What is Shani's Dhaiya and Shani Sade Sati ?


क्या है शनि की ढैया और शनि साढ़े सती

शनि देव को क्रूर ग्रह माना गया है । शनि की टेढ़ी नज़र, साढ़ेसाती हो या ढैय्या हो किसी को भी बर्बाद कर सकती है । आज हम आपको शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती के बारे में बताएँगे ।

शनि एक राशि में ढाई साल तक रहते हैं, ऐसे में शनि अपना पूरा चक्र करीब 30 साल में पूरा करते हैं। जब शनि गोचर काल में राशि से चौथे या आठवें भाव में विराजमान हों तो उस स्थिति में शनि की ढैय्या कहलाती है। इस वक्त मिथुन व तुला राशि पर शनि की ढैय्या का प्रभाव बना हुआ है तो धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव बना रहेगा। हम बात कर रहे हैं ढैय्या की तो मिथुन राशि के अष्टम भाव में शनि विराजमान हैं, जिनको कंटक शनि भी कहा जाता है। वहीं तुला राशि के चतुर्थ भाव में शनि विराजमान हैं तो इनको अर्धाष्टम शनि भी कहते हैं।

साढ़ेसाती -

जब शनि गोचर में जन्मकालीन राशि से द्वादश, चन्द्र लग्न व द्वितीय भाव में स्थित होता है तब इसे शनि की 'साढ़ेसाती' या 'दीर्घ कल्याणी' कहा जाता है। शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहता है। इस प्रकार 'साढ़ेसाती' की संपूर्ण अवधि साढ़े सात वर्ष की मानी जाती है। सामान्यतः साढ़ेसाती अशुभ व कष्टप्रद मानी जाती है, परंतु यह एक भ्रांत धारणा है। कुण्डली में स्थित शनि की स्थिति को देखकर ही शनि की साढ़ेसाती का फल कहना चाहिए।

 ढैय्या -

इसी प्रकार शनि जब गोचर में जन्मकालीन राशि से चतुर्थ व अष्टम भाव में स्थित होता है तब इसे शनि का 'ढैय्या' या 'लघु कल्याणी' कहा जाता है। इसकी अवधि ढाई वर्ष की होती है। इसका फल भी साढ़ेसाती के अनुसार ही होता है।

 शनि पाया विचार -

जन्मकालीन राशि से जब शनि 1, 6, 11वीं राशि में हो तो सोने का पाया, 2, 5, 9वीं राशि में हो तो चांदी का पाया, 3, 7, 10वीं राशि में हो तो तांबे का पाया तथा 4, 8, 12वीं राशि में हो तो लोहे का पाया माना जाता है। इसमें सोने का पाया सर्वोत्तम, चांदी का मध्यम, तांबे व लोहे के पाये निम्न व नेष्ट माने जाते हैं।

साढ़ेसाती का अर्थ है – साढ़े सात साल अर्थात जन्म चंद्र से एक भाव पहले, चंद्र राशि व चंद्र राशि से एक भाव आगे तक के शनि के भ्रमण में पूरे साढ़े सात साल का समय लगता है क्योंकि शनि एक राशि में ढ़ाई साल तक रहता है. इस साढ़ेसाती में जातक को कई बार मानसिक व शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ता है लेकिन शनि की साढ़ेसाती सदा बुरी नहीं होती है. शनि की साढ़ेसाती व्यक्ति को कैसे फल प्रदान करेगी यह व्यक्ति की जन्म कुंडली के योगों पर निर्भर करेगा. जन्म कुंडली के योगों के साथ दशा/अंतर्दशा किस ग्रह की चल रही है और दशानाथ कुंडली के किन भावों से संबंध बना रहा है आदि बहुत सी बातें शनि की साढ़ेसाती के परिणाम देने के लिए देखी जाती है. जन्म कुंडली में शनि महाराज स्वयं किस हालत में है, शनि कुंडली के लिए शुभफलदायक हैं अथवा अशुभ फल देने वाले हैं और शनि किन योगों में शामिल हैं अथवा नहीं है, पीड़ित है अथवा नहीं है आदि बातें शनि के लिए देखी जाती हैं. इनके अलावा और भी बहुत सी बातें हैं जिनका विश्लेषण करने के बाद ही शनि की साढ़ेसाती का फल कहना चाहिए.

शनि की साढ़ेसाती, ढैया शुरू होने से पहले मिलते हैं ये संकेत, नज़रअंदाज़ करना पड़ सकता है भारी

शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैया जीवन में एक बड़ी चुनौती बनकर आती है, और यह स्थिति तब और भी अधिक गंभीर हो जाती है जब शनि व्यक्ति की जन्मकुंडली में पीड़ित हों।

शनि सबसे धीमी गति से चलने वाला सौरमंडल का सबसे महत्त्वपूर्ण ग्रह है और प्रत्यक्ष तौर पर सबसे ज्यादा और तुरंत अपने प्रभाव को देने की क्षमता रखता है। दंड और न्याय के कारक ग्रह शनि व्यक्ति को रंक से राजा और राजा से रंक बनाने की क्षमता रखते हैं। यही कारण है कि ढाई साल में शनि जब अपनी राशि बदलते हैं तो यह यह सौरमंडल की बड़ी घटना मानी जाती है, और व्यक्ति से लेकर विश्व के मानचित्र पर भी बड़े बदलाव की आशंका रहती है। फिर चाहे प्राकृतिक आपदा की बात हो, राजनीतिक बदलाव की, सभी जगह शनि अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शनि का यही बदलाव व्यक्ति विशेष के लिए साढ़ेसाती और ढैया का कारण बनती है। 

शनि की साढ़ेसाती का अर्थ?

शनि की साढ़ेसाती का सरल अर्थ होता है कि व्यक्ति की जन्मराशि से एक राशि पहले, जन्मराशि में तथा जन्मराशि से अगले राशि मे जब शनि गोचर यानी कि भ्रमण करे तब शनि की साढ़ेसाती लगती है। साढ़ेसाती यानी साढ़े सात साल और यह साढ़े सात साल ढाई-ढाई साल करके तीन राशियों में गुजरती है। ठीक इसी तरह, शनि जब अपनी जन्मराशि से चतुर्थ या आठवें राशि मे गोचर करने लगे तो यह शनि की अढैया कहलाती है। अढैया यानी अढ़ाई साल और शनि का यह अढ़ाई(ढाई) साल गुजरता है, जन्मराशि से चतुर्थ या आठवीं राशि में।

शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैया से पहले मिलते हैं ये संकेत

शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैया व्यक्ति के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर आती है, और यह स्थिति तब और भी अधिक गंभीर हो जाती है जब शनि व्यक्ति की जन्मकुंडली में पीड़ित या दूषित हों। तो आइए जानते हैं की जब किसी व्यक्ति पर शनि की साढ़ेसाती अथवा ढैया शुरू होने वाली होती है तब यह व्यक्ति को इसके संकेत भी मिलते हैं, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। ये हैं वो संकेत-

शनि का सबसे बड़ा और प्रत्यक्ष असर पैरों में देखने को मिलता है। एड़ियां फटनी शुरू हो जाएंगी अथवा चप्पल जल्दी जल्दी खराब होने शुरू हो जाएंगे।

मन मे अज्ञात भय बनना शुरू हो जाएगा। 

व्यक्ति वर्तमान से दूर होता चला जाएगा और उसका अधिकतर समय भविष्य चिंतन में जाने लगेगा।

स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से पेट मे वायु ज्यादा बननी लगेगी एवं नस-नाड़ी की समस्या उत्पन्न होने लगेगी।

जमीन जायदाद एवं कानूनी अड़चनों का सामना होना शुरू हो जाएगा।

घर मे अनावश्यक कलह और क्लेश का माहौल बनता चला जाएगा।

शनि का अशुभ प्रभाव कैसे करें दूर?

ये तो हुई बात उन लक्षणों की जिसके आधार पर हमें शनि की साढ़ेसाती अथवा शनि की ढैया शुरू होने की सूचना मिलती है। आइए अब हम यह जाने की शनि के इस अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

प्रत्येक शनिवार को शनि मंदिर अथवा  काली मंदिर में नारियल की बलि दें।

तंत्रोक्त देवी सूक्तम का पाठ नियमित तौर पर करें। रोजाना न कर पाने की स्थिति में सिर्फ शनिवार को करें।

जिन लोगों को शनि की साढ़ेसाती अथवा ढैया चल रही है उनलोगों को शनि चालीसा का किया गया पाठ काफी राहत देनेवाला साबित होगा।

''ॐ शं शनैश्चराय नम:” मंत्र का यथासंभव मानसिक जप करें।

किन राशियों पर शुरू हो रही साढ़े साती

इस समय धनु, कुम्भ और मकर राशि में शनि की साढ़े साती शुरू हो रही है। इसमें धनु राशि पर साढ़ेसाती का तीसरा चरण चल रहा है और इन लोगों को जनवरी 2023 में साढ़ेसाती से मुक्ति मिलेगी। वहीं कुंभ राशि वालों के लिए शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण और मकर राशि वालों के लिए तीसरा चरण शुरू हो रहा है। धनु राशि से साढ़ेसाती हटने के बाद मीन राशि वालों की महादशा शुरू होगी।

शनिदेव 17 जनवरी 2023 को मकर से निकलकर कुंभ राशि में गोचर करने लगेंगे। इसके बाद से ही वर्ष 2023 में कुछ राशियों को शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती से मुक्ति मिलेगी या राहत मिलेगी और कुछ राशियों को अभी और झेलना होगा साढ़े साती या ढैया का कष्ट। आओ जानते हैं कि आपकी राशि के लिए अगला वर्ष कैसा है।

धनु राशि: 17 जनवरी 2023 को धनु राशि वालों को शनि की साढ़ेसाती से पूरी तरह मुक्ति मिल जाएगी। शनिदेव की कृपा के चलते सभी अटके कार्य पूर्ण होंगे। घर परिवार में सुख और शांति के साथ ही समृद्धि बढ़ेगी। आपकी राशि पर यह अंतिम चरण चल रहा था।

 मकर राशि: मकर राशि वालों पर शनि की साढ़े साती 26 जनवरी 2017 से शुरू हुई थी। यह 29 मार्च 2025 को समाप्त होगी। लेकिन 2023 में कुंभ में शनि के जाने से मकर राशि वालों को राहत मिलेगी और साल 2023 उनके लिए राहत भरा होकर मिलाजुला असर वाला रहेगा। आपकी राशि पर शनि की साढ़े साती का मध्यम चरण चर रहा है।

कुंभ राशि: 29 अप्रैल 2022 को शनि का कुंभ राशि में प्रवेश हुआ था। फिर 5 जून को शनि इसी राशि में वक्री हुआ। फिर 12 जुलाई को वक्री शनि ने मकर में प्रवेश किया। इसके बाद 23 अक्टूबर को शनि ने मकर में ही मार्गी गति की। अब 17-18 जनवरी 2023 के दरमियान शनि ग्रह कुंभ राशि में गोचर, जहां वह 2025 तक रहेगा। शनि के कुंभ में आने से कुंभ राशि वालों को बहुत हद तक शनि की साढ़ेसाती से राहत मिलेगी। सोचे गए और अटके कार्य पूर्ण होंगे। आपकी राशि पर साढ़े साती का दूसरा चरण प्रारंभ होगा।

 मीन: मीन राशि पर भी 2023 में शनि की साढ़े साती का साया रहेगा। मीन राशि पर शनि की साढ़े साती का पहला चरण 29 मार्च 2025 तक चलेगा और इस राशि पर 7 अप्रैल 2030 तक साढ़े साती रहेगी।

शनि की ढैया 2023 | 

 मिथुन राशि:17 जनवरी 2023 से शनि के मार्गी होने पर मिथुन राशि से पूरी तरह शनि की ढैया का प्रभाव खत्म हो जाएगा। शनिदेव की कृपा के चलते सभी तरह के संकट दूर होकर मनोकामनापूर्ण होगी। आर्थिक हालात में सुधार होगा।

तुला राशि:17 जनवरी 2023 से शनि के मार्गी होने पर तुला राशि से पूरी तरह ढैया का प्रभाव खत्म हो जाएगा। तुला राशि पर शनि की ढैय्या 24 जनवरी 2020 से चल रही है। शनिदेव की कृपा के चलते सेहत में सुधार होगा। भूमि और भवन संबंधी कार्य पूर्ण होंगे।

 कर्क और वृश्‍चिक:17 जनवरी 2023 को कुंभ राशि में शनि के प्रवेश करते ही कर्क और वृश्चिक राशि वालों पर शनि की ढैया शुरू हो जाएगी। ऐसे में इन राशि के जातकों को ढाई साल तक सतर्क रहना होगा।

इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ें और पढ़ कर इस ज्ञान को अपने तक ही ना रखें इसे अधिक से अधिक शेयर करें ताकि यह ज्ञान सब तक पहुंच सके क्योंकि ज्ञान का दान सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं लाभकारी है

✍आचार्य जे पी सिंह
ज्योतिष, वास्तु विशेषज्ञ एवं एस्ट्रो मेडिकल स्पेशलिस्ट       
www.astrojp.com,
www.astrojpsingh.com
Mob .9811558158

What is Shani's Dhaiya and Shani Sade Sati

Shani Dev is considered a cruel planet.  The slanting glance of Shani, whether it is half-and-half or dhaiyya, can ruin anyone.  Today we will tell you about Shani's Dhaiya and Sade Sati.

Saturn stays in a zodiac sign for two and a half years, in such a way Saturn completes its complete cycle in about 30 years.  When Shani is sitting in the fourth or eighth house from the zodiac during transit, then in that situation it is called Shani's bed.  At this time, Saturn's Dhaiyya is under influence on Gemini and Libra, then Saturn's half-and-a-half effect will remain on Sagittarius, Capricorn and Aquarius.  If we are talking about Dhaiya, Saturn is sitting in the eighth house of Gemini, which is also known as Kantak Shani.  On the other hand, Saturn is sitting in the fourth house of Libra, so it is also called Ardhashtam Shani.

Seven and a half -

When Saturn transits in the twelfth house from the natal sign, the Moon ascendant and the second house, then it is called 'Sade Sati' or 'Dirgh Kalyani' of Saturn.  Saturn stays in a zodiac sign for two and a half years.  In this way, the entire period of 'Sade Sati' is considered to be seven and a half years.  Generally half-and-a-half is considered inauspicious and annoying, but this is a misconception.  The result of Saturn's Sade Sati should be said only by looking at the position of Saturn in the horoscope.

Dhaiyya -

Similarly, when Shani is situated in the 4th and 8th house from the natal zodiac sign in transit, then it is called 'Dhaiyya' or 'Laghu Kalyani' of Shani.  Its duration is of two and a half years.  Its fruit is also according to Sade Sati.

Saturn found thoughts -

When Shani is in the 1st, 6th, 11th house from the zodiac sign, gold is found, if it is in the 2nd, 5th, 9th house, then it is silver, if it is in the 3rd, 7th, 10th house, then the copper house and 4th, 8th, 12th house.  If it is in, it is considered to be found of iron.  In this, gold anklets are considered the best, silver anklets are medium, copper and iron anklets are considered low and bad.

The meaning of Sade Sati is seven and a half years i.e. one house before birth moon, moon sign and one house ahead of moon sign, it takes seven and a half years for Saturn to travel because Saturn stays in one sign for two and a half years.  In this half-and-half, the person has to face mental and physical troubles many times, but Saturn's half-and-half is not always bad.  How Saturn's Sade Sati will give results to a person will depend on the yogas of the person's birth chart.  Along with the yogas of the birth chart, which planet's Dasha/Antardasha is going on and which houses Dashanath is making relation with in the Kundli, etc. many things are seen to give the results of Saturn's Sade Sati.  In the birth chart, in what condition is Shani Maharaj himself, whether Shani is auspicious or inauspicious for the horoscope, and in which yogas is Shani included or not, afflicted or not, etc. things are seen for Shani.  Apart from these, there are many other things, which should be said to be the result of Saturn's Sade Sati only after analysis.

These signs are available before Saturn's Sade Sati, Dhaiya begins, may have to be ignored

Saturn's Sade Sati and Shani's Dhaiya pose a great challenge in life, and this situation becomes even more serious when Saturn is afflicted in a person's horoscope.

Shani is the slowest moving most important planet in the solar system and apparently has the ability to give maximum and immediate effect.  Saturn, the factor of punishment and justice, has the ability to make a person from a king to a king and a king to a king.  This is the reason that when Saturn changes its sign in two and a half years, it is considered a major event in the solar system, and there is a possibility of major changes from person to world map.  Whether it is a matter of natural calamity or political change, Saturn plays an important role everywhere.  This change of Shani causes Sade Sati and Dhaiya for a particular person.

Meaning of Shani's Sade Sati?

The simple meaning of Saturn's Sade Sati is that when Saturn transits one zodiac sign before the person's birth sign, in the birth sign and next to the birth sign, then Shani's Sade Sati starts.  Sade Sati means seven and a half years and this seven and a half years passes through two and a half years in three zodiac signs.  In the same way, when Shani starts transiting in the fourth or eighth house from his birth sign, it is called Adhaiya of Shani.  Adhaiya means two and a half years and this two and a half (two and a half) year of Saturn passes in the fourth or eighth zodiac from the birth sign.

These signs are found before Saturn's Sade Sati and Shani's Dhaiya

Saturn's Sade Sati and Shani's Dhaiya poses a great challenge to the individual, and this situation becomes even more serious when Saturn is afflicted or malefic in the horoscope of the individual.  So let's know that when Saturn's Sade Sati or Dhaiya is about to start on a person, then this person also gets its signs, which should not be ignored.  These are the signs-

The biggest and direct effect of Shani is seen in the feet.  The heels will start to crack or the slippers will start to deteriorate very quickly.

Unknown fear will start forming in the mind.

The person will go away from the present and most of his time will start thinking about the future.

From the point of view of health, more air will start forming in the stomach and problems of nerves and pulse will start to arise.

Land property and legal hurdles will start to be faced.

An atmosphere of unnecessary discord and tribulation will continue to be created in the house.

How to remove the inauspicious effect of Shani?

This is a matter of those symptoms, on the basis of which we get information about the beginning of Saturn's half-and-a-half or Shani's dhaiya.  Let us now know what we can do to remove this inauspicious effect of Shani?

Sacrifice coconut in Shani temple or Kali temple every Saturday.

Recite Tantrokta Devi Suktam regularly.  In case of not being able to do it daily, do it only on Saturday.

Recitation of Shani Chalisa will prove to be a great relief to those people who are suffering from Saturn's sadhesati or dhaiya.

"Om Shan Shanaishcharaya Namah" chant the mantra mentally as much as possible.

On which zodiac signs Sade Sati starts

At this time Saturn's Sade Sati is starting in Sagittarius, Aquarius and Capricorn.  In this, the third phase of Sade Sati is going on in Sagittarius and these people will get freedom from Sade Sati in January 2023.  On the other hand, the second phase of Saturn's Sade Sati for Aquarius people and the third phase for Capricorn people is starting.  After the removal of seven and a half years from Sagittarius, the Mahadasha of Pisces will begin.

On January 17, 2023, Shani Dev will leave Capricorn and start transiting in Aquarius.  Only after this, in the year 2023, some zodiac signs will get freedom or relief from Shani's Dhaiya and Sade Sati and some zodiac signs will still have to face the pain of Sade Sati or Dhaiya.  Let's know how is the next year for your zodiac sign.

Sagittarius: On January 17, 2023, the people of Sagittarius will get complete freedom from Shani Sade Sati.  Due to the grace of Shani Dev, all the stuck works will be completed.  Along with happiness and peace in the family, prosperity will increase.  This last phase was going on in your horoscope.

Capricorn: Saturn's Sade Sati on Capricorn people started from January 26, 2017.  It will end on 29 March 2025.  But due to the transit of Shani in Aquarius in 2023, the people of Capricorn will get relief and the year 2023 will be full of relief for them and will have a mixed effect.  The middle phase of Saturn's Sade Sati is passing on your zodiac sign.

Aquarius: On April 29, 2022, Saturn entered Aquarius.  Then on 5th June Saturn retrogrades in this sign.  Then on 12th July retrograde Saturn entered Capricorn.  After this, on October 23, Saturn moved in Capricorn itself.  Now between 17-18 January 2023, Saturn will transit in Aquarius, where it will remain till 2025.  With the coming of Shani in Kumbh, the people of Aquarius will get relief from Shani's half-and-a-half to a great extent.  Thoughtful and stuck tasks will be completed.  The second phase of Sade Sati will start on your zodiac sign.

Pisces: In 2023, Pisces will also be under the influence of Shani Sade Sati.  The first phase of Saturn's Sade Sati on Pisces will last till March 29, 2025 and this sign will remain Sade Sati till April 7, 2030.

Saturn's Dhaiya 2023 |

Gemini: From January 17, 2023, when Saturn becomes direct, the effect of Shani's shadow will completely end from Gemini.  Due to the grace of Shani Dev, all kinds of troubles will be overcome and all wishes will be fulfilled.  Economic situation will improve.

Libra zodiac: From January 17, 2023, when Saturn is direct, the effect of Dhaiya will completely end from Libra zodiac.  Shani's dhaiyya is running on Libra sign from 24 January 2020.  Health will improve due to the grace of Shani Dev.  Land and building related works will be completed.

Cancer and Scorpio: As soon as Saturn enters Aquarius on January 17, 2023, Saturn's shadow will start on Cancer and Scorpio people.  In such a situation, the people of these zodiac signs will have to be alert for two and a half years.

Read this article carefully and do not keep this knowledge to yourself after reading, share it as much as possible so that this knowledge can reach everyone because the donation of knowledge is most important and beneficial.

✍ Acharya JP Singh
Astrology, Vastu Specialist & Astro Medical Specialist
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Mob.9811558158

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