Gupta Navratri? Why is it different from other Navratri ?


गुप्त नवरात्रि? दूसरे नवरात्रि से क्यों है  अलग?

हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है और इस दौरान 9 दिनों तक दुर्गा मां के अलग-अलग स्वरूपों का पूजन किया जाता है. बता दें कि साल में चार बार नवरात्रि का त्योहार आता है. इनमें से दो बार की नवरात्रि का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है और इस दौरान घरों और मंदिरों में अलग ही रौनक देखने को मिलती है. वहीं दो गुप्त नवरात्रि होती हैं जो कि माघ और आषाढ़ के महीने में मनाई जाती है.

जानिए क्या है गुप्त नवरात्र । गुप्त नवरात्रि महत्व

गुप्त नवरात्रों में मां दुर्गा की पूजा का विधान होता है, यह गुप्त नवरात्र साधारण जन के लिए नहीं होते हैं मुख्य रुप से इनका संबंध साधना और तंत्र के क्षेत्र से जुड़े लोगों से होता है. इन दिनों भी माता के विभिन्न रूपों की पूजा का विधान होता है. जैसे नवरात्रों में मां दुर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है उसी प्रकार इन गुप्त नवरात्रों में भी साधक माता की विभिन्न प्रकार से पूजा करके उनसे शक्ति और सामर्थ्य की प्राप्ति का वरदान मांगता है.

गुप्त नवरात्र रहस्य

मां दुर्गा को शक्ति कहा गया है ऐसे में इन गुप्त नवरात्रों में मां के सभी रुपों की पूजा की जाती है. देवी की शक्ति पूजा व्यक्ति को सभी संकटों से मुक्त करती है व विजय का आशीर्वाद प्रदान करती हैं.गुप्‍त नवरात्र भी सामान्य नवरात्र की भांति दो बार आते हैं एक आषाढ़ माह में और दूसरे माघ माह में.
इन नवरात्र के समय साधना और तंत्र की शक्तियों में इजाफा करने हेतु भक्त इसे करता है. तंत्र एवं साधना में व‍िश्‍वास रखने वाले इसे करते हैं. इन नवरात्रों में भी पूजन का स्वरूप सामान्य नवरात्रों की ही तरह होता है. जैसे चैत्र और शारदीय नवरात्रों में मां दुर्गा के नौं रूपों की पूजा नियम से की जाती है उसी प्रकार इन गुप्त नवरात्रों में भी दस महाविद्याओं की साधना का बहुत महत्व होता है.

क्‍या होते हैं गुप्‍त नवरात्र‍ि

गुप्‍त नवरात्र में माता की शक्ति पूजा एवं अराधना अधिक कठिन होती है और माता की पूजा गुप्‍त रूप से की जाती है इसी कारण इन्हें गुप्त नवरात्र की संज्ञा दी जाती है. इस पूजन में अखंड जोत प्रज्वलित की जाती है. प्रात:कल एवं संध्या समय देवी पूजन-अर्चन करना होता है. गुप्‍त नवरात्र में तंत्र साधना करने वाले दस महाविद्याओं की साधना करते हैं. नौ दिनों तक दुर्गा सप्तशति का पाठ किया जाता है. अष्‍टमी या नवमी के दिन कन्‍या पूजन कर व्रत पूर्ण होता है.

गुप्त नवरात्रि पूजा विधि

गुप्त नवरात्रों में माता आद्य शक्ति के समक्ष शुभ समय पर घट स्थापना की जाती है जिसमें जौ उगने के लिये रखे जाते है. इस के एक और पानी से भरा कलश स्थापित किया जाता है. कलश पर कच्चा नारियल रखा जाता है. कलश स्थापना के बाद मां भगवती की अंखंड ज्योति जलाई जाती है. भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है. उसके बाद श्री वरूण देव, श्री विष्णु देव की पूजा की जाती है. शिव, सूर्य, चन्द्रादि नवग्रह की पूजा भी की जाती है. उपरोक्त देवताओं कि पूजा करने के बाद मां भगवती की पूजा की जाती है. नवरात्रों के दौरान प्रतिदिन उपवास रख कर दुर्गा सप्तशती और देवी का पाठ किया जाता है.

गुप्त नवरात्र और तंत्र साधना

गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं के पूजन को प्रमुखता दी जाती है. भागवत के अनुसार महाकाली के उग्र और सौम्य दो रुपों में अनेक रुप धारण करने वाली दस महा-विद्याएँ हुई हैं. भगवान शिव की यह महाविद्याएँ सिद्धियाँ प्रदान करने वाली होती हैं. दस महाविद्या देवी दुर्गा के दस रूप कहे जाते हैं. 

प्रत्येक महाविद्या अद्वितीय रुप लिए हुए प्राणियों के समस्त संकटों का हरण करने वाली होती हैं. इन दस महाविद्याओं को तंत्र साधना में बहुत उपयोगी और महत्वपूर्ण माना जाता है.

देवी काली- दस महाविद्याओं मे से एक मानी जाती हैं. तंत्र साधना में तांत्रिक देवी काली के रूप की उपासना किया करते हैं.

देवी तारा- दस महाविद्याओं में से माँ तारा की उपासना तंत्र साधकों के लिए सर्वसिद्धिकारक मानी जाती है.माँ तारा परारूपा हैं एवं महासुन्दरी कला-स्वरूपा हैं तथा देवी तारा सबकी मुक्ति का विधान रचती हैं.

माँ ललिता- माँ ललिता की पूजा से समृद्धि की प्राप्त होती है. दक्षिणमार्गी शाक्तों के मतानुसार देवी ललिता को चण्डी का स्थान प्राप्त है.

माँ भुवनेश्वरी - माता भुवनेश्वरी सृष्टि के ऐश्वयर की स्वामिनी हैं. भुवनेश्वरी माता सर्वोच्च सत्ता की प्रतीक हैं. इनके मंत्र को समस्त देवी देवताओं की आराधना में विशेष शक्ति दायक माना जाता है.

त्रिपुर भैरवी - माँ त्रिपुर भैरवी तमोगुण एवं रजोगुण से परिपूर्ण हैं.

माता छिन्नमस्तिका -माँ छिन्नमस्तिका को मां चिंतपूर्णी के नाम से भी जाना जाता है. माँ भक्तों के सभी कष्टों को मुक्त कर देने वाली है.

माँ धूमावती - मां धूमावती के दर्शन पूजन से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है. माँ धूमावती जी का रूप अत्यंत भयंकर हैं इन्होंने ऐसा रूप शत्रुओं के संहार के लिए ही धारण किया है.

माँ बगलामुखी - माँ बगलामुखी स्तंभन की अधिष्ठात्री हैं. इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है.

देवी मातंगी - यह वाणी और संगीत की अधिष्ठात्री देवी कही जाती हैं. इनमें संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं.भगवती मातंगी अपने भक्तों को अभय का फल प्रदान करती हैं.

माता कमला - मां कमला सुख संपदा की प्रतीक हैं. धन संपदा की आधिष्ठात्री देवी है, भौतिक सुख की इच्छा रखने वालों के लिए इनकी अराधना सर्वश्रेष्ठ मानी जाती हैं.

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✍आचार्य जे पी सिंह
ज्योतिष, वास्तु विशेषज्ञ एवं एस्ट्रो मेडिकल स्पेशलिस्ट       
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Mob .9811558158

Gupta Navratri?  Why is it different from other Navratri?

Navratri has special significance in Hinduism and during this, different forms of Durga Maa are worshiped for 9 days.  Please tell that the festival of Navratri comes four times a year.  Out of these, the festival of Navratri twice is celebrated with great pomp and during this time there is a different brightness in the houses and temples.  There are two Gupta Navratri which are celebrated in the month of Magha and Ashadh.

Know what is Gupta Navratri.  Gupta Navratri Significance

In Gupta Navratras, there is a ritual of worshiping Maa Durga, these Gupta Navratras are not for common people, mainly they are related to the people associated with the field of Sadhna and Tantra.  On these days too, there is a ritual of worshiping different forms of the mother.  Just like the nine forms of Maa Durga are worshiped during Navratras, in the same way, in these Gupta Navratras also, worshipers pray to Maa Durga in various ways and ask her for a boon of strength and power.

secret navratri secret

Maa Durga has been called Shakti, in such a situation, all the forms of Maa are worshiped in these Gupta Navratras.  Worshiping Goddess Shakti frees a person from all troubles and bestows the blessings of victory. Gupta Navratras also come twice like normal Navratras, one in the month of Ashadha and the other in the month of Magha.
Devotees do this to increase the powers of meditation and tantra during these Navratras.  Those who believe in Tantra and Sadhana do this.  In these Navratras also, the form of worship is like that of normal Navratras.  Just as the nine forms of Maa Durga are worshiped according to rules in Chaitra and Sharadiya Navratras, in the same way, in these Gupta Navratras, the worship of the ten Mahavidyas is very important.

what are secret navratri

In Gupta Navratri, worshiping and worshiping the power of the mother is more difficult and the worship of the mother is done in secret, that is why it is called Gupta Navratri.  Akhand Jyot is lit in this worship.  Worship of Goddess is to be done in the morning and evening.  In Gupta Navratri, those who practice Tantra do the practice of ten Mahavidyas.  Durga Saptshati is recited for nine days.  On the day of Ashtami or Navami, the fast is completed by worshiping the girl child.

secret navratri worship method

In Gupta Navratras, Ghat is established in front of Mother Adya Shakti at an auspicious time, in which barley is kept for growing.  Another urn filled with water is installed in this.  Raw coconut is kept on the Kalash.  After the establishment of the Kalash, the eternal flame of Maa Bhagwati is lit.  Lord Shri Ganesh is worshipped.  After that Shri Varun Dev, Shri Vishnu Dev is worshipped.  Shiva, Surya, Chandra Navagraha are also worshipped.  Mother Bhagwati is worshiped after worshiping the above deities.  Durga Saptshati and Devi's recitation is done by keeping fast everyday during Navratras.

Gupta Navratri and Tantra Sadhana

In Gupta Navratri, importance is given to the worship of ten Mahavidyas.  According to Bhagwat, there have been ten Maha-vidyas which take many forms in two forms of Mahakali, fierce and gentle.  These Mahavidyas of Lord Shiva are the ones that bestow achievements.  Ten Mahavidyas are called ten forms of Goddess Durga.

Each Mahavidya takes a unique form to remove all the troubles of the living beings.  These ten Mahavidyas are considered very useful and important in Tantra practice.

Goddess Kali - is considered one of the ten Mahavidyas.  Tantrik worships the form of Goddess Kali in Tantra practice.

Goddess Tara- Out of the ten Mahavidyas, the worship of Maa Tara is considered to be all-powerful for Tantra seekers. Maa Tara is Pararupa and Mahasundari is Kala-Swarupa and Devi Tara creates the law of salvation for all.

Maa Lalita- Prosperity is attained by worshiping Maa Lalita.  According to the Dakshin Margi Shaktas, Goddess Lalita gets the place of Chandi.

Maa Bhuvaneshwari - Maa Bhuvaneshwari is the owner of the opulence of the universe.  Bhuvaneshwari Mata is the symbol of supreme power.  His mantra is considered to give special power in the worship of all the deities.

Tripura Bhairavi - Maa Tripura Bhairavi is full of Tamogun and Rajogun.

Mata Chinnamastika - Maa Chinnamastika is also known as Maa Chintpurni.  Mother is going to free all the sufferings of the devotees.

Maa Dhumavati - Worshiping Maa Dhumavati gives desired results.  The form of Maa Dhumavati ji is extremely fierce, she has assumed such a form only to kill the enemies.

Maa Bagalamukhi - Maa Bagalamukhi is the presiding deity of Stambhan.  Enemies are destroyed by their worship and the devotee's life becomes free from all kinds of obstacles.

Goddess Matangi - She is said to be the presiding deity of speech and music.  It contains the power of the entire universe. Bhagwati Matangi bestows the fruits of fearlessness to her devotees.

Mother Kamala - Mother Kamala is the symbol of happiness and wealth.  Goddess is the presiding deity of wealth, worshiping her is considered best for those who wish for material happiness.

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✍ Acharya JP Singh
Astrology, Vastu Specialist & Astro Medical Specialist
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