Jaundice and Astro Medical


पीलिया एवं एस्ट्रो मेडिकल

प्राचीन काल से ही ज्योतिष से रोग जानने की विद्या हमारे देश में प्रचलित है जिसे एस्ट्रो मेडिकल कहा जाता है। जम्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति पूरे जीवन में होने वाले रोगों की जानकारी देती हैं। जीवन में होने वाले रोगों को जानने के लिए ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए हमारे शास्त्रों मे कई सूत्र दिए हैं। जिनमें से कुछ प्रमुख सूत्र इस प्रकार से हैं :
कैसे करें जन्म कुंडली (ज्योतिष) में रोग 

विचार :--
षष्ठ स्थान
ग्रहों की स्थिति
राशियां
कारक ग्रह

सामान्यतः रोगों के कारण :
यदि लग्न एवं लग्नेश की स्थिति अशुभ हो।
यदि चंद्रमा का क्षीर्ण अथवा निर्बल हो या चन्द्रलग्न में पाप ग्रह बैठे हों ।
यदि लग्न, चन्द्रमा एवं सूर्य तीनों पर ही पाप अथवा अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो।
यदि पाप ग्रह का शुभ ग्रहों की अपेक्षा अधिक बलवान हों।

हम सभी जानते हैं कि यकृत (लिवर) शरीर के अत्यंत महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। यकृत की कोशिकाएँ आकार में सूक्ष्मदर्शी से ही देखी जा सकने योग्य हैं, परंतु ये बहुत कार्य करती हैं। एक कोशिका इतना कार्य करती हैं कि इसकी तुलना एक कारखाने से (क्योंकि यह अनेक रासायनिक यौगिक बनाती है), एक गोदाम से (ग्लाइकोजन, लोहा और बिटैमिन को संचित रखने के कारण), अपशिष्ट निपटान संयंत्र से (पिपततवर्णक, यूरिया और विविध विषहरण उत्पादों को उत्सर्जित करने के कारण) और शक्ति संयंत्र से (क्योंकि इसके अपचय से पर्याप्त ऊष्मा उत्पन्न होती है) की जा सकती है। यकृत समस्त प्राणियों में पाचन संबंधी समस्त क्रियाएं, शरीर में रक्त की आपूर्ति के साथ शारीरिक पोषण का मुख्य आधार है। यकृत ही रक्चचाप से लेकर अन्य सभी क्रियाओं के जिए जिम्मेदार होता है। यकृत के क्षतिग्रस्त हो जाने पर जीवन असंभव हो जाता है।

सही समय पर पीलिया यानी (Jaundice) की रोकथाम न की जाए तो यह रोग जानलेवा हो सकता है। इस बीमारी में आंखों में पीलापन दिखाई देने लगता है, शरीर में भी पीलापन आ जाता है।

पीलिया यकॄत का बहुधा होने वाला रोग है। इस रोग में चमडी और श्लेष्मिक झिल्लियों के रंग में पीलापन आने लगता है। ऐसा खून में पित्त रस (बिले) की अधिकता की वजह से होता है। रक्त में बिलरुबिन की मात्रा बढ जाती है। हमारा लिवर पित्त रस का निर्माण करता है जो भोजन को पचाने और शरीर के पोषण के लिये जरूरी है। यह भोजन को आंतों में सडने से रोकता है। इसका काम पाचन प्रणाली को ठीक रखना है। अगर पित्त ठीक ढंग से आंतों में नहीं पहुंचेगा तो पेट में गैस की शिकायत बढ जाती है और शरीर में जहरीले तत्व एकत्र होने लगते हैं।

पीलिया तीन रूपों में प्रकट हो सकता है (पीलिया के लक्षण)

हेमोलाइटिक जांडिस में खून के लाल कण नष्ट होकर कम होने लगते हैं।

परिणाम स्वरूप रक्त में बिलरूबिन की मात्रा बढती है और रक्ताल्पता की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

इस प्रकार के पीलिया में बिलरूबिन के ड्यूडेनम को पहुंचने में बाधा पडने लगती है।

इसे ऑब्सट्रक्टिव जॉन्डिस कहते हैं।

तीसरे प्रकार का पीलिया लिवर के सेल्स को जहरीली दवा(टॉक्सिक ड्रग्स) या विषाणु संक्रमण (वायरल इन्फेक्शन ) से नुकसान पहुंचने की वजह से होता है।

त्वचा का और आंखों का पीला होना तीनों प्रकार के पीलिया का मुख्य लक्षण है।

पीलिया के अन्य लक्षण
अत्यंत कमजोरी
सिरदर्द
ज्वर होना
मिचली होना
भूख न लगना
अतिशय थकावट
सख्त कब्ज होना
आंख जीभ त्वचा और मूत्र का रंग पीला होना।

अवरोधी पीलिया अधिकतर बूढे लोगों को होता है और इस प्रकार के रोग में त्वचा पर जोरदार खुजली मेहसूस होती है।

एस्ट्रो मेडिकल के अनुसार कुछ ग्रहों की युति से भी विभिन्‍न रोग होने की संभावना रहती है। रोग, खानपान और असंयमित दिनचर्या के कारण तो होते ही हैं लेकिन इसके अलावा आपकी कुंडली के ग्रहों की युति भी आपको रोगी बना सकती है।  इस तरह के रोग प्रायः युति कारक ग्रहों की दशार्न्तदशा के साथ-साथ गोचर में भी अशुभ हों तो ग्रह युति का फल मिलता है। इन योगों को आप अपनी कुंडली में देखकर विचार सकते हैं। ऐसा करके आप होने वाले रोगों का पूर्वाभास करके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए सजग रह सकते हैं या दूजों की कुण्‍डली में देखकर उन्‍हें सजग कर सकते हैं।

यकृत के क्षतिग्रस्त हो जाने पर जीवन असंभव हो जाता है। यकृत से संबंधित एक अत्यंत घातक बीमारी है ‘‘पीलिया’’। रक्त में पित्तारूण या बिलीरूबिन के आधिक्य से यह रोग होता है, जो नेत्र श्लेष्मला और त्वचा के पीलेपन से प्रकट होता है। ज्योतिष में कुंडली के द्वादश भावों में यकृत का संबंध पंचम भाव से होता है। पंचम भाव का कारण ग्रह गुरु है। गुरु का अपना रंग पीला ही होता है और पीलिया रोग में भी जब रक्त में पित्तारूण की अधिकता हो तो शरीर के सभी अंग पीले हो जाते हैं। ऐसा पित्त के बिगडने से भी होता है। गुरु ग्रह भी पित्त तत्व से संबंध रखता है। पीलिया रोग में बिलीरूबिन पदार्थ रक्त की सहायता से सारे शरीर में फैलता है। रक्त के लाल कण मंगल के कारण होते हैं और तरल चंद्र से। इसलिए मंगल और चंद्र भी इस रोग के फैलने में अपना महत्व रखते है। इस प्रकार पंचम भाव, पंचमेंश, गुरु, मंगल और चंद्र जब अशुभ प्रभावों में जन्मकुंडली एवं गोचर में होते हैं, तो व्यक्ति को पीलिया रोग हो जाता है। जब तक गोचर और दशांतर दशा अशुभ प्रभाव में रहेंगे, तब तक जातक को पीलिया रोग रहेगा उसके उपरांत नहीं। अतः पीलिया रोग होने की स्थिति में पंचम भाव, पंचमेष, गुरू, मंगल तथा चंद्रमा की दषा-अंतरदषा का ज्ञान कर इनकी शांति कराना चाहिए।

एस्ट्रो मेडिकल मैं बताया कि गुरु के कारण लीवर, किडनी, तिल्ली आदि से सम्बन्धित रोग, कर्ण सम्बन्धी रोग, मधुमेह, पीलिया, याददाश्त में कमी, जीभ एवं पिण्डलियों से सम्बन्धित रोग, मज्जा दोष, यकृत पीलिया, स्थूलता, दंत रोग, मस्तिष्क विकार इत्यादि होने की संभावना होती हें।

जानिए लग्न अनुसार पीलिया (joindis) रोग का प्रभाव/परिणाम
पीलिया रोग का संबंध यकृत से है। ज्योतिष में कुंडली के द्वादश भावों में यकृत का संबंध पंचम भाव से होता है। पंचम भाव का कारक ग्रह गुरु है। गुरु का अपना रंग भी पीला ही होता है और पीलिया रोग में भी जब रक्त में बिलीरूबिन जाता है तो शरीर के अंगों को पीला कर देता है। ऐसा पित्त के बिगड़ने से भी होता है। गुरु ग्रह भी पित्त तत्व से संबंध रखता है।

पीलिया रोग में बिलीरूबिन पदार्थ रक्त की सहायता से सारे शरीर में फैलता है। रक्त के लाल कण मंगल के कारण होते हैं और तरल चंद्र से इसलिए मंगल और चंद्र भी इस रोग के फैलने में अपना स्थान रखते हैं।

इस प्रकार पंचम भाव, पंचमेश, गुरु, मंगल और चंद्र जब अशुभ प्रभावों में जन्मकुंडली एवं गोचर में होते हैं तो व्यक्ति को पीलिया रोग हो जाता है। जब तक गोचर और दशा अंतर्दशा अशुभ प्रभाव में रहते हैं तब तक जातक को रोग रहता है उसके उपरांत वह ठीक हो जाता है।

समझें विभिन्न लग्नों में पीलिया रोग को

मेष लग्न: बुध षष्ठ भाव में, सूर्य सप्तम भाव में राहु या केतु से युक्त या दृष्ट, मंगल गुरु से युक्त या दृष्ट कुंडली में कहीं भी हो तो जातक को पीलिया रोग जीवन में जरूर होता है।

वृषभ लग्न: गुरु लग्न, पंचम या षष्ठ भाव में राहु-केतु से युक्त या दृष्ट, लग्नेश अस्त हो और मंगल से दृष्ट हो तो जातक को पीलिया या पीलिया जैसा खून की कमी का रोग होता है।

मिथुन लग्न : लग्नेश बुध अस्त होकर पंचम षष्ठ भाव में हो गुरु लग्न में मंगल से युत या दृष्ट हो, चंद्र राहु या केतु से दृष्ट होकर कहीं भी हो तो जातक को पीलिया संबंधी रोग होता है।

कर्क लग्न : लग्नेश चंद्र बुध से युक्त, राहु-केतु से दृष्ट होकर लग्न, पंचम या षष्ठ भाव में हो और गुरु सूर्य से अस्त होकर किसी भी भाव में हो तो जातक को पीलिया जैसा रोग होता है।

सिंह लग्न: सूर्य राहु केतु से दृष्ट दशम भाव में और गुरु राहु केतु से युक्त होकर षष्ठ भाव में हो और मंगल से दृष्ट हो तो जातक को पीलिया होता है।

कन्या लग्न: लग्नेश अस्त होकर षष्ठ भाव में हो, गुरु एवं लग्न दोनो पीलिया होता हैl

तुला लग्न: गुरु पंचम या षष्ठ भाव में राहु या केतु से युक्त या दृष्ट हो, चंद्र मंगल भी राहु-केतु के प्रभाव में कुंडली में कहीं भी हो, सूर्य शनि से युक्त या दृष्ट हो तो जातक को पीलिया हो सकता है।

वृश्चिक लग्न: बुध लग्न में राहु केतु से युक्त या दृष्ट, मंगल सूर्य से अस्त हो, गुरु वक्री होकर षष्ठ भाव में हो या षष्ठ भाव पर उसकी दृष्टि हो तो जातक को पीलिया होने की संभावना होती है।

धनु लग्न: सूर्य षष्ठ भाव में मंगल से युक्त या दृष्ट हो, चंद्र लग्न में राहु-केतु से युक्त या दृष्ट हो तो जातक को पीलिया हो सकता है।

मकर लग्न: लग्नेश शनि और षष्ठेश गुरु राहु-केतु के प्रभाव में पंचम, षष्ठ या लग्न में हो और चंद्र, मंगल सूर्य से अस्त या सूर्य के प्रभाव में हो तो जातक को पीलिया जैसा रोग हो सकता है।

कुंभ लग्न: लग्नेश शनि अस्त हो, मंगल और चंद्र राहु या केतु से युक्त, दृष्ट होकर षष्ठ भाव में हो और गुरु के भी प्रभाव में हो तो जातक को पीलिया हो सकता है।

मीन लग्न: षष्ठेश सूर्य राहु-केतु से युक्त या दृष्ट लग्न में हो, शुक्र शनि एक दूसरे पर दृष्टि रखते हुए षष्ठ भाव में, मंगल पंचम भाव में चंद्र से युक्त या दृष्ट हो तो जातक को पीलिया या खून की कमी रहती है।

नवजात बच्चे को पीलिया का ग्रह-कुंडली से क्‍या है कनेक्‍शन

ज्योतिष शास्त्र की मानें तो बच्चे वंशानुगत पाप ग्रहों की चपेट में आने से भी बीमार पड़ते हैं। इसके साथ ही उन्हें पीलिया भी हो जाता है।

नवजात बच्चे अक्सर पीलिया के शिकार हो जाते हैं। इससे उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बार-बार हो रही पीलिया की वजह से बच्चे का विकास ठीक ढंग से नहीं हो पाता है। हांलाकि डॉक्टरों के पास पीलिया का इलाज मौजूद है और वे उसे ठीक भी कर देते हैं। लेकिन ज्योतिष शास्त्र नवजात बच्चे को होने वाली पीलिया पर एक अलग ही राय रखता है। इसके मुताबिक लग्न भाव की वजह से बच्चे को बार-बार पीलिया का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र में इसके निदान के बारे में विस्तार से बताया गया है। आइए जानते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, यदि बच्चे के जन्म के समय उसकी कुंडली में लग्न भाव बन रहा हो तो उसे पीलिया होने का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल लग्न के दूसरे, तीसरे और एकादश भाव पर शनि और दूसरे क्रूर ग्रहों की बुरी नजर पड़ने से बच्चा बीमार होता है। और वह धीरे-धीरे पीलिया की चपेट में आ जाता है। इसलिए बच्चे के जन्म के समय उसकी कुंडली में ग्रहों का शांत होना जरूरी है। ऐसे में यदि बच्चे के जन्म के समय उसकी कंडली में क्रूर ग्रहों का साया हो तो सावधान हो जाने की जरूरत है।

नवजात बच्चे को पीलिया का ग्रह-कुंडली से क्‍या है कनेक्‍शन, जानें ज्योतिष की बातें

ज्योतिष शास्त्र की मानें तो बच्चे वंशानुगत पाप ग्रहों की चपेट में आने से भी बीमार पड़ते हैं। इसके साथ ही उन्हें पीलिया भी हो जाता है।

नवजात बच्चे अक्सर पीलिया के शिकार हो जाते हैं। इससे उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बार-बार हो रही पीलिया की वजह से बच्चे का विकास ठीक ढंग से नहीं हो पाता है। हांलाकि डॉक्टरों के पास पीलिया का इलाज मौजूद है और वे उसे ठीक भी कर देते हैं। लेकिन ज्योतिष शास्त्र नवजात बच्चे को होने वाली पीलिया पर एक अलग ही राय रखता है। इसके मुताबिक लग्न भाव की वजह से बच्चे को बार-बार पीलिया का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र में इसके निदान के बारे में विस्तार से बताया गया है। आइए जानते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, यदि बच्चे के जन्म के समय उसकी कुंडली में लग्न भाव बन रहा हो तो उसे पीलिया होने का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल लग्न के दूसरे, तीसरे और एकादश भाव पर शनि और दूसरे क्रूर ग्रहों की बुरी नजर पड़ने से बच्चा बीमार होता है। और वह धीरे-धीरे पीलिया की चपेट में आ जाता है। इसलिए बच्चे के जन्म के समय उसकी कुंडली में ग्रहों का शांत होना जरूरी है। ऐसे में यदि बच्चे के जन्म के समय उसकी कंडली में क्रूर ग्रहों का साया हो तो सावधान हो जाने की जरूरत है।

ज्योतिष शास्त्र की मानें तो बच्चे वंशानुगत पाप ग्रहों की चपेट में आने से भी बीमार पड़ते हैं। इसके साथ ही उन्हें पीलिया भी हो जाता है। वंशानुगत पाप ग्रह इस बात को दर्शाते हैं कि बच्चे के पूर्वजों द्वारा किए गए पाप कर्मों का फल उसे मिल रहा है। बच्चे की कुंडली में यह राहु ग्रह के दोष की वजह से होता है। ऐसे में माता-पिता को नवजात बच्चे को पीलिया होने पर सतर्क हो जाना चाहिए।
और ज्योतिष शास्त्र में बच्चे को वंशानुगत पाप ग्रहों से बचाने वाले उपायों का पालन करना चाहिए।

इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ें और पढ़ कर इस ज्ञान को अपने तक ही ना रखें इसे अधिक से अधिक शेयर करें ताकि यह ज्ञान सब तक पहुंच सके क्योंकि ज्ञान का दान सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं लाभकारी है

✍आचार्य जे पी सिंह
ज्योतिष, वास्तु विशेषज्ञ एवं एस्ट्रो मेडिकल स्पेशलिस्ट www.astrojp.com,
www.astrojpsingh.com
Mob .9811558158

Jaundice and Astro Medical

Since ancient times, the knowledge of astrology is prevalent in our country, which is called Astro Medical.  The position of the planets in the Jamm Kundli gives information about the diseases occurring throughout life.  To know the diseases occurring in life, many sources have been given in our scriptures for astrological analysis.  Some of the main formulas are as follows:
How to do disease in horoscope (astrology)

Idea :--
sixth place
planetary positions
amounts
causative planet

Common causes of diseases:
If the position of ascendant and ascendant is inauspicious.
If the Moon is weak or weak or malefic planets are present in the Moon ascendant.
If the Ascendant, the Moon and the Sun are affected by sins or inauspicious planets.
If malefic planets are stronger than auspicious planets.
We all know that liver is one of the most important organs of the body.  Liver cells are only visible under a microscope in size, but they perform many functions.  A cell functions so well that it can be compared to a factory (because it makes many chemical compounds), a warehouse (because it stores glycogen, iron, and vitamins), a waste disposal plant (because it stores bile pigments, urea, and various detoxification products).  emitting CO) and from a power plant (since its catabolism produces substantial heat).  Liver is the main basis of physical nutrition along with the supply of blood in the body, all the activities related to digestion in all living beings.  The liver is responsible for everything from blood pressure to other functions.  Life becomes impossible when the liver is damaged.

If jaundice is not prevented at the right time, then this disease can be fatal.  In this disease yellowness starts appearing in the eyes, yellowness also comes in the body.

Jaundice is a frequently occurring disease of the liver.  In this disease, yellowness starts appearing in the color of the skin and mucous membranes.  This happens due to the excess of bile juice (Bile) in the blood.  The amount of bilirubin in the blood increases.  Our liver produces bile juice which is necessary for digestion of food and nutrition of the body.  It prevents food from rotting in the intestines.  Its job is to keep the digestive system healthy.  If the bile does not reach the intestines properly, then the complaint of gas in the stomach increases and toxic elements start collecting in the body.

Jaundice can appear in three forms (symptoms of jaundice)

In hemolytic jaundice, the red blood cells are destroyed and start decreasing.

As a result, the amount of bilirubin in the blood increases and the condition of anemia arises.

In this type of jaundice, there is obstruction in reaching the duodenum of bilirubin.

This is called obstructive jaundice.

The third type of jaundice is caused by damage to liver cells by toxic drugs or viral infection.

Yellowing of the skin and eyes is the main symptom of all the three types of jaundice.

Other symptoms of jaundice
extreme weakness
Headache
have a fever
being nauseous
loss of appetite
extreme exhaustion
severe constipation
Yellow color of eyes, tongue, skin and urine.

Obstructive jaundice mostly occurs in old people and in this type of disease, severe itching is felt on the skin.
According to Astro Medical, there is a possibility of various diseases due to the combination of some planets.  Diseases are caused due to diet and uncontrollable routine, but apart from this, the combination of planets in your horoscope can also make you sick.  Such diseases are often inauspicious along with the Dashartasha of the planets, as well as transits, then the result of planetary alliance is given.  You can consider these yogas by looking at your horoscope.  By doing this, you can stay alert for your health by anticipating the diseases or you can make them aware by looking into the horoscope of others.

Life becomes impossible when the liver is damaged.  Jaundice is a very fatal disease related to the liver.  This disease is caused by the excess of pittarun or bilirubin in the blood, which is manifested by yellowing of the mucous membrane of the eyes and the skin.  In astrology, the liver is related to the fifth house in the twelve houses of the horoscope.  The reason for the fifth house is the planet Jupiter.  Jupiter's own color is yellow and even in jaundice, when there is an excess of bile in the blood, all the parts of the body turn yellow.  This also happens due to vitiation of bile.  The planet Jupiter is also related to the Pitta element.  In jaundice, the bilirubin substance spreads throughout the body with the help of blood.  The red particles of blood are due to Mars and the liquid ones are due to Moon.  That's why Mars and Moon also have their importance in the spread of this disease.  In this way, when the fifth house, fifth house, Jupiter, Mars and Moon are inauspicious effects in the birth chart and transit, then the person gets jaundice.  As long as the Gochar and Dashantar Dasha are inauspicious, the Jatak will suffer from Jaundice, not after that.  Therefore, in case of jaundice, they should be pacified after knowing the condition of fifth house, fifth house, Jupiter, Mars and Moon.

Astro Medical said that due to Guru, diseases related to liver, kidney, spleen etc., diseases related to ear, diabetes, jaundice, loss of memory, diseases related to tongue and calves, marrow defects, liver jaundice, obesity, dental diseases, brain disorders.  etc. are likely to happen.

Know the effects/results of Jaundice (joindis) according to ascendant.
Jaundice is related to the liver.  In astrology, the liver is related to the fifth house in the twelve houses of the horoscope.  The ruling planet of the fifth house is Jupiter.  Guru's own color is also yellow and even in jaundice, when bilirubin enters the blood, it turns the body parts yellow.  This also happens due to vitiation of bile.  The planet Jupiter is also related to the Pitta element.

In jaundice, the bilirubin substance spreads throughout the body with the help of blood.  The red particles of the blood are due to Mars and liquid from Moon, therefore Mars and Moon also have their place in the spread of this disease.

In this way, when the fifth house, fifth lord, Jupiter, Mars and Moon are inauspicious effects in the horoscope and transit, then the person gets jaundice.  As long as the transit and dasha are under inauspicious influence, then the person remains diseased, after that he gets cured.

Understand jaundice disease in different marriages

Aries Ascendant: Mercury in the sixth house, Sun in the seventh house, conjunct or aspected by Rahu or Ketu, Mars conjunct or aspected by Jupiter, wherever in the horoscope, the person definitely suffers from jaundice in life.

Taurus Ascendant: Guru Ascendant, Rahu-Ketu conjunct or aspected in fifth or sixth house, ascendant lord is set and aspected by Mars, then the person suffers from anemia like jaundice or jaundice.

Gemini Ascendant: If the Ascendant Mercury is set in the fifth and sixth house, Jupiter is conjunct or aspected by Mars in the Ascendant, Moon is aspected by Rahu or Ketu, then the person suffers from jaundice related disease.

Cancer Ascendant: Ascendant Moon conjoined with Mercury, aspected by Rahu-Ketu, if ascendant is in the fifth or sixth house and Jupiter is set in any house after setting from the Sun, then the person suffers from a disease like jaundice.

Leo Ascendant: If the Sun is in the tenth house aspected by Rahu Ketu and Guru Rahu joins Ketu in the sixth house and is aspected by Mars, then the person suffers from jaundice.

Virgo Ascendant: If the Ascendant is set in the sixth house, both Jupiter and Ascendant are jaundiced.

Libra Ascendant: Jupiter is conjunct or aspected by Rahu or Ketu in the fifth or sixth house, Moon and Mars are also anywhere in the horoscope under the influence of Rahu-Ketu, Sun is conjunct or aspected by Saturn, then the person may develop jaundice.

Scorpio Ascendant: If Mercury is conjunct or aspected by Rahu Ketu, Mars is set by the Sun, Jupiter is retrograde in the sixth house or if it aspects the sixth house, then there is a possibility of Jaundice.

Sagittarius Ascendant: If the Sun is conjoined or aspected by Mars in the sixth house, if the Moon is conjunct or aspected by Rahu-Ketu in the ascendant, then the person may develop jaundice.

Capricorn Ascendant: If Ascendant Saturn and sixth lord are in the fifth, sixth or ascendant under the influence of Rahu-Ketu and Moon, Mars sets from the Sun or are under the influence of the Sun, then the person may suffer from a disease like jaundice.

Aquarius Ascendant: If ascendant Saturn is set, Mars and Moon are conjoined with Rahu or Ketu, aspected in the sixth house and also under the influence of Jupiter, then the person may develop jaundice.

Pisces Ascendant: If the sixth lord Sun is conjoined or aspected by Rahu-Ketu, Venus and Saturn aspecting each other in the sixth house, Mars conjoined or aspected by the Moon in the fifth house, then the person suffers from jaundice or lack of blood.

What is the connection of Jaundice to the newborn baby with the horoscope?

According to astrology, children also fall ill due to the influence of hereditary malefic planets.  Along with this, they also get jaundice.

Newborn babies often become victims of jaundice.  Due to this, they have to face a lot of problems physically and mentally.  Due to frequent jaundice, the development of the child is not done properly.  Although doctors have a cure for jaundice and they also cure it.  But astrology has a different opinion on jaundice in a newborn baby.  According to this, due to ascendant house, the child has to face jaundice again and again.  Its diagnosis has been explained in detail in astrology.  Let's know.
According to astrology, if the ascendant house is formed in the child's horoscope at the time of birth, then the risk of jaundice increases.  Actually, due to the evil eye of Shani and other malefic planets on the second, third and eleventh house of the Ascendant, the child becomes ill.  And he gradually falls in the grip of jaundice.  That's why it is necessary for the planets in the horoscope to be calm at the time of the birth of the child.  In such a situation, if at the time of birth of a child, there is a shadow of malefic planets in his horoscope, then there is a need to be careful.

What is the connection of Jaundice to the newborn baby with the horoscope, know the things of astrology

According to astrology, children also fall ill due to the influence of hereditary malefic planets.  Along with this, they also get jaundice.

Newborn babies often become victims of jaundice.  Due to this, they have to face a lot of problems physically and mentally.  Due to frequent jaundice, the development of the child is not done properly.  Although doctors have a cure for jaundice and they also cure it.  But astrology has a different opinion on jaundice in a newborn baby.  According to this, due to ascendant house, the child has to face jaundice again and again.  Its diagnosis has been explained in detail in astrology.  Let's know.
According to astrology, if the ascendant house is formed in the child's horoscope at the time of birth, then the risk of jaundice increases.  Actually, due to the evil eye of Shani and other malefic planets on the second, third and eleventh house of the Ascendant, the child becomes ill.  And he gradually falls in the grip of jaundice.  That's why it is necessary for the planets in the horoscope to be calm at the time of the birth of the child.  In such a situation, if at the time of birth of a child, there is a shadow of malefic planets in his horoscope, then there is a need to be careful.

According to astrology, children also fall ill due to the influence of hereditary malefic planets.  Along with this, they also get jaundice.  Hereditary malefic planets indicate that the child is reaping the fruits of the sinful deeds done by his ancestors.  This is due to the defect of the planet Rahu in the child's horoscope.  In such a situation, parents should be alert if the newborn baby has jaundice.
  And in astrology the child should follow measures to protect the child from hereditary malefic planets.

Read this article carefully and do not keep this knowledge to yourself after reading, share it as much as possible so that this knowledge can reach everyone because the donation of knowledge is most important and beneficial.

✍ Acharya JP Singh
Astrology, Vastu Specialist & Astro Medical Specialist www.astrojp.com,
www.astrojpsingh.com
Mob.9811558158

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