Effect of afflicted moonwhat happens ?
पीड़ित चंद्रमा का प्रभाव
क्या होता है ?
आज के समय में हर व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से घिरा हुआ है. फिर चाहे उसका कारण आनुवांशिकता हो या फिर खराब लाइफस्टाइल. हर कोई अपने सेहत के लिए डॉक्टरों के चक्कर काटते ही नजर आएगा. लेकिन कई बार अच्छे से अच्छे डॉक्टर या सही ट्रिटमेंट के बाद भी आराम नहीं आता, तो उसमें व्यक्ति के ग्रह नक्षत्र भी वजह हो सकते हैं.
ज्योतिष के अनुसार कुछ बीमारियों की वजह हमारे ग्रहों की खराब स्थितियां होती हैं.ज्योतिष अनुसार जब कोई ग्रह हमारी कुंडली में खराब दशा में होता है, तो उसके नकारात्मक प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ते हैं. इन नकारात्मक प्रभावों के कारण व्यक्ति को कई रोग घेर लेते हैं. कई बार कुडंली में चंद्र कमजोर होता है. जिस कारण व्यक्ति को फेफड़ों की परेशानी का सामना करना पड़ता है.
कुंडली में कमजोर चंद्र से होती हैं ये बीमारियां
ज्योतिषियों का मानना है कि चंद्र ग्रह का संबंध जल और मन से है. ऐसे में चंद्र के कमजोर होने पर व्यक्ति को खांसी-जुकाम, अस्थमा, आईएलडी आदि सांस या फेफड़ों से संबंधित बीमारियां परेशान करती हैं. इसके अलावा तनाव, डिप्रेशन, एकाग्रता की कमी, नींद न आना और दिमाग को विचलित करने वाली सभी समस्याओं की वजह भी चंद्र का कमजोर होना ही है. अगर आप या कोई जानकार भी इस समस्या से जूझ रहा है, तो इन उपायों तो करने से चंद्र को मजबूत किया जा सकता है.
चन्द्रमा मन का अधिष्ठाता है। मन की कल्पनाशीलता चन्द्रमा की स्थिति से प्रभावित होती है। ब्रह्मांड में जितने भी ग्रह हैं, उन सभी का व्यक्ति के जीवन पर विशेष और अत्यंत महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। मानव ने जब से काल के चिंतन का आरंभ किया, उसी समय से चन्द्रमा उसके लिए अपने घटने-बढ़ने की प्रक्रिया के कारण प्रकृति का अखंड और निर्विवाद पंचांग रहा है। संसार के सभी धर्मों के धर्मग्रंथों में प्रत्येक काल में चन्द्रमा की तिथियों के अनुसार ही धार्मिक विधि रचने का उल्लेख पाया जाता है।
चन्द्रमा मन का अधिष्ठाता है। मन की कल्पनाशीलता चन्द्रमा की स्थिति से प्रभावित होती है। ब्रह्मांड में जितने भी ग्रह हैं, उन सभी का व्यक्ति के जीवन पर विशेष और अत्यंत महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। मानव ने जब से काल के चिंतन का आरंभ किया, उसी समय से चन्द्रमा उसके लिए अपने घटने-बढ़ने की प्रक्रिया के कारण प्रकृति का अखंड और निर्विवाद पंचांग रहा है। संसार के सभी धर्मों के धर्मग्रंथों में प्रत्येक काल में चन्द्रमा की तिथियों के अनुसार ही धार्मिक विधि रचने का उल्लेख पाया जाता है।
व्यक्ति के चरित्र के सूक्ष्म रूप, विशिष्ट गुण, उसकी प्रतिभा, भावनाओं, प्रवृत्तियों, योग्यताओं तथा भावनात्मक प्रवृत्ति आदि का ज्ञान जन्मकाल के ग्रहों की स्थिति से मालूम हो जाता है।
चंद्रमा जातक के मन का स्वामी होता है। जन्म कुंडली में चंद्रमा की स्थिति ठीक न हो या वह दोषपूर्ण स्थिति में हो तो जातक को मन और मस्तिष्क से संबंधी परेशानियां होती हैं।
चन्द्रमा मन हैं और इस मन पर ग्रहों का प्रभाव पड़ता है तो चन्द्रमा उन ग्रहों या नक्षत्रों का प्रभाव देने लगता है। पृथ्वी और नक्षत्रों के बीच जब चन्द्रमा आते हैं तो नक्षत्रों के विकिरण चन्द्रमा पर भारी प्रभाव डालते हैं, इसलिए चन्द्रमा का आचरण भिन्न-भिन्न होता है। चन्द्रमा जीव जगत में रस की सृष्टि करते हैं।
चन्द्रमा को इतना महत्व दिया गया है कि जन्म लग्न के समान ही चन्द्र लग्न को माना गया है। नीच भंग राजयोग में चन्द्र लग्न का बड़ा महत्व है। श्रेष्ठ योजनाकारी के, राजपुरुषों के चन्द्रमा बहुत बली होना आवश्यक है। दूसरी तरफ अपराधियों, पागल व्यक्ति, विकृत मानसिकता वाले व्यक्ति, कुटिल मन व्यक्ति, भावुक व्यक्ति इन सबका क्षीण या पापयुत चंद्र होता है। चन्द्रमा के साथ केतु जैसे ग्रह मन को क्लांत रखते हैं।
इनमें ध्यान से देखें तो चन्द्रबल को लेकर अधिकांश योग आदि गढ़े गए हैं। चन्द्रबल विचार का एक अन्य फार्मूला निकाला गया है।
उसके अनुसार जन्म का चन्द्रमा हो तो लक्ष्मी प्राप्ति, द्वितीय हो तो मन संतोष, तृतीय चंद्रमा हो तो धन-संपत्ति प्रदायक, चौथा चन्द्रमा हो तो कलह, पांचवां हो तो ज्ञानवृद्धि, छठा हो तो धनप्रदायक, सातवाँ हो तो राज-सम्मान, 8वां हो तो मृत्यु भय, 9वें चन्द्रमा से धनलाभ, 10वें से मनोकामना पूर्ति, 11वें चन्द्रमा को लेकर जो वर्जनाएँ की गई हैं वे अतिमहत्वपूर्ण हैं।
दिशाशूल, चन्द्रमा का गोचर, चन्द्रमा का शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष में होना, चन्द्रमा का ग्रहों से वेध, भद्रा, पंचक, विवाहकाल में नाड़ी दोष, भकूट दोष आदि बड़े महत्व के हैं। अमावस्या आदि का विचार सबसे अधिक करना चाहिए। किसी मुहूर्त को साधते समय कम से कम इतना अवश्य करें कि मुहूर्त लग्न के किसी अच्छे भाव में चन्द्रमा स्थित हों तो कार्यसिद्धि की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं।
प्रश्न लग्न के मामलों में विशेष रूप से पाया है कि चन्द्रमा पापग्रहों से विद्ध हो या चन्द्रमा पापकर्तरि में हो तो प्रश्न का उत्तर नकारात्मक आता है। यदि किसी ऐसे जातक के लिए प्रश्न किया जाए जो घर से भागा हो, जिसका अपहरण किया गया हो या बीमार चल रहा हो तो अवश्य जातक की जीवनरक्षा की चिंता करनी पड़ती है।
चंद्रमा मन का कारक है। चंद्रमा चतुर्थ भाव का भी कारक है। यह माता का सुख,भवन और आवास का सुख, वाहन का सुख और अन्य सुख-सुविधाएं देने वाला होता है। चंद्रमा रोहिणी हस्त और श्रवण नक्षत्र का स्वामी है। यदि किसी की जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव में अथवा चतुर्थ भाव का कारक चंद्रमा अपनी उच्च स्थिति में हो या बली हो तो वह जातक अपने जीवन में सभी सुख-सुविधाओं को प्राप्त करता है। चंद्रमा मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्रों में शुभ होता है और बलवान होता है।
चंद्रमा के मित्र ग्रह सूर्य और बुध हैं। मंगल, गुरु, शुक्र और शनि सम ग्रह हैं। राहु और केतु चंद्रमा के शत्रु ग्रह हैं। चंद्रमा की दिशा वायव्य है। चंद्रमा वैश्य वर्ण के अंतर्गत आते हैं। सत्वगुणी हैं। मुख्य रस नमकीन है। पूर्ण चंद्रमा सौम्य ग्रह की श्रेणी में आता है जबकि क्षीण चंद्रमा पाप ग्रह की श्रेणी में आता है।
कृष्ण पक्ष की एकादशी से शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि तक चंद्रमा क्षीण होते हैं। चंद्र वृष राशि में 3 से 27 अंश तक मूल त्रिकोण में होता है। चंद्रमा स्त्री ग्रह है। चंद्रमा के देवता मां गौरी है। काल पुरुष के अनुसार चंद्रमा मन का कारक है और गले और हृदय पर आधिपत्य रखता है।
यदि गोचर में चंद्रमा उच्च राशि, मूल त्रिकोण वृषभ राशि में हो तो उस समय गले और हृदय संबंधी ऑपरेशन से बचना चाहिए। चंद्रमा अपने भाव से सप्तम भाव पर अपनी पूर्ण दृष्टि रखता है। चंद्रमा की अपनी राशि कर्क होती है। उच्च राशि वृषभ है और नीच राशि वृश्चिक होती है। यह तीव्र गति का ग्रह है। एक राशि को पार करने में सवा 2 दिन लगते हैं। खगोल शास्त्र के अनुसार पृथ्वी के सबसे निकट होने कारण मानव प्रवृत्तियों पर इसका बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है।
उनका फल बहुत प्रभावित होता है।
सांस की नाडी और खून का कारक है
चंद्र:—
चन्द्र सांस की नाड़ी और शरीर में खून का कारक है। चन्द्र की अशुभ स्थिति से व्यक्ति को दमा भी हो सकता है। दमे के लिए वास्तव में वायु की तीनों राशियां मिथुन, तुला और कुम्भ इन पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि, राहु और केतु का चन्द्र संपर्क, बुध और चन्द्र की स्थिति यह सब देखने के पश्चात ही निर्णय लिया जा सकता है।
चन्द्र माता का कारक है। चन्द्र और सूर्य दोनों राजयोग के कारक होते हैं। इनकी स्थिति शुभ होने से अच्छे पद की प्राप्ति होती है। चन्द्र जब धनी बनाने पर आये तो इसका कोई मुकाबला नहीं कर सकता।
अशुभ चंद्र देता है ये परेशानी:–
किसी भी कुंडली में चंद्र अशुभ होने पर माता को किसी भी प्रकार का कष्ट या स्वास्थ्य को खतरा होता है, दूध देने वाले पशु की मृत्यु हो जाती है। स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है। घर में पानी की कमी आ जाती है या नलकूप, कुएं आदि सूख जाते हैं ।
इसके प्रभाव से मानसिक तनाव, मन में घबराहट, मन में तरह तरह की शंका और सर्दी बनी रहती है. व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने के विचार भी बार-बार आते रहते हैं।
जिस प्रकार सूर्य का प्रभाव आत्मा पर पूरा पड़ता है, ठीक उसी प्रकार चन्द्रमा का भी मनुष्य पर प्रभाव पड़ता है। खगोलवेत्ता ज्योतिष काल से यह मानते आ रहे हैं कि ग्रह व उपग्रह मानव जीवन पर पल-पल पर प्रभाव डालते हैं। जगत की भौतिक परिस्थिति पर भी चंद्रमा का प्रभाव होता है…
इन पर राज करता है चंद्र:–
जितने भी दूध वाले वृक्ष हैं सभी चन्द्र के कारण उत्पन्न हैं। चन्द्रमा बीज, औषधि, जल, मोती, दूध, अश्व और मन पर राज करता है। लोगों की बेचैनी और शांति का कारण भी चन्द्रमा है।
जाने क्या है चंद्रमा के प्रभाव आपकी कुंडली में:-
कुंडली में चंद्रमा की स्थिति और उस पर दूसरे ग्रहों के प्रभावों के आधार पर इस बात की गणना करना बहुत आसान हो जाता है कि मनुष्य की मानसिक स्थिति कैसी रहेगी। अपने ज्योतिषीय अनुभव में कई बार यह देखा है कि कुंडली में चंद्र का उच्च या नीच होना व्यक्ति के स्वा्भाव और स्वपरूप में साफ दिखाई देता है।
कुछ जन्म कुंडलियां जिनमें चंद्रमा के पीडित या नीच होने पर जातक को कई परेशानियां हो रही थीं-
1- सिर दर्द व मस्तिष्क पीडा- ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली में अगर चंद्र 11, 12, 1,2 भाव में नीच का हो और पाप प्रभाव में हो, या सूर्य अथवा राहु के साथ हो तो मस्तिष्क पीडा रहती हैं।
2- डिप्रेशन या तनाव- चंद्र जन्म कुंडली में 6, 8, 12 स्थान में शनि के साथ हो । शनि का प्रभाव दीर्घ अवधी तक फल देने वाला माना जाता हैं, तथा चंद्र और शनि का मिलन उस घातक विष के समान प्रभाव रखने वाला होता हैं जो धीरे धीरे करके मारता हैं। शनि नशो का कारक होता हैं, इन दोनों ग्रहो का अशुभ स्थान पर मिलन परिणाम डिप्रेशन व तनाव उत्पन्न करता हैं।
3- भय व घबराहट- चंद्र व चतुर्थ भाव का मालिक अष्टम स्थान में हो, लग्नेश निर्बल हो तथा चतुर्थ स्थान में मंगल,केतु, व्ययेश, तृतियेश तथा अष्टमेश में से किन्ही दो ग्रह या ज्यादा का प्रभाव चतुर्थ स्थान में हो तो इस भयानक दोष का प्रभाव व्यक्ति को दंश की तरह चुभता रहता हैं। चतुर्थ स्थान हमारी आत्मा या चित का प्रतिनिधित्व करता हैं, ऐसे में इस स्थान के पाप प्रभाव में होने पर उसका प्रभाव सीधे सीधे हमारे मन व आत्मा पर पडता हैं ।
4- मिर्गी के दौरे-चंद्र राहु या केतु के साथ हो तथा लग्न में कोई वक्री ग्रह स्थित हो तो मिर्गी के दौरे पडते हैं।
5- पागलपन या बेहोशी- चतुर्थ भाव का मालिक तथा लग्नेश पीडित हो या पापी ग्रहो के प्रभाव में हो, चंद्रमा सूर्य के निकट हो तो पागलपन या मुर्छा के योग बनते हैं। इस योग में मन व बुद्धि को नियंत्रित करने वाले सभी कारक पीडित होते हैं । चंद्र, लग्न, व चतुर्थेश इन पर पापी प्रभाव का अर्थ हैं व्यक्ति को मानसिक रोग होना। लग्न को सबसे शुभ स्थान माना गया हैं परन्तु इस स्थान में किसी ग्रह के पाप प्रभाव में होने से उस ग्रह के कारक में हानी दोगुणे प्रभाव से होती हैं ।
6- आत्महत्या के प्रयास – अष्टमेश व लग्नेश वक्री या पाप प्रभाव में हो तथा चंद्र के तृतिय स्थान में होने से व्यक्ति बार-बार अपने को हानि पहुंचाने की कोशिश करता हैं । या फिर तृतियेश व लग्नेश शत्रु ग्रह हो, अष्टम स्थान में चंद अष्टथमेश के साथ होतो जन्म कुंडली में आत्म हत्या के योग बनते हैं । कुछ ऐसे ही योग हिटलर की पत्रिका में भी थे जिनकी वजह से उसने आत्मदाह किया।
इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ें और पढ़ कर इस ज्ञान को अपने तक ही ना रखें इसे अधिक से अधिक शेयर करें ताकि यह ज्ञान सब तक पहुंच सके क्योंकि ज्ञान का दान सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं लाभकारी है
✍आचार्य जे पी सिंह
ज्योतिष, वास्तु विशेषज्ञ एवं एस्ट्रो मेडिकल स्पेशलिस्ट www.astrojp.com,
www.astrojpsingh.com
Mob .9811558158
Effect of afflicted moon
what happens ?
In today's time, every person is surrounded by one or the other disease. Then whether its reason is heredity or bad lifestyle. Everyone will be seen visiting doctors for their health. But sometimes there is no relief even after the best doctor or proper treatment, then the person's planetary constellations can also be the reason.
According to astrology, the cause of some diseases are the bad conditions of our planets. According to astrology, when a planet is in bad condition in our horoscope, it has negative effects on our life. Due to these negative effects many diseases surround the person. Sometimes the moon is weak in the horoscope. Due to which the person has to face the problem of lungs.
These diseases are caused by weak moon in the horoscope
Astrologers believe that the planet Moon is related to water and mind. In such a situation, when the Moon is weak, diseases related to cough and cold, asthma, ILD etc., bother the person. Apart from this, the weakness of Moon is also the cause of stress, depression, lack of concentration, sleeplessness and all the problems that distract the mind. If you or any knowledgeable person is also struggling with this problem, then by doing these measures, the moon can be strengthened.
Moon is the ruler of the mind. The imagination of the mind is influenced by the position of the moon. All the planets in the universe have a special and very important effect on a person's life. Ever since man began to contemplate time, the moon has been for him the unbroken and indisputable almanac of nature because of its process of waning and rising. In the scriptures of all the religions of the world, there is a mention of creating religious rituals according to the dates of the moon in each period.
Moon is the ruler of the mind. The imagination of the mind is influenced by the position of the moon. All the planets in the universe have a special and very important effect on a person's life. Ever since man began to contemplate time, the moon has been for him the unbroken and indisputable almanac of nature because of its process of waning and rising. In the scriptures of all the religions of the world, there is a mention of creating religious rituals according to the dates of the moon in each period.
Knowledge of the subtle forms of a person's character, special qualities, his talents, feelings, tendencies, abilities and emotional tendencies etc. is known from the position of the planets at the time of birth.
Moon is the lord of the mind of the person. If the position of the Moon in the birth chart is not good or if it is in a defective position, then the person has problems related to the mind and brain.
The moon is the mind and the planets influence this mind, then the moon starts giving the effect of those planets or constellations. When the moon comes between the Earth and the constellations, the radiations of the constellations have a great impact on the moon, hence the behavior of the moon varies. Moon creates juice in the living world.
The Moon has been given so much importance that the Moon Ascendant is considered the same as the birth Ascendant. Chandra Lagna has great importance in Neech Bhang Rajyoga. It is necessary for the best planner, the moon of the royal men to be very strong. On the other hand, criminals, insane people, people with perverted mentality, crooked minded people, emotional people all have weak or malefic moon. Planets like Ketu along with Moon keep the mind tired.
If you look carefully in these, most of the yogas etc. have been coined regarding Chandrabal. Another formula of Chandrabal idea has been extracted.
According to him, if the moon of birth is Lakshmi, the second is the satisfaction of the mind, the third is the provider of wealth, the fourth is the discord, the fifth is the growth of knowledge, the sixth is the wealth provider, the seventh is the prestige, the 8th is So the taboos regarding fear of death, gain of money from 9th moon, wish fulfillment from 10th, 11th moon are very important.
Directional sign, Moon's transit, Moon's Shukla Paksha or Krishna Paksha, Moon's Vedha from planets, Bhadra, Panchak, Nadi Dosha, Bhakoot Dosha etc. are of great importance during marriage. Amavasya etc. should be considered the most. While worshiping a Muhurta, do at least this much that if the Moon is situated in a good house in the Muhurta ascendant, then the chances of achieving the task increase.
In the case of Prashna Lagna, it is especially found that if the Moon is afflicted by malefic planets or if the Moon is in a malefic sign, then the answer to the question is negative. If a question is asked for a person who has run away from home, who has been abducted or is running ill, then one has to worry about the survival of the person.
Moon is the factor of mind. Moon is also a factor in the fourth house. It is the one who gives happiness of mother, happiness of building and residence, happiness of vehicle and other amenities. Moon is the lord of Rohini Hasta and Shravan Nakshatra. If the moon is in its exalted position or is strong in the fourth house or the factor of the fourth house in someone's birth chart, then that person gets all the comforts in his life. Moon is auspicious and strong in Magha, Purvaphalguni, Uttaraphalguni constellations.
Moon's friend planets are Sun and Mercury. Mars, Jupiter, Venus and Saturn are equal planets. Rahu and Ketu are enemy planets of Moon. The direction of the moon is northwest. Moon comes under Vaishya Varna. They are good-natured. The main juice is salty. The full Moon comes under the category of benign planets while the waning Moon comes under the category of malefic planets.
From the Ekadashi of Krishna Paksha to the fifth day of Shukla Paksha, the moon becomes waning. Moon is in the original trine from 3rd to 27th degree in Taurus. Moon is a female planet. Maa Gauri is the deity of Moon. According to Kaal Purush, the moon is the factor of the mind and has dominance over the throat and heart.
If the Moon is in exalted sign, Mool Trikon in Taurus sign, then throat and heart related operations should be avoided at that time. The Moon keeps its full vision on the seventh house from its house. Moon's own sign is Cancer. The exalted sign is Taurus and the debilitated sign is Scorpio. It is a fast moving planet. It takes 2 and a half days to cross one sign. According to astronomy, due to being closest to the earth, it has a lot of influence on human tendencies.
Their fruit is greatly affected.
respiratory pulse and blood factor
Chandra:—
Moon is the factor of pulse of breath and blood in the body. Due to the inauspicious position of the moon, a person may also develop asthma. In fact, a decision can be taken for asthma only after seeing all the three zodiac signs of air, Gemini, Libra and Aquarius, the sight of inauspicious planets, the Moon contact of Rahu and Ketu, the position of Mercury and Moon.
Moon is the factor of mother. Moon and Sun both are the factors of Raja Yoga. If their condition is auspicious, they get a good position. When it comes to making the moon rich, no one can compete with it.
Inauspicious moon gives this trouble: –
If the moon is inauspicious in any horoscope, the mother faces any kind of pain or health hazard, the animal that gives milk dies. Memory power becomes weak. There is a shortage of water in the house or tube wells, wells etc. dry up.
Due to its effect, mental tension, nervousness in the mind, various doubts and cold remain in the mind. Thoughts of committing suicide also keep coming again and again in the person's mind.
Just as the sun has an effect on the soul, in the same way the moon also has an effect on the human being. Astronomers have been believing since the time of astrology that planets and satellites influence human life every moment. The moon also has an effect on the physical condition of the world.
Moon rules over these: –
All the milk trees are born because of the moon. Moon rules over seeds, medicine, water, pearls, milk, horse and mind. Moon is also the reason for people's restlessness and peace.
Know what are the effects of Moon in your horoscope: -
Based on the position of the Moon in the horoscope and the effects of other planets on it, it becomes very easy to calculate the mental state of a person. In my astrological experience, it has been seen many times that the high or low position of Moon in the horoscope is clearly visible in the nature and appearance of the person.
Some horoscopes in which the person was facing many problems when the Moon was afflicted or debilitated-
1- Headache and brain pain- According to astrology, if the Moon is debilitated in 11, 12, 1, 2 houses and is under malefic influence, or is with Sun or Rahu, then there is brain pain.
2- Depression or stress- Moon should be with Saturn in 6th, 8th, 12th place in the birth chart. The effect of Shani is considered to be fruitful for a long period, and the union of Moon and Shani is supposed to have the effect of a deadly poison that kills slowly. Saturn is the factor of intoxication, the meeting of these two planets at an inauspicious place results in depression and tension.
3- Fear and nervousness- If the Moon and the owner of the fourth house are in the eighth house, the lagnesh is weak and in the fourth house, if any two or more planets from Mars, Ketu, Vyesh, Tritiyesh and Ashtamesh have influence in the fourth house, then this terrible defect Its effect keeps on stinging the person like a sting. The fourth place represents our soul or mind, in such a situation, when this place is under the influence of sin, its effect directly falls on our mind and soul.
4- Seizures of Epilepsy- If Moon is with Rahu or Ketu and if any retrograde planet is situated in the Lagna, then Epilepsy occurs.
5- Insanity or fainting- If the owner of the fourth house and ascendant is afflicted or under the influence of malefic planets, if the Moon is close to the Sun, then the chances of madness or unconsciousness are formed. In this yoga, all the factors that control the mind and intellect are afflicted. Sinful influence on Moon, Lagna, and Chaturthesh means mental illness to the person. Ascendant is considered to be the most auspicious place, but due to malefic effect of a planet in this place, the effect of that planet is doubled.
6- Attempts to commit suicide - If the eighth lord and ascendant lord are in retrograde or malefic influence and the moon is in the third house, the person tries to harm himself again and again. Or the third lord and ascendant lord are enemy planets, in the eighth house with Chand Ashthamesh lord, there are possibilities of suicide in the birth chart. There were some such yoga in Hitler's magazine also because of which he committed suicide.
Read this article carefully and do not keep this knowledge to yourself after reading, share it as much as possible so that this knowledge can reach everyone because the donation of knowledge is most important and beneficial.
✍ Acharya JP Singh
Astrology, Vastu Specialist & Astro Medical Specialist www.astrojp.com,
www.astrojpsingh.com
Mob.9811558158
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