Tantra Sadhna is specially done in Gupta Navratri.


गुप्त नवरात्रि में विशेष रूप से होती है तंत्र साधना.

 सनातन धर्म में मां देवी की आराधना और उन्हें प्रसन्न करना अन्य देवी-देवताओं के मुकाबले थोड़ा मुश्किल है. परंतु जब देवी मां की कृपा किसी भक्त पर पढ़ती है तो उसके जीवन में आ रही समस्याएं दूर होती है और उसके हर काम बनते चले जाते हैं. मां दुर्गा की आराधना के लिए नवरात्रि का पर्व सर्वोत्तम माना जाता है. यह पर्व साल में 4 बार मनाया जाता है जिनमें से दो गुप्त नवरात्रि होती हैं और दो सामान्य मानी जाती हैं. गुप्त नवरात्रि उन लोगों के लिए बेहद खास होती है जो तंत्र साधना में लीन होते हैं या फिर जिन्हें तांत्रिक विद्या को सिद्ध करना होता है.

 धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गृहस्थ जीवन जी रहे या फिर साधारण व्यक्ति के लिए सामान्य नवरात्रि विशेष मानी जाती है. ये चैत्र और अश्विन माह की नवरात्रि होती है जिसमें सात्विक या दक्षिणमार्गी साधना करने का विधान है. वहीं माघ और आषाढ़ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. जिसमें तंत्र साधना यानी वाममार्गी साधना का विधान है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार तंत्र साधना के लिए गुप्त नवरात्रि विशेष स्थान रखती है. इस दौरान 10 महाविद्या की पूजा और साधना करने का अत्यंत महत्व है.

 कहा जाता है जो व्यक्ति तंत्र साधना में विश्वास रखते हैं, वह गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक विद्याओं की सिद्धि करते हैं. यह भी कहा जाता है कि इस दौरान तंत्र विद्या को सिद्ध करने पर सामान्य पूजन से 9 गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है. इस दौरान जो भी साधक साधना करता है उसे गुप्त ही रखा जाता है. जिस तरह सामान्य नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है उसी तरह गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना करने की परंपरा है.

 गुप्त नवरात्रि में सिद्ध होती है गुप्त साधना, तंत्र साधकों के लिए बेहद खास, 9 गुना अधिक मिलता है पूजा का फल

   9 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है. गुप्त नवरात्रि मुख्य रूप से तंत्र विद्या की सिद्धि के लिए महत्वपूर्ण मानी गई है. इस दौरान तंत्र साधक मां दुर्गा को प्रसन्न करते हैं.

 इस नवरात्रि में भी मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है.

 जो लोग तंत्र विद्या में सिद्धि चाहते हैं, वे 10 महाविद्या में से किसी एक की साधना करते हैं.

 सनातन धर्म में मां देवी की आराधना और उन्हें प्रसन्न करना अन्य देवी-देवताओं के मुकाबले थोड़ा मुश्किल है. परंतु जब देवी मां की कृपा किसी भक्त पर पढ़ती है तो उसके जीवन में आ रही समस्याएं दूर होती है और उसके हर काम बनते चले जाते हैं. मां दुर्गा की आराधना के लिए नवरात्रि का पर्व सर्वोत्तम माना जाता है. यह पर्व साल में 4 बार मनाया जाता है जिनमें से दो गुप्त नवरात्रि होती हैं और दो सामान्य मानी जाती हैं. गुप्त नवरात्रि उन लोगों के लिए बेहद खास होती है जो तंत्र साधना में लीन होते हैं या फिर जिन्हें तांत्रिक विद्या को सिद्ध करना होता है. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.

 सामान्य और गुप्त नवरात्रि

 धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गृहस्थ जीवन जी रहे या फिर साधारण व्यक्ति के लिए सामान्य नवरात्रि विशेष मानी जाती है. ये चैत्र और अश्विन माह की नवरात्रि होती है जिसमें सात्विक या दक्षिणमार्गी साधना करने का विधान है. वहीं माघ और आषाढ़ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. जिसमें तंत्र साधना यानी वाममार्गी साधना का विधान है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार तंत्र साधना के लिए गुप्त नवरात्रि विशेष स्थान रखती है. इस दौरान 10 महाविद्या की पूजा और साधना करने का अत्यंत महत्व है.

 सामान्य से 9 गुना अधिक प्राप्त होता है फल

 कहा जाता है जो व्यक्ति तंत्र साधना में विश्वास रखते हैं, वह गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक विद्याओं की सिद्धि करते हैं. यह भी कहा जाता है कि इस दौरान तंत्र विद्या को सिद्ध करने पर सामान्य पूजन से 9 गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है. इस दौरान जो भी साधक साधना करता है उसे गुप्त ही रखा जाता है. जिस तरह सामान्य नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है उसी तरह गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना करने की परंपरा है.

 इन नवरात्रि में भी मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है परंतु जो लोग तंत्र विद्या में सिद्धि चाहते हैं वे 10 महाविद्या में से किसी एक की साधना करते हैं जिससे गुप्त नवरात्रि सफल होती है. ये हैं दस महाविद्या- काली, त्रिपुर सुंदरी, तारा, छिन्नमस्ता, भुवनेश्वरी, धूमावती, त्रिपुर भैरवी, मातंगी, बगलामुखी और कमला. जब भगवान विष्णु शयन कर रहे होते हैं तब देव शक्तियां कुछ कमजोर होने लगती हैं. जिसकी वजह से पृथ्वी पर रुद्र, यम, वरुण आदि का प्रकोप बढ़ जाता है और इन विपत्तियों से बचने के लिए ही गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना करना चाहिए.

 शक्ति साधना के पर्व गुप्त नवरात्रि का रहस्य जानिए.

 हिन्दू माह के अनुसार नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है। चार बार का अर्थ यह कि यह वर्ष के महत्वपूर्ण चार पवित्र माह में आती है। यह चार माह है:- पौष, चैत्र, आषाढ और अश्विन।

 उक्त प्रत्येक माह की प्रतिपदा यानी एकम् से नवमी तक का समय नवरात्रि का होता है। इसमें से चैत्र माह की नवरात्रि को बड़ी नवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि को छोटी नवरात्रि कहते हैं। तुलजा भवानी बड़ी माता है तो चामुण्डा माता छोटी माता है। दरअसल, बड़ी नवरात्रि को बसंत नवरात्रि और छोटी नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहते हैं। प्रथम संवत् प्रारंभ होते ही बसंत नवरात्रि व दूसरा शरद नवरात्रि, जो कि आपस में 6 माह की दूरी पर है।

 भारत में आम जनता के बीच अश्विन मास की नवरात्रि ज्यादा प्रचलित है। इस दिन उत्सव का माहौल रहता है। लोग गरबा नृत्य करते हैं और कन्याओं को भोजन करवाते हैं। यह नवरात्रि दीपावली के पहले आती है। पितृपक्ष के 16 दिनों की समाप्ति के बाद आश्विन मास की नवरात्रि का प्रारंभ होता है। इसी नवरात्रि के प्रारंभ होने के साथ ही भारत में लगातार उत्सव और त्योहारों का प्रारंभ भी हो जाता है।

 बाकी बची दो आषाढ़ और अश्विन माह की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं। यह नवरात्रि साधना के लिए महत्वपूर्ण होती है। जिसमें कि आषाढ़ सुदी प्रतिपदा (एकम) से नवमी तक दूसरा पौष सुदी प्रतिप्रदा (एकम) से नवमी तक। ये दोनों नवरात्रि युक्त संगत है, क्योंकि ये दोनों नवरात्रि अयन के पूर्व संख्या संक्रांति के हैं। यही नवरात्रि अपने आगामी नवरात्रि की संक्रांति के साथ-साथ मित्रता वाले भी हैं, जैसे आषाढ़ संक्रांति मिथुन व ‍आश्विन की कन्या संक्रांति का स्वामी बुध हुआ और पौष संक्रांति धनु और चैत्र संक्रांति मीन का स्वामी गुरु है।

 अत: ये चारों नवरात्रि वर्ष में 3-3 माह की दूरी पर हैं। कुछ विद्वान पौष माह को अशुद्ध माह नहीं गिनते हैं और माघ में नवरात्रि की कल्पना करते हैं। किंतु चैत्र की तरह ही पौष का महीना भी विधि व निषेध वाला है अत: प्रत्यक्ष चैत्र गुप्त आषाढ़ प्रत्यक्ष आश्विन गुप्त पौष माघ में श्री दुर्गा माता की उपासना करने से हर व्यक्ति को मन इच्छित फल प्राप्त होते हैं।

 देवी भागवत के अनुसार जिस तरह वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।

 गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवियां: गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं ।

 भगवान विष्णु शयन काल की अवधि के बीच होते हैं तब देव शक्तियां कमजोर होने लगती हैं। उस समय पृथ्वी पर रुद्र, वरुण, यम आदि का प्रकोप बढ़ने लगता है, इन विपत्तियों से बचाव के लिए गुप्त नवरात्रि  में मां दुर्गा की उपासना की जाती है।

 इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ें और पढ़ कर इस ज्ञान को अपने तक ही ना रखें इसे अधिक से अधिक शेयर करें ताकि यह ज्ञान सब तक पहुंच सके क्योंकि ज्ञान का दान सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं लाभकारी है

 ✍आचार्य जे पी सिंह
 ज्योतिष, वास्तु विशेषज्ञ एवं एस्ट्रो मेडिकल स्पेशलिस्ट www.astrojp.com,
 www.astrojpsingh.com
 Mob .9811558158

Tantra Sadhna is specially done in Gupta Navratri.

 In Sanatan Dharma, worshiping and pleasing Mother Goddess is a bit difficult as compared to other Gods and Goddesses.  But when the grace of Mother Goddess is read on a devotee, then the problems coming in his life go away and all his works go on getting done.  The festival of Navratri is considered best for the worship of Maa Durga.  This festival is celebrated 4 times in a year, out of which two are Gupta Navratri and two are considered normal.  Gupta Navratri is very special for those people who are engrossed in Tantra Sadhna or those who have to prove Tantric knowledge.

 According to religious beliefs, normal Navratri is considered special for a householder or an ordinary person.  This is the Navratri of the month of Chaitra and Ashwin, in which there is a rule to do Satvik or Dakshinmargi sadhna.  On the other hand, Navratri of Magha and Ashadh month is called Gupta Navratri.  In which there is a system of Tantra Sadhna i.e. Left Way Sadhna.  According to popular beliefs, Gupta Navratri holds a special place for Tantra Sadhana.  During this, worshiping and doing sadhna of 10 Mahavidyas is very important.

 It is said that the person who believes in Tantra Sadhna, he achieves success in Tantric learning during Gupta Navratri.  It is also said that on proving Tantra Vidya during this time, the fruit is 9 times more than normal worship.  During this, whatever sadhana is done by the seeker, it is kept secret.  Just as the nine forms of Maa Durga are worshiped in normal Navratri, in the same way there is a tradition of worshiping ten Mahavidyas in Gupta Navratri.

 Gupta Navratri is proven in Gupta Sadhna, very special for Tantra Sadhaks, gets 9 times more result of worship

   Ten Mahavidyas are worshiped in this festival which lasts for 9 days.  Gupta Navratri is mainly considered important for the accomplishment of Tantra Vidya.  During this, Tantra worshipers please Maa Durga.

 In this Navratri also nine forms of Maa Durga are worshipped.

 Those who want success in Tantra Vidya, they do sadhna of any one of the 10 Mahavidyas.

 In Sanatan Dharma, worshiping and pleasing Mother Goddess is a bit difficult as compared to other Gods and Goddesses.  But when the grace of Mother Goddess is read on a devotee, then the problems coming in his life go away and all his works go on getting done.  The festival of Navratri is considered best for the worship of Maa Durga.  This festival is celebrated 4 times in a year, out of which two are Gupta Navratri and two are considered normal.  Gupta Navratri is very special for those people who are engrossed in Tantra Sadhna or those who have to prove Tantric knowledge.  Bhopal resident astrologer and Vastu consultant Pandit Hitendra Kumar Sharma is giving more information on this subject.

 normal and secret navratri

 According to religious beliefs, normal Navratri is considered special for a householder or an ordinary person.  This is the Navratri of the month of Chaitra and Ashwin, in which there is a rule to do Satvik or Dakshinmargi sadhna.  On the other hand, Navratri of Magha and Ashadh month is called Gupta Navratri.  In which there is a system of Tantra Sadhna i.e. Left Way Sadhna.  According to popular beliefs, Gupta Navratri holds a special place for Tantra Sadhana.  During this, worshiping and doing sadhna of 10 Mahavidyas is very important.

 Fruit is obtained 9 times more than normal

 It is said that the person who believes in Tantra Sadhna, he achieves success in Tantric learning during Gupta Navratri.  It is also said that on proving Tantra Vidya during this time, the fruit is 9 times more than normal worship.  During this, whatever sadhana is done by the seeker, it is kept secret.  Just as the nine forms of Maa Durga are worshiped in normal Navratri, in the same way there is a tradition of worshiping ten Mahavidyas in Gupta Navratri.

 Nine forms of Maa Durga are worshiped in this Navratri also, but those who want success in Tantra Vidya, do sadhna of any one of the 10 Mahavidyas, due to which Gupta Navratri is successful.  These are ten Mahavidyas- Kali, Tripura Sundari, Tara, Chinnamasta, Bhuvaneshwari, Dhumavati, Tripura Bhairavi, Matangi, Baglamukhi and Kamla.  When Lord Vishnu is sleeping then the divine powers start getting weak.  Due to which the wrath of Rudra, Yama, Varun etc. increases on the earth and only to avoid these calamities, Maa Durga should be worshiped during Gupta Navratri.

 Know the secret of Gupta Navratri, the festival of Shakti Sadhana.

 Navratri comes four times a year according to the Hindu month.  Four times means that it falls in the four important holy months of the year.  These are four months: Paush, Chaitra, Ashadh and Ashwin.

 Pratipada of each month i.e. from Ekam to Navami is the time of Navratri.  Out of this, Navratri of Chaitra month is called Big Navratri and Navratri of Ashwin month is called Chhoti Navratri.  Tulja Bhavani is the elder mother and Chamunda Mata is the younger mother.  Actually, Badi Navratri is called Basant Navratri and Chhoti Navratri is called Sharadiya Navratri.  As soon as the first Samvat starts, Basant Navratri and second Sharad Navratri, which are at a distance of 6 months from each other.

 Navratri of Ashwin month is more popular among the common people in India.  There is an atmosphere of celebration on this day.  People dance Garba and feed the girls.  This Navratri comes before Diwali.  Navratri of Ashwin month begins after the end of 16 days of Pitrupaksha.  With the beginning of this Navratri, continuous festivities and festivals also begin in India.

 The remaining two Navratri of Ashada and Ashwin month are called Gupta Navratri.  This Navratri is important for Sadhana.  In which from Ashadha Sudi Pratipada (Ekam) to Navami, the other Paush Sudi Pratipada (Ekam) to Navami.  Both of these are compatible with Navratri, because both of them are of Sankranti before Navratri Ayan.  This Navratri is the Sankranti of its upcoming Navratri as well as friendship, like Ashadh Sankranti, Mercury is the lord of Gemini and Ashwin's Virgo Sankranti, Pausha Sankranti is Sagittarius and Chaitra Sankranti is the lord of Pisces.

 Therefore, these four Navratris are at a distance of 3-3 months in a year.  Some scholars do not count the month of Pausha as an impure month and imagine Navratri in Magha.  But like Chaitra, the month of Paush also has rules and prohibitions, therefore, by worshiping Shri Durga Mata in direct Chaitra Gupta Ashadha direct Ashwin Gupta Paush Magh, every person gets desired results.

 According to Devi Bhagwat, the way Navratri comes four times a year and the way nine forms of Goddess are worshiped in Navratri, in the same way ten Mahavidyas are worshiped in Gupta Navratri.  Gupta Navratri holds special significance especially for the people associated with Tantric rituals, Shakti Sadhana, Mahakal etc.  During this, the devotees of Goddess Bhagwati observe fast and practice with very strict rules.  During this, people try to attain rare powers by doing long meditation.

 Prominent Goddesses of Gupta Navratri: During Gupta Navratra many sadhaks worship Maa Kali, Tara Devi, Tripura Sundari, Bhuvaneshwari, Mata Chinnamasta, Tripura Bhairavi, Maa Dhrumavati, Maa Baglamukhi, Matangi and Kamala Devi for Mahavidya (Tantra Sadhana)  .

 Lord Vishnu is in the middle of the period of sleep, then the divine powers start to weaken.  At that time, the outbreak of Rudra, Varun, Yama etc. starts increasing on the earth, to avoid these calamities, Maa Durga is worshiped in Gupta Navratri.

 Read this article carefully and do not keep this knowledge to yourself after reading, share it as much as possible so that this knowledge can reach everyone because the donation of knowledge is most important and beneficial.

 ✍ Acharya JP Singh
 Astrology, Vastu Specialist & Astro Medical Specialist www.astrojp.com,
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 Mob.9811558158

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