12 houses of the horoscope and their special importance in your life !


कुंडली के 12 भाव एवं उनका आपके जीवन में ख़ास महत्व !

भाव का परिचय:

जन्म कुंडली में भाव क्या होते हैं आइए उन्हेँ जानने का प्रयास करें. जन्म कुंडली में बारह भाव होते हैं और हर भाव में एक राशि होती है. कुँडली के सभी भाव जीवन के किसी ना किसी क्षेत्र से संबंधित होते हैं. इन भावों के शास्त्रो में जो नाम दिए गए हैं वैसे ही इनका काम भी होता है.

पहला भाव तन, दूसरा धन, तीसरा सहोदर, चतुर्थ मातृ, पंचम पुत्र, छठा अरि, सप्तम रिपु, आठवाँ आयु, नवम धर्म, दशम कर्म, एकादश आय तो द्वादश व्यय भाव कहलाता है़. सभी बारह भावों को भिन्न काम मिले होते हैं. कुछ भाव अच्छे तो कुछ भाव बुरे भी होते हैं. जिस भाव में जो राशि होती है उसका स्वामी उस भाव का भावेश कहलाता है.

हर भाव में भिन्न राशि आती है लेकिन हर भाव का कारक निश्चित होता है. बुरे भाव के स्वामी अच्छे भावों से संबंध बनाए तो अशुभ होते हैं और यह शुभ भावों को खराब भी कर देते हैं. अच्छे भाव के स्वामी अच्छे भाव से संबंध बनाए तो शुभ माने जाते हैं और व्यक्ति को जीवन में बहुत कुछ देने की क्षमता रखते हैं. किसी भाव के स्वामी का अपने भाव से पीछे जाना अच्छा नहीं होता है, इससे भाव के गुणो का ह्रास होता है. भाव स्वामी का अपने भाव से आगे जाना अच्छा होता है. इससे भाव के गुणो में वृद्धि होती है.

कुंडली के 12 भाव

1.प्रथम भाव: स्वभाव भाव

2.द्वितीय भाव: धन और परिवार भाव

3.तृतीय भाव: यह भाई-बहन एवं वीरता भाव
4.चतुर्थ भाव: माता एवं आनंद भाव

5.पंचम भाव: संतान एवं ज्ञान भाव

6.षष्ठम भाव: शत्रु एवं रोग भाव

7.सप्तम भाव: विवाह एवं पार्टनरशिप भाव

8.अष्टम भाव: आयु का भाव

9.नवम भाव: भाग्य, पिता एवं धर्म भाव

10.दशम भाव: करियर और व्यवसाय भाव

11.एकादश भाव: आय और लाभ भाव

12.द्वादश भाव: व्यय और हानि भाव

कुंडली के 12 भावों से किया ज्ञात किया जाता है

1.प्रथम भाव से जन्‍म और व्‍यक्ति का स्‍वभाव ज्ञात किया जाता है।

2.द्वितीय भाव से धन, नेत्र, मुख, वाणी, परिवार ज्ञात किया जाता है।

3.तृतीय भाव से पराक्रम, छोटे भाई-बहन, मानसिक संतुलन ज्ञात किया जाता है।

4.चतुर्थ भाव से माता, सुख, वाहन, प्रापर्टी, घर ज्ञात किया जाता है।

5.पंचम भाव से संतान, बुद्धि ज्ञात किया जाता है।

6.षष्ठम भाव से रोग, शत्रु और ऋण ज्ञात किया जाता है।

7.सप्तम भाव से विवाह, जीवनसाथी, पार्टनर ज्ञात किया जाता है।

8.अष्टम भाव से आयु, खतरा, दुर्घटना ज्ञात किया जाता है।

9. नवम भाव से भाग्‍य, पिता, गुरु, धर्म ज्ञात किया जाता है।

10.दशम भाव से कर्म, व्यवसाय, पद, ख्‍याति ज्ञात किया जाता है।

11.एकादश भाव से लाभ, अभिलाषा पूर्ति ज्ञात किया जाता है।

12. द्वादश भाव से खर्चा, नुकसान, मोक्ष ज्ञात किया जाता है।

कुंडली के 12 भावों के स्वामी और कारक ग्रह

1.पहले भाव का स्वामी ग्रह मंगल होता है और कारक ग्रह सूर्य है।

2.दूसरे भाव का स्वामी ग्रह शुक्र होता है और कारक ग्रह गुरु है।

3.तीसरे भाव का स्वामी ग्रह बुध होता है और कारक ग्रह मंगल है।

4.चौथे भाव का स्वामी ग्रह चंद्र होता है और कारक चंद्र है।

5.पांचवें भाव का स्वामी ग्रह सूर्य होता है और कारक ग्रह गुरु है।

6.छठे भाव का स्वामी ग्रह बुध होता है और कारक ग्रह केतु है।

7.सातवें का स्वामी शुक्र होता है और कारक शुक्र और बुध हैं।

8.आठवें भाव का स्वामी ग्रह मंगल होता है और कारक ग्रह शनि, मंगल और चंद्र हैं।

9.नौवें भाव का स्वामी ग्रह गुरु होता है और कारक भी गुरु होता है।

10.दसवें भाव का स्वामी ग्रह शनि होता है और कारक शनि है।

11.ग्यारहवें भाव का स्वामी शनि होता है और कारक गुरु है।

12.बारहवें भाव का स्वामी गुरु होता है और कारक राहु है।

भाव के प्रकार

केन्द्र भाव:

 वैदिक ज्योतिष में केन्द्र भाव को सबसे शुभ भाव माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार यह लक्ष्मी जी की स्थान होता है। केन्द्र भाव में प्रथम भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव और दशम भाव आते हैं। शुभ भाव होने के साथ-साथ केन्द्र भाव जीवन के अधिकांश क्षेत्र को दायरे में लेता है। केन्द्र भाव में आने वाले सभी ग्रह कुंडली में बहुत ही मजबूत माने जाते हैं। इनमें दसवाँ भाव करियर और व्यवसाय का भाव होता है। जबकि सातवां भाव वैवाहिक जीवन को दर्शाता है और चौथा भाव माँ और आनंद का भाव है। वहीं प्रथम भाव व्यक्ति के स्वभाव को बताता है। यदि आपकी जन्म कुंडली में केन्द्र भाव मजबूत है तो आप जीवन के विभिन्न क्षेत्र में सफलता अर्जित करेंगे।

त्रिकोण भाव: 

वैदिक ज्योतिष में त्रिकोण भाव को भी शुभ माना जाता है। दरअसल त्रिकोण भाव में आने वाले भाव धर्म भाव कहलाते हैं। इनमें प्रथम, पंचम और नवम भाव आते हैं। प्रथम भाव स्वयं का भाव होता है। वहीं पंचम भाव जातक की कलात्मक शैली को दर्शाता है जबकि नवम भाव सामूहिकता का परिचय देता है। ये भाव जन्म कुंडली में को मजबूत बनाते हैं। त्रिकोण भाव बहुत ही पुण्य भाव होते हैं केन्द्र भाव से इनका संबंध राज योग को बनाता है। इन्हें केंद्र भाव का सहायक भाव माना जा सकता है। त्रिकोण भाव का संबंध अध्यात्म से है। नवम और पंचम भाव को विष्णु स्थान भी कहा जाता है।

उपचय भाव: 

कुंडली में तीसरा, छठवाँ, दसवाँ और ग्यारहवाँ भाव उपचय भाव कहलाते हैं। ज्योतिष में ऐसा माना जाता है कि ये भाव, भाव के कारकत्व में वृद्धि करते हैं। यदि इन भाव में अशुभ ग्रह मंगल, शनि, राहु और सूर्य विराजमान हों तो जातकों के लिए यह अच्छा माना जाता है। ये ग्रह इन भावों में नकारात्मक प्रभावों को कम करते हैं।

मोक्ष भाव: 

कुंडली में चतुर्थ, अष्टम और द्वादश भाव को मोक्ष भाव कहा जाता है। इन भावों का संबंध अध्यात्म जीवन से है। मोक्ष की प्राप्ति में इन भावों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

धर्म भाव: 

कुंडली में प्रथम, पंचम और नवम भाव को धर्म भाव कहते हैं। इन्हें विष्णु और लक्ष्मी जी का स्थान कहा जाता है।

अर्थ भाव: 

कुंडली में द्वितीय, षष्ठम एवं दशम भाव अर्थ भाव कहलाते हैं। यहाँ अर्थ का संबंध भौतिक और सांसारिक सुखों की प्राप्ति के लिए प्रयोग होने वाली पूँजी से है।

काम भाव: 

कुंडली में तीसरा, सातवां और ग्यारहवां भाव काम भाव कहलाता है। व्यक्ति जीवन के चार पुरुषार्थों (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) में तीसरा पुरुषार्थ काम होता है।

दु:स्थान भाव: 

कुंडली में षष्ठम, अष्टम एवं द्वादश भाव को दुःस्थान भाव कहा जाता है। ये भाव व्यक्ति जीवन में संघर्ष, पीड़ा एवं बाधाओं को दर्शाते हैं।

मारक भाव:

कुंडली में द्वितीय और सप्तम भाव मारक भाव कहलाते हैं। मारक भाव के कारण जातक अपने जीवन में धन संचय, अपने साथी की सहायता में अपनी ऊर्जा को ख़र्च करता है।

इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ें और पढ़ कर इस ज्ञान को अपने तक ही ना रखें इसे अधिक से अधिक शेयर करें ताकि यह ज्ञान सब तक पहुंच सके क्योंकि ज्ञान का दान सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं लाभकारी है

✍आचार्य जे पी सिंह
ज्योतिष, वास्तु विशेषज्ञ एवं एस्ट्रो मेडिकल स्पेशलिस्ट www.astrojp.com, 
www.astrojpsingh.com
Mob .9811558158

12 houses of the horoscope and their special importance in your life!

Introduction to Quote:

What are the houses in the birth chart, let's try to know them.  There are twelve houses in the birth chart and each house has a sign.  All the expressions of the horoscope are related to one or the other area of ​​life.  The names given to these houses in the scriptures are similar to their work.

The first house is body, second money, third sibling, fourth mother, fifth son, sixth Ari, seventh Ripu, eighth age, ninth religion, tenth karma, eleventh income then twelfth is called expenditure house.  All the twelve houses have got different functions.  Some feelings are good and some feelings are bad as well.  The owner of the house in which the sign is located is called Bhavesh of that house.

There is a different amount in every house, but the factor of every house is fixed.  If the owner of a bad house makes a relationship with a good house, then it becomes inauspicious and it spoils the auspicious house.  If the owner of a good house makes a relationship with a good house, then it is considered auspicious and has the ability to give a lot to a person in life.  It is not good for the owner of a house to go back from his house, because of this the quality of the house decreases.  It is good for the house owner to go ahead of his house.  This increases the qualities of feelings.

12 house of horoscope

1.First House: Nature House

2. Second house: Money and family house

3. Third house: This brother-sister and bravery house
4. Fourth House: Mother and Anand Bhav

5. Fifth house: Children and knowledge house

6. Sixth House: Enemy and Disease

7. Seventh House: Marriage and Partnership House

8. Eighth house: House of age

9. Ninth house: Luck, father and religion

10. Tenth House: Career and Business House

11. Eleventh House: Income and Profit House

12. Twelfth house: Expense and loss house

Karya is known from the 12 houses of the horoscope.

1. Birth and nature of a person is known from the first house.

2. Money, eyes, mouth, speech, family are known from the second house.

3. Strength, younger siblings, mental balance are known from the third house.

4. Mother, happiness, vehicle, property, house are known from the fourth house.

5. Children, intelligence is known from the fifth house.

6. Disease, enemy and debt are known from the sixth house.

7. Marriage, life partner, partner is known from the seventh house.

8. Age, danger, accident are known from the eighth house.

9. Fate, father, guru, religion are known from the ninth house.

10. Karma, business, position, fame are known from the tenth house.

11. Profit, fulfillment of desire is known from the eleventh house.

12. Expenses, loss, salvation are known from the twelfth house.

Rulers and karaka planets of the 12 houses of the horoscope

1. The lord of the first house is Mars and the causative planet is Sun.

2. The ruling planet of the second house is Venus and the causative planet is Jupiter.

3. The ruling planet of the third house is Mercury and the causative planet is Mars.

4. The ruling planet of the fourth house is Moon and the Karak is Moon.

5. The ruling planet of the fifth house is Sun and the causative planet is Jupiter.

6. The lord of the sixth house is Mercury and the causative planet is Ketu.

7. The lord of the seventh house is Venus and the factors are Venus and Mercury.

8. The ruling planet of the eighth house is Mars and the causative planets are Saturn, Mars and Moon.

9. The ruling planet of the ninth house is Jupiter and the factor is also Jupiter.

10. The ruling planet of the 10th house is Saturn and the factor is Saturn.

11. Lord of the 11th house is Shani and Karak is Jupiter.

12. The lord of the twelfth house is Jupiter and the factor is Rahu.

types of expressions

Center Quote:

In Vedic astrology, the central house is considered the most auspicious house.  According to astrology, this is the place of Lakshmi ji.  The first house, the fourth house, the seventh house and the tenth house come in the central house.  Along with being an auspicious house, the Kendra house covers most of the areas of life.  All the planets that come in the center house are considered very strong in the horoscope.  In these, the tenth house is the house of career and business.  While the seventh house represents married life and the fourth house is the house of mother and happiness.  Whereas the first house tells the nature of the person.  If the central house is strong in your birth chart, then you will achieve success in various fields of life.

Triangle Quote:

Triangle house is also considered auspicious in Vedic astrology.  Actually, the houses that come in the triangle house are called Dharma houses.  The first, fifth and ninth houses come in these.  The first sense is the sense of self.  On the other hand, the fifth house reflects the artistic style of the native, while the ninth house represents collectivism.  These houses make you strong in the birth chart.  Trikon Bhavs are very virtuous Bhavs, their relationship with Kendra Bhav makes Raj Yoga.  These can be considered as auxiliary expressions of the center.  Triangle feeling is related to spirituality.  The ninth and fifth house is also known as Vishnu place.

Anabolic rate:

The third, sixth, tenth and eleventh houses in the horoscope are called upachaya houses.  In astrology it is believed that these houses increase the effectivity of the house.  If inauspicious planets Mars, Saturn, Rahu and Sun are present in these houses, then it is considered good for the natives.  These planets reduce the negative effects in these houses.

Moksha Bhav:

The fourth, eighth and twelfth house in the horoscope is called the house of salvation.  These feelings are related to spiritual life.  These feelings have an important contribution in the attainment of salvation.

Religion Quote:

The first, fifth and ninth house in the horoscope are called Dharma Bhava.  This is called the place of Vishnu and Lakshmi.

meaning:

The second, sixth and tenth houses in the horoscope are called Artha Bhavas.  Here meaning is related to the capital used for the attainment of physical and worldly pleasures.

Kama Bhava:

The third, seventh and eleventh house in the horoscope is called work house.  In the four purusharths of a person's life (Dharma, Artha, Kama, Moksha), the third purusharth is work.

Sad place feeling:

The sixth, eighth and twelfth house in the horoscope is called Dusthan Bhava.  These expressions show struggle, pain and obstacles in a person's life.

Antidote:

  The second and seventh houses in the horoscope are called Marak houses.  Due to Marak Bhav, the person spends his energy in saving money in his life, helping his partner.

Read this article carefully and do not keep this knowledge to yourself after reading, share it as much as possible so that this knowledge can reach everyone because the donation of knowledge is most important and beneficial.

✍ Acharya JP Singh
Astrology, Vastu Specialist & Astro Medical Specialist www.astrojp.com,
www.astrojpsingh.com
Mob.9811558158

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