Go through your horoscopehow will old age be ?
अपनी कुंडली से जाने आपका
बुढ़ापा(वृद्ध अवस्था)कैसा होगा ?
मतलब बुढ़ापा में हर माता पिता को यही आस होती है की बुढ़ापे(वृद्ध अवस्था) में बच्चे मतलब बेटा/संतान साथ रहे।अब बुढ़ापे में संतान साथ रहेगी या नही रहेगी या किसी कारण वश संतान को नोकरी या अन्य किसी कारण से दूर रहना पड़ेगा, संतान माता-पिता की अहमियत समझेगी या नही और क्या संतान साथ बुढ़ापे में रहेगी और क्या सुख रहेगा अब इस विषय पर बात करते है:-
बुढ़ापे/वृद्ध अवस्था मे संतान का साथ और सुख रहे इसके लिए जरूरी जातक/जातिका(माता-पिता) की कुंडली में 5वे भाव और इसके स्वामी की स्थिति अच्छी होना और शुभ ग्रहों गुरु शुक्र बुध चन्द्र जैसे शुभ ग्रहों के प्रभाव में होने से और पाचवे भाव और इस भाव स्वामी के अच्छी अवस्था मे होने से संतान का साथ और सुख बुढ़ापे में रहेगा और संतान साथ रहेगी अब दूसरी स्थिति में जब माता-पिता(जातक-जातिक) की कुंडली मे 5वे भाव और इस भाव का स्वामी पृथकता मतलब अलग कर देने वाले पाप ग्रहों शनि या राहु केतु के प्रभाव में हो और और 5वे भाव या 5वे भाव स्वामी पर कोई शुभ प्रभाव न जो तब संतान बुढ़ापे में साथ नही रहती , जब यहां दो बातें होगी यदि 5वे भाव(संतान भाव) और 5वे भाव स्वामी पाप ग्रहों से दूषित होकर अशुभ है तब संतान स्वयम ही माता-पिता से दूर रहना चाहती है माता-पिता को न साथ रखना चाहती है और न साथ रहना चाहती है जबकि अब यदि 5वे भाव और 5वे भाव स्वामी पर शनि राहु केतु का प्रथकतावादी प्रभाव है और कही न कही 5वे भाव और 5वे भाव स्वामी पर शुभ ग्रहों गुरु शुक्र बुध चन्द्र या इनमे से किन्ही 2 शुभ ग्रहों का भी प्रभाव है तब संतान माता-पिता के साथ तो रहना चाहती है लेकिन किसी न किसी कारण से माता-पिता से बुढ़ापे में दूर रहती है या यह कहु माता पिता के लियर हमदर्दी संतान के मन मे होती है लेकिन बच्चे या संतान सुख बुढ़ापे में ऐसे जातक/जातिकाओ के पास नही होता हैं पाप और दूरियां बनाने वाले ग्रहों के प्रभाव के साथ जब 5वे भाव या इसके स्वामी पर शुभ प्रभाव यदि ज्यादा है तब उपाय करके ऐसी स्थिति में संतान साथ मे रहने लगती है या यह कहू संतान सुख बुढ़ापे में बना रहता है क्योंकि शुभ ग्रहों का प्रभाव कही न कही संतान के सुख और साथ दिलाने के लिए विवश है।। कुंडली का 12वा भाव जो कि दूरियों का है और केंद्र या त्रिकोण भाव जो कि सुख के है यदि इनका प्रभाव 5वे भाव या 5वे भाव स्वामी पर है तब 12वे भाव प्रभाव से दूरियां और केंद्र और त्रिकोण भाव के स्वमियो का प्रभाव भी संतान को पास रखने, बुदाफे में सुख और साथ बना रहे संतान का यह फल करेगा।।
अब कुछ उदाहरणो से समझते है कब संतान पास रहती है बुदाफे में और कब दूर और क्या बुढ़ापे में सुख मिलेगा या नही आदि??
उदाहरण_अनुसार 1:- मेष लग्न कुंडली मे 5वे भाव(संतान भाव) का स्वामी सूर्य बनता है अब सूर्य यहां शनि और राहु के।साथ बैठकर पीड़ित हो जाये या शनि राहु की दृष्टि से पीड़ित हो जाये और किसी भी शुभ ग्रह या ग्रहों का प्रभाव 5वे भाव या 5वे भाव स्वामी सूर्य पर नही हैं तब यहाँ बुढ़ापे में संतान दूर हो जाएगी संतान का सुख और साथ बुढ़ापे(वृद्ध अवस्था) मे नही मिलेगा।।जबकि यही अब सूर्य शनि राहु से पीड़ित होने के साथ साथ यदि बलवान हो और शुभ ग्रहों के प्रभाव में हो जैसे, सूर्य मेष लग्न में ,अपनी उच्च राशि मेष में बैठ जाये और शुक्र और गुरु भी सूर्य के साथ बैठे हो तब यहाँ शनि राहु संतान सुख नही छीन पाएंगे और संतान सुख बुढ़ापे में बना रहेगा, संतान साथ ही रहेगी कुछ वैचारिक मतभेदों के साथ, क्योंकि राहु शनि का प्रभाव भी है तो यह वैचारिक मतभेद रखेगे।।
उदाहरण_अनुसार 2:-मिथुन लग्न कुंडली मे 5वे भाव(संतान भाव) का स्वामी शुक्र बनता है अब शुक्र यहाँ 12वे भाव मे बैठा हो और शुक्र पर शनि की दृष्टि हो साथ ही संतान सुख कारक ग्रह गुरु भी कमजोर हो तब बुदाफे में संतान साथ नही रहेगी दूर हो जाएगी क्योंकि एक तो संतान स्वामी शुक्र 12वे भाव(प्रथकतावादी और दूरियों के भाव मे है साथ ही प्रथकतावादी पाप ग्रह शनि की दृष्टि में है) जिस कारण संतान दूर रहेगी।।
अब एक उदाहरण से समझते है कब संतान का सुख बुढ़ापे में अच्छा रहता है और संतान सुख बना रहता है?
उदाहरण_अनुसार3:- मकर लग्न,मकर लग्न कुंडली मे 5वे भाव स्वामी शुक्र बनता है अब शुक्र यहाँ बलवान होकर बैठा हो और पीड़ित न हो जैसे, शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में तीसरे भाव मे बैठा हो और पीड़ित न हो तब संतान सुख बुदाफे में अच्छा रहेगा और यहाँ स्वयम लग्न स्वामी शनि भी संतान स्वामी शुक्र के साथ बैठ जाये और पीड़ित न जो शनि शुक्र तब संतान सुख बहुत अच्छा रहेगा वृद्ध अवस्था मे संतान का साथ और सुख बना रहेगा, और यहाँ शुक्र के साथ गुरु और बुध जैसे शुभ ग्रह भी हो जाये तब शुरू से ही और बुदाफे में भी संतान बहुत सुख देती है और संतान मन से आपकी सेवा करेगी और साथ रहेगी क्योंकि यहाँ 5वे भाव स्वामी(संतान भाव स्वामी)शुक्र के साथ अधिक से अधिक शुभ ग्रह है और सबसे अच्छी स्थिति लग्नेश साथ बैठा है।।
संतान की कुंडली मे भी यदि माता-पिता सुख की स्थिति अच्छी होनी चाहिए क्योंकि जब संतान की कुंडली मे माता-पिता सुख की स्थिति अच्छी होगी और माता-पिता की कुंडली मे भी संतान सुख और साथ कि स्थिति अच्छी होगी तब संतान सुख श्रवण कुमार जैसा अच्छा मिलेगा।
क्या शनि ग्रह बुढ़ापे एवं बीमारियों का कारक है
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि एक क्रूर, तामसिक, पापी, अलगाववादी ग्रह है. यह स्वभाव से उदासीन है और वैराग्य का प्रतीक है. यह एक ठंडी प्रकृति वाला शीतल ग्रह है. यह वात प्रकृति वाला है. यह अंतर्मुखी स्वभाव वाला व एकांतप्रिय ग्रह है. यह एक योगी व तपस्वी ग्रह है. शनि पश्चिम दिशा का स्वामी है. शनि आयु, मृत्यु, बुढ़ापा, रोग, निर्धनता, गरीबी, दुःख, बीमारी, कष्ट, विपत्ति, गोपनीयता, कारावास, विज्ञान, गूढ़ता, तेल, ख़निज, मजदूर, सेवक, दासता, कठोर, परिश्रम, लकड़ी, पत्थर, टांगे, अपंगता, आत्मत्याग, सहनशीलता, आलस्य, भूमि, विलंब आदि का कारक ग्रह है. शनि का प्रभाव सामान्यतः विच्छेदात्मक व अलगाववादी होता है.
शनि कर्मों का नियंत्रक है इसलिए यह मनुष्य के शुभ-अशुभ कर्मों के अनुसार फल देता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह न्याय का देवता व दंडाधिकारी है. यह काल का देवता व मृत्यु का प्रतीक है इसलिए अधिकतर मनुष्य इससे भय खाते हैं. लेकिन शनि हमारे शुभ-अशुभ कर्मों के अनुसार हमारा न्याय करता है. कुंडली में बली शनि दीर्घायु, परिपक्वता, अनुशासन व अध्यात्म में रुचि प्रदान करता है. बली शनि लगातार काम करने की शक्ति, सहनशीलता, धैर्य व संयम देता है. कुंडली में निर्बली शनि कष्ट,दरिद्रता, रोग, दुःख व निर्धनता प्रदान करता है.
इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ें और पढ़ कर इस ज्ञान को अपने तक ही ना रखें इसे अधिक से अधिक शेयर करें ताकि यह ज्ञान सब तक पहुंच सके क्योंकि ज्ञान का दान सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं लाभकारी है
✍आचार्य जे पी सिंह
ज्योतिष, वास्तु विशेषज्ञ एवं एस्ट्रो मेडिकल स्पेशलिस्ट
www.astrojp.com,
www.astrojpsingh.com
Mob .9811558158
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how will old age be ?
Means in old age, every parent has the same hope that in old age (old age) children means son / child should stay with them. Now whether the child will stay with them in old age or not or for some reason the child will have to stay away from job or any other reason. Whether the child will understand the importance of parents or not and whether the child will stay with them in old age and whether there will be happiness, now let's talk about this topic: -
For the company and happiness of children in old age/old age, it is necessary that the 5th house in the horoscope of the native/parents and the position of its lord should be good and benefic planets like Jupiter, Venus, Mercury, and Moon should be under the influence of the auspicious planets. With the fifth house and this lord being in a good state, the children will be with and happy in old age and the child will be with them. If the malefic planets are under the influence of Shani or Rahu Ketu and there is no auspicious effect on the 5th house or 5th house owner, then the child does not stay with you in old age, when two things will happen here if the 5th house (child house) and the 5th house The lord is inauspicious by being contaminated by malefic planets, then the child itself wants to stay away from the parents, neither wants to keep the parents nor wants to live with them, while now if the 5th house and the 5th house lord are aspected by Shani Rahu Ketu There is influence and somewhere the 5th house and 5th house lord is influenced by auspicious planets Guru, Venus, Mercury, Moon or any 2 of these auspicious planets, then children, parents Wants to live with her but stays away from her parents in old age due to one or the other reason or should I say that there is sympathy for the parents in the mind of the children, but such natives do not have children or child happiness in old age. It happens when there is auspicious effect on the 5th house or its owner with the influence of planets that create sin and distance, then by taking measures, in such a situation, children start living together or should we say that the child remains happy in old age, because of the presence of auspicious planets. Somewhere the influence is bound to bring happiness and companionship of the child. The 12th house of the horoscope which is of distance and the center or triangle house which is of happiness, if they have influence on the 5th house or the lord of the 5th house, then the distance from the 12th house effect and the effect of the lords of the center and triangle house will also keep the children close. , Happiness in Budafe and this will bear the fruit of the child being together.
Now let's understand from some examples, when the children stay near in old age and when far away and whether there will be happiness in old age or not etc.??
Example_According to 1:- Sun becomes the lord of 5th house (child house) in Aries Lagna Kundli. Now Sun gets afflicted by sitting here with Saturn and Rahu or Shani gets afflicted by the aspect of Rahu and the effect of any auspicious planet or planets. The 5th house or 5th house lord is not on the Sun, then the child will go away in old age, the happiness and companionship of the child will not be available in old age (old age). While this Sun is afflicted by Saturn and Rahu, if it is strong and auspicious. If the Sun is under the influence of the planets, for example, if the Sun sits in Aries ascendant, in its exaltation sign Aries, and Venus and Jupiter are also sitting with the Sun, then Shani Rahu will not be able to take away the happiness of children and the happiness of children will remain in old age, children will remain with them. With some ideological differences, because Rahu is also under the influence of Shani, so it will keep ideological differences.
According to example 2:- Venus becomes the lord of 5th house (child house) in Gemini ascendant horoscope, now Venus is sitting here in 12th house and Venus is being aspected by Saturn, as well as child happiness planet Jupiter is also weak, then children will not be with you in Budafe. Will stay away, because one, the lord of the child, Venus, is in the 12th house (separatist and in the sense of distance, as well as the separatist is in the aspect of the evil planet Saturn) because of which the child will stay away.
Now let's understand with an example, when the happiness of the child remains good in old age and the happiness of the child remains?
Example_According to 3:- Venus becomes the lord of 5th house in Capricorn Ascendant, Capricorn Ascendant Kundli, now Venus is sitting here being strong and not afflicted like, Venus is sitting in its exalted sign Pisces in the third house and is not afflicted, then child happiness is good in Budafe. It will be there and here self-ascendant Shani also sits with the child's lord Venus and if Saturn and Venus do not suffer, then the child's happiness will be very good, in the old age the child's company and happiness will remain, and here along with Venus, auspicious planets like Guru and Mercury will also remain. If it happens then from the beginning and in Budafe also the child gives a lot of happiness and the child will serve you whole heartedly and will be with you because here 5th house lord (child house lord) is more and more auspicious planet with Venus and best position is with Lagnesh. Is sitting.
Even in the horoscope of the child, if the condition of happiness of the parents should be good because when the condition of happiness of the parents is good in the horoscope of the child and the condition of happiness and companionship of the child is also good in the horoscope of the parents, then the happiness of the child Shravan Kumar As good as you get.
Is Saturn the cause of old age and diseases?
According to astrology, Shani is a cruel, vengeful, sinful, separatist planet. It is indifferent in nature and is a symbol of disinterest. It is a cold planet with a cold nature. It is of Vata nature. It is an introverted and reclusive planet. It is a yogi and ascetic planet. Saturn is the lord of the west direction. Saturn Age, Death, Old age, Disease, Poverty, Poverty, Sorrow, Illness, Suffering, Calamity, Secrecy, Imprisonment, Science, Mystery, Oil, Mineral, Laborer, Servant, Slavery, Hard work, Wood, Stone, Leg, Disability The planet is the factor of self-sacrifice, tolerance, laziness, land, delay etc. The effect of Shani is generally divisive and separatist.
Shani is the controller of actions, so it gives results according to the good and bad deeds of a man. According to astrology, it is the god of justice and magistrate. It is the god of time and the symbol of death, so most of the people are afraid of it. But Shani judges us according to our good and bad deeds. Strong Shani in the horoscope gives longevity, maturity, discipline and interest in spirituality. Bali Shani gives strength, tolerance, patience and restraint to work continuously. Weak Saturn in the horoscope gives pain, poverty, disease, sorrow and poverty.
Read this article carefully and do not keep this knowledge to yourself after reading, share it as much as possible so that this knowledge can reach everyone because the donation of knowledge is most important and beneficial.
✍ Acharya JP Singh
Astrology, Vastu Specialist & Astro Medical Specialist
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