what is guru pushya ?
गुरु पुष्य क्या है
गुरु पुष्य नक्षत्र में खरीदारी करना शुभ माना जाता है और इस दिन को नये कार्य को करने का भी शुभ दिन माना गया है। आओ जानते हैं कि गुरु पुष्य क्या है और शुभ फल देने वाले इस नक्षत्र की 25 बड़ी बातें।
गुरु पुष्य नक्षत्र क्या है : 27 नक्षत्रों में से एक आठवां नक्षत्र पुष्य है और 28वां नक्षत्र अभिजीत है। जिस वार को पुष्य नक्षत्र आता है उसे उसी वार के अनुसार जाना जाता है। जैसे रवि पुष्य योग, शनि पुष्य योग, गुरु पुष्य योग। बुधवार और शुक्रवार के दिन पड़ने वाले पुष्य नक्षत्र उत्पातकारी भी माने गए हैं। बाकि दिन आने वाले पुष्य नक्षत्र शुभ है और उनमें भी शनि और गुरु पुष्य
हिंदू पंचांग के हर महीने में अपने क्रम के अनुसार विभिन्न नक्षत्र चंद्रमा के साथ संयोग करते हैं। जब यह क्रम पूर्ण हो जाता है तो उसे एक चंद्र मास कहते हैं। इस प्रकार हर महीने में पुष्य नक्षत्र का शुभ योग बनता है। नक्षत्र कथा के अनुसार ये 27 नक्षत्र भगवान ब्रह्मा के पुत्र दक्ष प्रजापति की 27 कन्याएं हैं, इन सभी का विवाह दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा के साथ किया था। चंद्रमा का विभिन्न नक्षत्रों के साथ संयोग पति-पत्नी के निश्चल प्रेम का ही प्रतीक स्वरूप है। इस प्रकार चंद्रवर्ष के अनुसार महीने में एक दिन चंद्रमा पुष्य नक्षत्र के साथ भी संयोग करता है, शुभ कहा गया है।
1. अन्य माह के पुष्य नक्षत्र से ज्यादा दीपावली के पहले आने वाला पुष्य नक्षत्र खास माना जाता है, क्योंकि दीपावली के लिए की जाने वाली खरीदी के लिए यह विशेष शुभ होता है जिससे कि जो भी वस्तु इस दिन आप खरीदते हैं वह लंबे समय तक उपयोग में रहती है।
2. इस क्षत्र में मान्यता अनुसार इस दौरान की गई खरीदारी अक्षय रहेगी। अक्षय अर्थात जिसका कभी क्षय नहीं होता है।
3. इस नक्षत्र में सोना, चांदी, वाहन, ज्वेलरी, मकान, प्लैट, दुकान, कपड़े, बर्तन, श्रृंगार की वस्तुएं, स्टेशनरी, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं और बहीखाते खरीदना शुभ होता है।
4. इन नक्षत्र में शिल्पकला और चित्रकला की पढ़ाई प्रारंभ करना, मंदिर निर्माण और घर निर्माण प्रारंभ करना, उपनयन संस्कार के बाद विद्याभ्यास करना, दुकान खोलना, नया व्यापार करना, निवेश आदि करना शुभ है।
5. बुधवार और शुक्रवार के दिन पड़ने वाले पुष्य नक्षत्र उत्पातकारी भी माने गए हैं। अत: इस दिन कोई भी शुभ या मंगल कार्य ना करें और ना ही कोई वस्तु खरीदें।
6. विदवानों का मानना है कि इस दिन विवाह नहीं करना चाहिए क्योंकि पुष्य नक्षत्र को ब्रह्माजी का श्राप मिला हुआ है, इसलिए यह नक्षत्र विवाह हेतु वर्जित माना गया है।
7. पुष्य नक्षत्र का शाब्दिक अर्थ है पोषण करना या पोषण करने वाला। इसे तिष्य नक्षत्र के नाम से भी जानते हैं। तिष्य शब्द का अर्थ है शुभ होना।
8. कुछ ज्योतिष पुष्य शब्द को पुष्प शब्द से निकला हुआ मानते हैं। पुष्प शब्द अपने आप में सौंदर्य, शुभता तथा प्रसन्नता से जुड़ा है।
9. वैदिक ज्योतिष के अनुसार गाय के थन को पुष्य नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह माना जाता है। ऋगवेद में पुष्य नक्षत्र को मंगलकर्ता भी कहा गया है। इसके अलावा यह समृद्धिदायक, शुभ फल प्रदान करने वाला नक्षत्र माना गया है।
10. इसे 'ज्योतिष्य और अमरेज्य' भी कहते हैं। अमरेज्य शब्द का अर्थ है- देवताओं का पूज्य।
11. बृहस्पति को पुष्य नक्षत्र के देवता के रूप में माना गया है। दूसरी ओर शनि ग्रह पुष्य नक्षत्र के अधिपति ग्रह माने गए हैं। इसीलिए शनि का प्रभाव शनि ग्रह के कुछ विशेष गुण इस नक्षत्र को प्रदान करते हैं। पुष्य नक्षत्र के सभी चार चरण कर्क राशि में स्थित होते हैं जिसके कारण यह नक्षत्र कर्क राशि तथा इसके स्वामी ग्रह चन्द्रमा के प्रभाव में भी आता है। चूंकि बृहस्पति शुभता, बुद्धिमत्ता और ज्ञान का प्रतीक हैं, शनि स्थायित्व का, इसलिए इन दोनों का योग मिलकर पुष्य नक्षत्र को शुभ और चिर स्थायी बना देता है। इसके साथ ही चन्द्रमा को वैदिक ज्योतिष में मातृत्व तथा पोषण से जुड़ा हुआ ग्रह माना जाता है। शनि, बृहस्पति तथा चन्द्रमा का इस नक्षत्र पर मिश्रित प्रभाव इस नक्षत्र को पोषक, सेवा भाव से काम करने वाला, सहनशील, मातृत्व के गुणों से भरपूर तथा दयालु बना देता है जिसके चलते इस नक्षत्र के प्रभाव में आने वाले जातकों में भी यह गुण देखे जाते हैं।
12. पुष्य नक्षत्र के सभी चार चरण कर्क राशि में स्थित होते हैं। पुष्य नक्षत्र के चार चरणों से प्रथम का स्वामी सूर्य, दूसरे का स्वामी बुध, तीसरे का स्वामी शुक्र और चौथे का स्वामी मंगल है।
13. वैदिक ज्योतिष के अनुसार पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों का राजा कहा गया है। पुष्य को एक पुरुष नक्षत्र माना जाता है जिसका कारण बहुत से वैदिक ज्योतिषी इस नक्षत्र पर बृहस्पति का प्रबल प्रभाव मानते हैं। पुष्य नक्षत्र को क्षत्रिय वर्ण प्रदान किया गया है और इस नक्षत्र को पंच तत्वों में से जल तत्व के साथ जोड़ा जाता है।
14. मुहूर्त चिंतामणि नक्षत्र प्रकरण ग्रंथ के श्लोक 10 के अनुसार, पुष्य, पुनर्वसु और रोहिणी इन तीन नक्षत्रों में सधवा स्त्री नए स्वर्ण आभूषण और नए वस्त्र धारण नहीं करें, ऐसा लिखा है। मतलब यह कि इस दिन संभवत: स्वर्ण तो खरीदा जा सकता है लेकिन पहना नहीं जा सकता।
15. इस दिन पूजा या उपवास करने से जीवन के हर एक क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है। सर्वप्रथम अपने घरों में सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय मां लक्ष्मी के सामने घी से दीपक जलाएं। किसी नए मंत्र की जाप की शुरुआत करें।
16. इस दिन दाल, खिचड़ी, चावल, बेसन, कड़ी, बूंदी की लड्डू आदि का सेवन करने और यथाशक्ति दान करने की परंपरा है।
17. इस दिन से नए कार्यों की शुरुआत करें, जैसे ज्ञान या विद्या आरम्भ करना, कुछ नया सीखना, दुकान खोलना, लेखक हैं तो कुछ नया लिखना आदि।
18. पुष्य नक्षत्र में दिव्य औषधियों को लाकर उनकी सिद्धि की जाती है। जैसे इस दिन हत्था जोड़ी लाकर उसकी विशेष पूजा की जाती और उसे चांदी की डिबिया में सिंदूर लगाकर तिजोरी में रखा जाता है जिससे लक्ष्मी का स्थाई निवास होता है। यह प्रयोग शंखपुष्पी की जड़ के साथ भी किया जा सकता है। दोनों ही प्रयोग किसी ज्योतिष से पूछकर ही करें।
19. इस दिन कुंडली में विद्यमान दूषित सूर्य के दुष्प्रभाव को घटाया जा सकता है। इसके लिए सूर्य को अर्ध्य दें और सूर्य से संबंधित वस्तुओं का दान करें।
20. पुष्य नक्षत्र के नाम पर एक माह पौष है। 24 घंटे के अंतर्गत आने वाले तीन मुहूर्तों में से एक 20वां मुहूर्त पुष्य भी है। कुछ खास मुहूर्त जैसे सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि आदि में गुरुपुष्यामृत और रविपुष्यामृत योग का भी नाम आता है।
21. पुष्य नक्षत्र का संयोग जिस भी वार के साथ होता है उसे उस वार से कहा जाता है। जैसे- गुरुवार को आने पर गुरु-पुष्य, रविवार को रवि-पुष्य, शनिवार के दिन शनि-पुष्य और बुधवार के दिन आने पर बुध-पुष्य नक्षत्र कहा जाता है। सभी दिनों का अलग-अलग महत्व होता है। गुरु-पुष्य, शनि पुष्य और रवि-पुष्य योग सबसे शुभ माने जाते हैं।
22. इस दिन धन का निवेश लंबी अवधि के लिए करने पर भविष्य में उसका अच्छा फल प्राप्त होता है।
23. इस शुभदायी दिन पर महालक्ष्मी की साधना करने, पीपल या शमी के पेड़ की पूजा करने से उसका विशेष व मनोवांछित फल प्राप्त होता है। इस दिन पीपल, शमी और आंकड़े के पेड़ या दूध वाले पेड़ की पूजा कर सकते हैं। इससे हर एक क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है।
24. इस दिन रोटी पर घी चुपड़कर उसके साथ गुड़ मिलाकर गाय को खिलाने से धन लाभ प्राप्त होता है।
25. लक्ष्मी माता के समक्ष घी का दीपक जलाकर उन्हें कमल पुष्प अर्तित करके इस दिन श्रीसूक्त का पाठ करने से माता लक्ष्मी बहुत ही जल्द प्रसन्न होती है। इस शुभदायी दिन पर माता लक्ष्मी की पूजा और साधना करने से उसका विशेष फल प्राप्त होता है। सर्वप्रथम अपने घर में सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय मां लक्ष्मी के सामने घी से दीपक जलाएं। किसी नए मंत्र की जाप की शुरुआत करें। फिर पूजा आदि करने के बाद श्रीसूक्त का पाठ करें और बाद में फिर पूजा करें।
गुरु पुष्य योग में खरीदने वाली 5 शुभ वस्तुएं
1. सोना: सोना को सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। गुरु पुष्य योग में खरीदा गया सोना आपके धन-संपत्ति और भाग्य को बढ़ता है ।
2. हल्दी: गुरु पुष्य योग में हल्दी खरीदना भी शुभ है। देव गुरु बृहस्पति का शुभ रंग पीला है और हल्दी शुभता का प्रतीक है। यदि आप सोना नहीं खरीद पा रहे हैं तो हल्दी खरीदकर अपने भाग्य में वृद्धि कर सकते हैं ।
3. चने की दाल: गुरु पुष्य योग में आप चने की दाल खरीदकर भी अपने सुख और समृद्धि में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं। गुरु ग्रह की पूजा में चने की दाल का उपयोग करते हैं और इसका भोग भगवान विष्णु को भी लगाते हैं। हल्दी और चने की दाल के अलावा आप पीले रंग के वस्त्र, पीतल, घी आदि भी खरीद सकते हैं।
4. सिक्का: गुरु पुष्य योग वाले दिन व्यक्ति को सोने का सिक्का या फिर चांदी का सिक्का खरीदना चाहिए। यह भी आपकी उन्नति में सहायक होगा।
5. धार्मिक पुस्तकें: गुरु पुष्य योग में देव गुरु बृहस्पति का प्रभाव अधिक होता है। ऐसे में आप गुरु पुष्य योग में धार्मिक पुस्तकें खरीद सकते हैं। इससे भी आपको लाभ होगा।
कैसे करें पूजा
लक्ष्मी माता के समक्ष घी का दीपक जलाकर उन्हें कमल पुष्प अर्तित करके इस दिन श्रीसूक्त का पाठ करने से माता लक्ष्मी बहुत ही जल्द प्रसन्न होती है। इस शुभदायी दिन पर माता लक्ष्मी की पूजा और साधना करने से उसका विशेष फल प्राप्त होता है। इस दिन पूजा या उपवास करने से जीवन के हर एक क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है। सर्वप्रथम अपने घरों में सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय मां लक्ष्मी के सामने घी से दीपक जलाएं। किसी नए मंत्र की जाप की शुरुआत करें।
इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ें और पढ़ कर इस ज्ञान को अपने तक ही ना रखें इसे अधिक से अधिक शेयर करें ताकि यह ज्ञान सब तक पहुंच सके क्योंकि ज्ञान का दान सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं लाभकारी है
✍आचार्य जे पी सिंह
ज्योतिष, वास्तु विशेषज्ञ एवं एस्ट्रो मेडिकल स्पेशलिस्ट www.astrojp.com,
www.astrojpsingh.com
Mob .9811558158
what is guru pushya
Shopping in Guru Pushya Nakshatra is considered auspicious and this day is also considered auspicious to start a new work. Let us know what is Guru Pushya and 25 big things about this constellation which gives auspicious results.
What is Guru Pushya Nakshatra: One of the 27 Nakshatras is the eighth Nakshatra Pushya and the 28th Nakshatra is Abhijeet. The day on which Pushya Nakshatra falls is known according to that day. Like Ravi Pushya Yoga, Shani Pushya Yoga, Guru Pushya Yoga. Pushya Nakshatra falling on Wednesday and Friday are also considered malefic. Rest of the days coming Pushya Nakshatra are auspicious and Saturn and Guru Pushya are also in them.
In every month of the Hindu calendar, different Nakshatras coincide with the Moon according to their order. When this sequence is completed, it is called a lunar month. In this way, in every month, auspicious Yoga of Pushya Nakshatra is formed. According to Nakshatra Katha, these 27 Nakshatras are the 27 daughters of Daksha Prajapati, the son of Lord Brahma, all of whom were married by Daksha Prajapati to the Moon. The conjunction of Moon with various constellations is the symbol of the undying love of husband and wife. Thus, according to the lunar year, one day in a month, the moon also coincides with Pushya Nakshatra, which is said to be auspicious.
1. The Pushya Nakshatra that comes before Diwali is considered more special than the Pushya Nakshatra of other months, because it is especially auspicious for purchases made for Deepawali, so that whatever you buy on this day will last for a long time. remains in use.
2. According to the recognition in this Kshetra, the purchases made during this time will remain Akshay. Akshay means that which never decays.
3. It is auspicious to buy gold, silver, vehicle, jewelry, house, flat, shop, clothes, utensils, makeup items, stationery, machinery, electronic items and bookkeeping in this constellation.
4. It is auspicious to start the study of craft and painting, to start building a temple, to start building a house, to do studies after Upnayan Sanskar, to open a shop, to start a new business, to invest etc. in these constellations.
5. Pushya Nakshatra falling on Wednesday and Friday are also considered malefic. Therefore, do not do any auspicious or auspicious work on this day, nor buy anything.
6. Scholars believe that marriage should not be done on this day because Pushya Nakshatra is cursed by Brahmaji, therefore this Nakshatra is considered prohibited for marriage.
7. Pushya Nakshatra literally means nurturer or nurturer. It is also known by the name of Tishya Nakshatra. The word Tishya means auspicious.
8. Some astrologers consider the word Pushya to be derived from the word Pushpa. The word flower itself is associated with beauty, auspiciousness and happiness.
9. According to Vedic astrology, the udder of a cow is considered to be the symbol of Pushya Nakshatra. Pushya Nakshatra has also been called Mangalkarta in Rigveda. Apart from this, it is considered a prosperous, auspicious fruit giving constellation.
10. It is also called 'Jyotishya and Amrejya'. The meaning of the word Amrejya is - worshiped by the gods.
11. Jupiter is considered as the deity of Pushya Nakshatra. On the other hand, Saturn is considered the ruling planet of Pushya Nakshatra. That's why the effect of Saturn gives some special qualities of Saturn to this Nakshatra. All the four phases of Pushya Nakshatra are located in Cancer, due to which this Nakshatra also comes under the influence of Cancer and its ruling planet Moon. Since Jupiter is the symbol of auspiciousness, intelligence and knowledge, Saturn is the symbol of stability, therefore the combination of these two together makes Pushya Nakshatra auspicious and permanent. Along with this, Moon is considered to be a planet associated with motherhood and nutrition in Vedic astrology. The mixed effect of Saturn, Jupiter and Moon on this Nakshatra makes this Nakshatra nutritious, service-oriented, tolerant, full of motherly qualities and compassionate, due to which these qualities are seen in the people who come under the influence of this Nakshatra. Let's go
12. All the four phases of Pushya Nakshatra are located in Cancer. Out of the four phases of Pushya Nakshatra, Sun is the lord of the first, Mercury is the lord of the second, Venus is the lord of the third and Mars is the lord of the fourth.
13. According to Vedic astrology, Pushya Nakshatra has been called the king of all Nakshatras. Pushya is considered a male constellation because of which many Vedic astrologers consider the strong influence of Jupiter on this constellation. Pushya Nakshatra has been given the Kshatriya character and this Nakshatra is associated with the water element among the five elements.
14. According to Shlok 10 of the Muhurta Chintamani Nakshatra Prakasar Granth, it is written that in these three Nakshatras Pushya, Punarvasu and Rohini, Sadhwa women should not wear new gold ornaments and new clothes. This means that gold can probably be bought on this day but cannot be worn.
15. Worshiping or fasting on this day brings success in every area of life. First of all, at the time of sunrise and sunset in your homes, light a lamp with ghee in front of Goddess Lakshmi. Start chanting a new mantra.
16. On this day there is a tradition of consuming pulses, khichdi, rice, gram flour, curry, boondi laddoos etc. and donating as much as possible.
17. Start new tasks from this day, like starting knowledge or learning, learning something new, opening a shop, writing something new if you are a writer etc.
18. In Pushya Nakshatra, their accomplishment is done by bringing divine medicines. For example, on this day special worship is done by bringing a hand pair and it is kept in a silver box with vermilion and kept in the vault, which makes Lakshmi's permanent abode. This experiment can also be done with the root of Shankhpushpi. Do both experiments only after asking an astrologer.
19. On this day, the malefic effects of the malefic Sun present in the horoscope can be reduced. For this, give ardhya to the Sun and donate things related to the Sun.
20. There is a month Paush named after Pushya Nakshatra. Pushya is also the 20th Muhurta, one of the three Muhurtas that come under 24 hours. Gurupushyamrit and Ravipushyamrit yoga also figure in some special moments like Sarvarthasiddhi, Amritsiddhi etc.
21. The attack with which Pushya Nakshatra coincides is called that attack. Like- Guru-Pushya when it comes on Thursday, Ravi-Pushya on Sunday, Shani-Pushya on Saturday and Mercury-Pushya when it comes on Wednesday is called Nakshatra. All days have different importance. Guru-Pushya, Shani Pushya and Ravi-Pushya yoga are considered most auspicious.
22. Investing money on this day for a long period gives good results in future.
23. Worshiping Mahalakshmi, worshiping Peepal or Shami tree on this auspicious day gives special and desired results. On this day one can worship Peepal, Shami and figure tree or milk tree. This leads to success in every field.
24. On this day, mixing ghee on roti and feeding it to a cow with jaggery gives monetary benefits.
25. By lighting a ghee lamp in front of Goddess Lakshmi, offering lotus flowers to her and reciting Shreesukta on this day, Goddess Lakshmi becomes very happy. Worshiping and worshiping Goddess Lakshmi on this auspicious day gives special results. First of all, light a lamp with ghee in front of Maa Lakshmi at the time of sunrise and sunset. Start chanting a new mantra. Then after worshiping etc., recite Srisukta and then worship again.
5 auspicious things to buy during Guru Pushya Yoga
1. Gold: Gold is considered a symbol of happiness and prosperity. Gold bought in Guru Pushya Yoga increases your wealth and fortune.
2. Turmeric: It is also auspicious to buy turmeric during Guru Pushya Yoga. The auspicious color of Dev Guru Brihaspati is yellow and turmeric is a symbol of auspiciousness. If you are not able to buy gold then you can increase your fortune by buying turmeric.
3. Chana Dal: In Guru Pushya Yoga, you can increase your happiness and prosperity even by buying gram dal. Gram dal is used in the worship of Guru Graha and it is also offered to Lord Vishnu. Apart from turmeric and gram dal, you can also buy yellow colored clothes, brass, ghee etc.
4. Coin: On the day of Guru Pushya Yoga, a person should buy a gold coin or a silver coin. This will also be helpful in your progress.
5. Religious Books: The effect of Dev Guru Brihaspati is more in Guru Pushya Yoga. In such a situation, you can buy religious books in Guru Pushya Yoga. You will also benefit from this.
how to worship
By lighting a lamp of ghee in front of Goddess Lakshmi, offering lotus flowers to her and reciting Shrisukta on this day, Mother Lakshmi becomes very happy very soon. Worshiping and worshiping Goddess Lakshmi on this auspicious day gives special results. Worshiping or fasting on this day brings success in every area of life. First of all, at the time of sunrise and sunset in your homes, light a lamp with ghee in front of Goddess Lakshmi. Start chanting a new mantra.
Read this article carefully and do not keep this knowledge to yourself after reading, share it as much as possible so that this knowledge can reach everyone because the donation of knowledge is most important and beneficial.
✍ Acharya JP Singh
Astrology, Vastu Specialist & Astro Medical Specialist www.astrojp.com,
www.astrojpsingh.com
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