लेकिन इस दिन पान खाना भी वर्जित है।

* फलों में केला, आम, अंगूर, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करें। 

 * सूखे मेवे जैसे बादाम, पिस्ता आदि का सेवन किया जा सकता है।

एकादशी तिथि पर जौ, बैंगन और सेमफली नहीं खानी चाहिए।

* इस व्रत में सात्विक भोजन करें। 
* मांस-मदिरा या अन्य कोई भी नशीले पदार्थ का सेवन नहीं करें। 

 * प्रत्येक वस्तु प्रभु को भोग लगाकर तथा तुलसी दल छोड़कर ग्रहण करना चाहिए।

एकादशी पर कर सकते हैं ये उपाय 

एकादशी पर भगवान विष्णु तथा लक्ष्मी की पूजा कर उन्हें पीले चंदन और केसर में गुलाब जल मिलाकर तिलक करें। इसी तिलक से स्वयं भी तिलक लगाएं और काम पर निकलें। ...

एकादशी के दिन व्रत करें और उस दिन एक नारियल को थोड़ा सा काट कर उसमें बूरा और देसी घी मिलाकर भर दें।

इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ें और पढ़ कर इस ज्ञान को अपने तक ही ना रखें इसे अधिक से अधिक शेयर करें ताकि यह ज्ञान सब तक पहुंच सके क्योंकि ज्ञान का दान सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं लाभकारी है

✍आचार्य जे पी सिंह
ज्योतिष, वास्तु विशेषज्ञ एवं एस्ट्रो मेडिकल स्पेशलिस्ट       
www.astrojp.com,
www.astrojpsingh.com
Mob .9811558158

Why is Putrada Ekadashi celebrated?  Know its fasting story

 According to religious beliefs, if a person observes this fast with rules and regulations, then soon he gets the happiness of a child.  Also, the health of the children of those who observe this fast always remains good.  Apart from this, the work that has been stopped for a long time is also completed.

 In religion, Ekadashi has been considered the best among fasts.  Although there are 24 Ekadashi in a year, but in the year 2023, due to more months, 26 Ekadashi fast will be observed.  The special thing is that the first fast in the new year is on Ekadashi only, it is believed that the person who observes this fast becomes free from sin, and many generations of forefathers also get its fruits.

 Paush Putrada Ekadashi fast and worship method

 On the day of Pausha Putrada Ekadashi, waking up early in the morning, taking a vow of fasting, one should take a bath with pure water.  Then worship Lord Vishnu with sixteen ingredients like incense, lamp, naivedya etc., and lamp should be donated at night.

 Along with this, bhajan-kirtan of Lord Vishnu should be done throughout the night of Ekadashi and Shri Hari Vishnu should apologize for unknowingly mistake or sin.

 Next morning after taking bath one should again worship Lord Vishnu.  Only after feeding the Brahmin, one should be fed.

 Paush Putrada Ekadashi 2023 auspicious time
 Ekadashi Tithi of Shukla Paksha of Paush month is starting on the very first day of the new year i.e. January 01, 2023 Sunday at 07.11 pm.  And the next day, on January 02, 2023, Monday, it will end at 08:23 pm.  In this case, according to Udaya Tithi, the fast of Pausha Putrada Ekadashi will be observed on January 2.

 Putrada Ekadashi story-

 According to the mythological story related to Putrada Ekadashi fast, a king named Suketuman used to rule in the city named Bhadravati.  He had no son.  His wife's name was Shaivya.  She was always worried because of her dexterity.  Even the ancestors of the king used to take the pind while crying and used to think that after this who will give us the pind.  The king was not satisfied with any of these brothers, relatives, money, elephants, horses, state and ministers.

 He always used to think that after my death, who would do Pinddaan for me.  How can I repay the debt of ancestors and gods without a son.  In a house where there is no son, there is always darkness in that house, so efforts should be made to have a son.  Blessed is the man who has seen the face of the son.  He gets fame in this world and peace in the hereafter, that means both his worlds improve.  Sons, wealth etc. are obtained in this birth only by the deeds of the previous birth.

 The king used to worry like this day and night.  At one time the king decided to sacrifice his body, but he did not do so considering suicide as a great sin.  One day thinking like this the king mounted his horse and went to the forest and started watching the birds and trees.  He saw that deer, tiger, boar, lion, monkey, snake etc. are all roaming in the forest.  The elephant is roaming among its children and the elephants.

 Somewhere in this forest jackals are speaking in their hoarse voice, somewhere owls are making sound.  Seeing the scenes of the forest, the king started thinking.  Half a day passed like this.  He started thinking that I performed many yagyas, satisfied the brahmins with delicious food, still I got sorrow, why?

 The king became very sad due to thirst and started roaming here and there in search of water.  At a short distance the king saw a lake.  Lotuses were blooming in that lake and storks, swans, crocodiles etc. were roaming around.  Hermitages of sages were built around that lake.  At the same time the king's right limbs started fluttering.  The king got down from his horse thinking it was auspicious omen and sat down after paying obeisance to the sages.

 Seeing the king, the sages said - O king!  We are very pleased with you.  Say what you want.  The king asked - Maharaj, who are you and why have you come here?  Please tell.  Muni started saying that O king!  Today is Putrada Ekadashi, the one who gives children, we are Vishwadev and have come to bathe in this lake.

 Hearing this, the king started saying that Maharaj, I also do not have any children.  If you are pleased with me, then give me the boon of a son.  Muni said - O king!  Today is Putrada Ekadashi.  You must observe this fast, by the grace of God, you will surely have a son in your house.  After listening to the sage's words, the king fasted on Ekadashi on the same day and celebrated it on Dwadashi.  After this he returned to the palace after saluting the sages.

 After some time the queen conceived and after nine months she had a son.  That prince became extremely brave, successful and a protector of the people.  In relation to this Ekadashi, Lord Shri Krishna says that every human being must fast on Putrada Ekadashi to get a son.  The person who reads or listens to the greatness of this Ekadashi, he gets heaven in the end and the person lives a happy life by being full of happiness, wealth, children etc.

 Know what to eat and what not to eat on Ekadashi

 Ekadashi fast has great importance in Hinduism.  According to the scriptures, there are two Ekadashis every month, one in Krishna Paksha and the other in Shukla Krishna Paksha.  Different religions also have different rules.  Especially according to Hindu religion, a person who wants to observe Ekadashi fast should follow some mandatory rules from the day of Dashami itself.  These days some things have been considered taboo.  Let's find out...

 * Donate food as much as you can on the day of Ekadashi, but never accept food given by someone else.

 * If for some reason it is not possible to fast without food, then eat once.

 * You can consume milk or water on this day.

 * Sweet potato, buckwheat, potato, sago, coconut, black pepper, rock salt, milk, almonds, ginger, sugar etc. can be included in the Ekadashi fast.

 * Those who fast on Ekadashi should not consume prohibited items like meat, garlic, onion, lentils etc. on the day of Dashami.

 * Do not do wooden teeth in the morning on Ekadashi.

 Plucking leaves from trees is prohibited on this day.  Therefore, take a fallen leaf and consume it yourself.  Chew lemon, jamun or mango leaves and clean the throat with your finger.  If this is not possible, gargle with water twelve times.

 * On the day of Ekadashi (Gyaras), a fasting person should not consume carrots, turnips, cabbage, spinach, etc.

 * On Ekadashi, sweet betel is offered in the worship of Shri Vishnu, but eating betel is also prohibited on this day.

 * Consume nectar fruits like banana, mango, grapes, almond, pistachio etc. in fruits.

 * Dry fruits like almonds, pistachios etc. can be consumed.

 Barley, brinjal and beans should not be eaten on Ekadashi date.

 * Eat satvik food in this fast.
 * Don't consume meat-alcohol or any other intoxicant.

 * Everything should be accepted by offering food to the Lord and leaving Tulsi Dal.

 You can do these measures on Ekadashi

 Worship Lord Vishnu and Lakshmi on Ekadashi and apply Tilak to them by mixing rose water in yellow sandalwood and saffron.  Apply Tilak yourself with this Tilak and leave for work.  ,

 Fast on the day of Ekadashi and on that day cut a coconut a little bit and fill it with boora and desi ghee.

 Read this article carefully and do not keep this knowledge to yourself after reading, share it as much as possible so that this knowledge can reach everyone because the donation of knowledge is most important and beneficial.

 ✍ Acharya JP Singh
 Astrology, Vastu Specialist & Astro Medical Specialist
 www.astrojp.com
 www.astrojpsingh.com
 Mob.9811558158

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