What is Manglik Dosh in Kundli ?
कुंडली में मांगलिक दोष क्या है?
अधिकांश लोग मांगलिक दोष का अभिप्राय ‘मंगला’ या ‘मंगली’ होने से ही लगा लेते हैं। ऐसा समझा जाता है कि किसी भी कुंडली में लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में मंगल की उपस्थिति जातक को मंगला या मंगली बना देती है और यह भी मान लिया जाता है कि उस कुंडली से संबंधित लड़के या लड़की का दांपत्य जीवन अति कष्टपूर्ण होगा। पर, वस्तुतः ऐसा होता नहीं है और यदि हम कुछ और बारीकियों में जाएं तो पाएंगे कि दिनभर में जन्म लेने वाले 60 फीसदी से अधिक लोग या तो मंगला होते हैं या मंगली। लेकिन क्या इतने सारे लोगों का वैवाहिक जीवन असफल होता है?
तो फिर क्या है मंगली योग, जिससे लोग पहले भी डरते थे और आज भी डरते हैं? वस्तुतः मंगल के उपर्युक्त पांच स्थानों में बैठ जाने से जातक मंगला या मंगली तो हो सकता है, पर यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि व्यक्ति मांगलिक दोष से पीड़ित है या नहीं। अतः जब तक कुंडली में मांगलिक दोष नहीं होगा, तब तक व्यक्ति को डरने की कोई जरूरत नहीं।
अगर हम थोड़ी और गहराई में जाएं तो पाएंगे कि सिर्फ मंगल ग्रह के कारण मांगलिक दोष नहीं उत्पन्न होते हैं, बल्कि इस दोष में शनि, सूर्य, राहु एवं केतु का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। मंगली दोष का विचार सिर्फ लग्न से करने पर परिणाम हमेशा सही नहीं आते और यह विचार करने का उचित तरीका भी नहीं है। इस योग का विचार लग्न के साथ साथ चंद्र एवं शुक्र से भी करना जरूरी है। लग्न से बनने वाले दोष कम प्रभावी होते हैं, चंद्रमा से कुछ ज्यादा और शुक्र से पूर्ण प्रभावी होते हैं, इसी प्रकार शास्त्रों में पाप ग्रहों में मंगल, शनि, सूर्य, राहु एवं केतु उत्तरोत्तर कम पापी माने गए हैं। इसलिए यह कहा जा सकता है कि मंगल, शनि, सूर्य राहु एवं केतु इन ग्रहों से बनने वाले योगों का प्रभाव उत्तरोत्तर कम होता जाता है। गहन अध्ययन एवं अनुसंधान के बाद यह पाया गया कि सप्तम, लग्न या चतुर्थ स्थानों पर उपर्युक्त ग्रहों से विशेषकर मंगल एवं शनि से बनने वाला योग दांपत्य जीवन को प्रभावित करता है और शेष स्थिति में बनने वाले योग का बहुत कम या तात्कालिक प्रभाव पड़ता है। मांगलिक दोष का विचार कुंडली में स्थित ग्रहों और राशि की स्थितियों के आधार पर भी करके निर्णय लेना चाहिए।
मांगलिक दोष के परिहार :-
मंगली दोष स्वतः समाप्त हो जाता है, जब मंगली योगकारक ग्रह अपने स्वराशि, मूल त्रिकोण राशि या उच्च राशि में हो।
सप्तमेश या शुक्र बलवान हो तथा सप्तम भाव इनसे युत दृष्ट हो तो उस कुंडली में मंगल दोष स्वतः समाप्त हो जाता है।
वर या कन्या में से किसी एक की कुंडली में मंगली दोष हो और दूसरे की कुंडली में शनि यदि लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में हो तो दोष स्वतः समाप्त हो जाता है।
बलवान गुरु या शुक्र के लग्न के होने पर या सप्तम में होने पर एवं मंगल के निर्बल होने पर मंगली दोष समाप्त हो जाता है।
मेष लग्नस्थ मंगल, वृश्चिक राशि में चतुर्थ भावस्थ मंगल वृष राशि मे सप्तम भावस्थ मंगल कुंभ राशि अष्टम भावस्थ मंगल तथा धनु राशि में व्यय भावस्थ मंगल दोष उत्पन्न नहीं करते।
मंगल शुक्र की राशि में स्थित हो तथा सप्तमेश बलवान होकर केंद्र – त्रिकोण में हो तो मंगली दोष प्रभावहीन हो जाता है।
इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ें और पढ़ कर इस ज्ञान को अपने तक ही ना रखें इसे अधिक से अधिक शेयर करें ताकि यह ज्ञान सब तक पहुंच सके क्योंकि ज्ञान का दान सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं लाभकारी है
✍आचार्य जे पी सिंह
ज्योतिष, वास्तु विशेषज्ञ एवं एस्ट्रो मेडिकल स्पेशलिस्ट www.astrojp.com,
www.astrojpsingh.com
Mob .9811558158
What is Manglik Dosh in Kundli?
Most of the people take the meaning of Manglik Dosh by being 'Mangla' or 'Mangali'. It is believed that the presence of Mars in the Ascendant, Fourth, Seventh, Eighth or Twelfth house in any Kundli makes the person Mangala or Mangali and it is also believed that the married life of the boy or girl belonging to that Kundli will be extremely successful. Will be painful But, in reality this does not happen and if we go into some more details, we will find that more than 60 percent of the people born during the day are either Mangala or Mangali. But does the marriage life of so many people fail?
Then what is Mangali Yoga, which people were afraid of before and are still afraid of today? In fact, if Mars is placed in the above mentioned five places, the person may become Mangala or Mangali, but it cannot be said with certainty whether the person is suffering from Manglik Dosha or not. Therefore, as long as there is no Manglik Dosh in the horoscope, there is no need to fear the person.
If we go a little deeper, we will find that Manglik doshas are not caused only by Mars, but Shani, Surya, Rahu and Ketu also contribute significantly to this dosha. The results do not always come true if Mangali Dosh is considered only from the Lagna and this is also not the proper way of thinking. It is necessary to consider this yoga along with the Ascendant as well as Moon and Venus. Doshas made from ascendant are less effective, slightly more than Moon and more effective than Venus, similarly in the scriptures Mars, Saturn, Sun, Rahu and Ketu are considered progressively less sinful among the malefic planets. That's why it can be said that the effects of the yogas formed by Mars, Saturn, Sun, Rahu and Ketu gradually decrease. After deep study and research, it was found that the yoga formed by the above mentioned planets especially Mars and Saturn in the seventh, lagna or fourth places affects the married life and the yoga formed in the rest of the position has little or immediate effect. Considering Manglik Dosha, the decision should be taken on the basis of the positions of the planets and zodiac signs in the horoscope.
Avoidance of auspicious defects: -
Mangli Dosh automatically ends when Mangli Yogkaraka planet is in its own sign, Moola Trikona sign or exalted sign.
If the seventh lord or Venus is strong and the seventh house is conjunct with them, then Mangal Dosha automatically ends in that horoscope.
If there is Mangali dosha in the horoscope of one of the bride or groom and in the other's horoscope, if Saturn is in the ascendant, fourth, seventh, eighth or twelfth house, then the defect automatically ends.
Mangli Dosh ends when a strong Jupiter or Venus is in the Ascendant or in the seventh house and Mars is weak.
Mars in Aries, Mars in 4th house in Scorpio, Mars in 7th house in Taurus, Mars in Aquarius, Mars in 8th house and Mars in Sagittarius do not create defects.
If Mars is situated in the zodiac sign of Venus and the seventh lord being strong is in the Kendra-Trikon, then Mangli Dosh becomes ineffective.
Read this article carefully and do not keep this knowledge to yourself after reading, share it as much as possible so that this knowledge can reach everyone because the donation of knowledge is most important and beneficial.
✍ Acharya JP Singh
Astrology, Vastu Specialist & Astro Medical Specialist www.astrojp.com,
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