Importance of Ram Navami
रामनवमी का महत्व
जन्म भूमि है यहां यह रामनवमी की पूजा बहुत ही धूमधाम से मनायी जाती है। रामनवमी के दिन पूरे अयोध्या में बहुत हलचल रहती है इस दिन यहां भव्य रूप से मेले का आयोजन किया जाता है।
इस मेले में दूर-दराज से भक्त गण के साथ साथ साधु-संन्यासी भी आते है और एक साथ मिलकर रामजन्मोत्सव मनाते है। इस पूजा के दिन विशेष रूप से अयोध्या मे स्त्रियाँ विशेष तौर पर घरो को सजाती है। इस दिन स्त्रियाँ घरो को साफ सुथरा करके पवित्र कलश को घर के मंदिर मे स्थापित करती है। पूरे नौ दिन तक भगवान श्री राम के नाम लिया जाता है। साथ ही साथ कीर्तन और भजन का भी आयोजन किया जाता घरों में विशेष साज-सज्जा कर, घर को पवित्र कर कलश स्थापना की जाती है और श्रीराम जी का पूजन कर, भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।इस दिन विशेष तौर पर श्रीराम के साथ माता जानकी और लक्ष्मण जी की भी पूजा होती है।
रामनवमी का गूढ़ रहस्य व ज्ञान
रामनवमी पूजा भगवान श्री राम के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस पूजा का मूल उद्देश्य अपने भीतर छिपे ज्ञान के प्रकाश को औलोकिक करना उसे जागृत करना। आइऐ जानते है राम नवमी पूजा मे छिपे गूढ़ रहस्य व ज्ञान को। रामनवमी के पूजा मे भगवान राम के अलावा प्रत्येक चरित्र किसी न किसी का प्रतिनिधित्व करता है ।
माता कौशल्या के नाम का अर्थ है प्रवीणता व कुशलता मतलब भक्त गण जो भी कार्य करे बहुत ही मन लगाकर कुशल पूर्वक करे।
तो वही राजा दशरथ के नाम का अर्थ है जिस व्यक्ति के पास दस रथ हो यहां दश रथ से आशय हमारे शरीर के अंग से है। किसी भी व्यक्ति के शरीर में 10 अंग होते है। पाचँ ज्ञानेन्द्रियाँ और पांच कर्मेन्द्रियाँ
(मुँह, दो हाथ, उत्सर्जन अंग, दो पैर, जननेन्द्रिय)इन सभी को नियंत्रण मे रखना भी इस पूजा का मूल उद्देश्य है।
इसी प्रकार से माता सुमित्रा के नाम का अर्थ है, जो सभी लोगो के साथ मैत्रीपूर्ण स्वभाव रखे तो वही कैकयी नाम का अर्थ है, जो वयकति बिना किसी स्वार्थ के सबकी मदद करे। इस प्रकार रामनवमी पूजा मे निहित रहस्य व गूढ़ है कि हमारा शरीर अयोध्या राज्य के भांति है और इसके अंदर निहित पांच कर्मेन्द्रियाँ और पांच ज्ञानन्द्रियां इस अयोध्या रूपी राज्य के राजा है। और कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी माता इस शरीर को दृढ़ता, कुशलता, विकासशील और दानवीर बनाती है।
यदि आप रामनवमी से संबंधित सभी जानकारियां प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारा यह लेख आपके लिए बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण होने वाला है तो इसे अंत तक जरूर पढ़े।
रामनवमी क्यों मनाया जाता है? इसका इतिहास और महत्व |
रामनवमी का त्यौहार क्या है?
रामनवमी का त्यौहार भगवान राम के जन्मोत्सव के उपलक्ष में मनाया जाता है। यह भी कहा जाता है कि भगवान राम को आदर्श पुरुष के रूप में स्थापित होने के कारण भी इस त्यौहार को मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं और कहानियों को पढ़ने या देखने से हमें यही सीख मिलती है कि एक पुरुष का चरित्र भगवान राम की तरह ही होना चाहिए, जिसकी वजह से भारत वर्ष में भगवान राम के अनुयाई बहुत से अधिक मात्रा में हुए थे।
रामनवमी के दिन देश में हिंदू धर्म के सभी लोग इस त्यौहार को काफी धूमधाम से मनाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि रामनवमी के दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। इसी कारण से प्रत्येक वर्ष इसी दिन हिंदू धर्म के अनुयाई लोग भगवान श्री राम के जन्म दिवस के उपलक्ष में रामनवमी के इस त्यौहार को बड़े ही हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाते हैं।
इस दिन को लोग इतना शुभ मानते हैं कि इस दिन बहुत से लोग अपनी-अपनी आस्था प्रकट करने के लिए भगवान श्री राम के लिए व्रत इत्यादि भी रखते हैं। भगवान श्री राम का स्मरण करके लोग अपने व्रत को पूर्ण करते हैं।
लोगों का मानना है कि यह पर्व भगवान राम से जुड़ा हुआ है, इसीलिए इस पर्व को बहुत ही शुभ माना जाता है और इस त्यौहार को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्यौहार को भारतवर्ष के सभी हिंदू धर्म के लोगों के द्वारा मनाया जाता है।
रामनवमी त्यौहार का समायोजन और समापन कब होता है?
चैत्र की नवरात्रि का समापन रामनवमी के दिन ही होता है। इसी कारण इस दिन बहुत से हिंदू धर्म के अनुयाई अयोध्या जाकर के सबसे प्रसिद्ध नदी सरयू में स्नान करते हैं और इसी दिन बहुत से स्थानों पर अनेकों लोगों के द्वारा व्रत भी रखे जाते हैं व हवन कराया जाता है।
लोगों के द्वारा ऐसा माना जाता है कि रामनवमी के दिन व्रत रखने से व्रत रखने वाले की सभी मनोकामनाएं प्यारी पूर्ण हो जाती हैं और उस व्यक्ति को अपने मन के मुताबिक फल प्राप्त होता है। उसी दिन अयोध्या जिले में राम मेले का आयोजन किया जाता है और प्रत्येक वर्ष वहां पर बहुत ही भारी मात्रा में भीड़ जमा हो जाती है। वहां इस मेले में बहुत सी अच्छे-अच्छे लोगों से मुलाकात भी हो जाती हैं।
रामनवमी के दिन स्नान करने के पश्चात लोग अपने अपने घरों में रामचरितमानस का पाठ करते हैं, लोग न केवल अपने घर में ही अपितु आसपास के मंदिरों में बहुत ही धूमधाम से रामचरितमानस का पाठ करवाते हैं। रामनवमी के दिन न केवल रामचरितमानस बल्कि उसके साथ-साथ कई स्थानों पर पुराणों का भी वाचन करवाया जाता है और इस के उपलक्ष में एक बहुत ही भव्य आयोजन किया जाता है।
रामनवमी क्यों मनाया जाता है?
शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री विष्णु के साथ में अवतार भगवान श्री राम जी के जन्म के उपलक्ष में त्रेता युग के समय से ही इस रामनवमी के त्यौहार को आयोजित किया जाता है। भगवान श्री राम का जन्म रावण के अत्याचारों और उसकी बुराई के नाम को खत्म करने के कारण हुआ था। बुराई का नाश करने और पृथ्वी से दानवों को खत्म करने के लिए एक नया धर्म की स्थापना की गई थी।
ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में रामनवमी का त्यौहार मनाया जाता है और इस त्यौहार का आयोजन इस नए धर्म की स्थापना के समय से ही किया जा रहा है। शास्त्रों के द्वारा यह भी माना जाता है कि भगवान श्री राम रावण के महल लंका पर विजय प्राप्त करने के पश्चात मां दुर्गा की उपासना की थी, जिसके कारण चैत्र मास की नवरात्रि के समापन होने के ठीक बाद ही राम नवमी का पर्व शुरू हो जाता है।
रामनवमी का इतिहास क्या है?
यदि हम पौराणिक कथाओं की मानें तो भगवान श्री राम जी का जन्म अयोध्या में राज महल में हुआ था। भगवान श्री राम के पिताजी का नाम महाराजा दशरथ था, राजा दशरथ के तीन पत्नियां थी। महाराजा दशरथ के किसी भी पत्नी को किसी भी संतान की प्राप्ति नहीं हो रही थी, जिसके कारण महाराज बहुत ही दुखी और परेशान रहते थे। अपनी ऐसी समस्या को लेकर के महाराज दशरथ महर्षि वशिष्ठ के पास पहुंचे।
महर्षि वशिष्ठ के पास जाकर के उन्होंने महर्षि वशिष्ठ को अपना संपूर्ण दुख बताया। इसके पश्चात महर्षि वशिष्ठ ने यज्ञ करने के लिए कहा, महाराजा दशरथ ने ठीक वैसा ही किया। ऐसा कहा जाता है कि यज्ञ समाप्त होने के पश्चात महर्षि ने उन्हें खीर प्रदान की और महर्षि वशिष्ठ ने कहा कि आप अपनी तीनों रानियों को इस खीर को खिला दीजिएगा।
महाराजा दशरथ ने अपनी पत्नियों को यह खीर खिलाई और देखते ही देखते 9 महीने बाद महाराजा दशरथ की सबसे बड़ी पत्नी कौशल्या को एक बहुत ही तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई। महाराजा दशरथ का यह पुत्र कोई और नहीं बल्कि भगवान श्रीराम ही थे। उसके बाद रानी कैकई ने भरत को जन्म दिया, भरत अपने भाई श्री राम के प्रति बहुत ही संवेदनशील थे और अपने भाई से बहुत ही प्रेम करते थे।
राजा दशरथ की सबसे छोटी पत्नी रानी सुमित्रा को दो जुड़वा बच्चे ने जन्म लिया था, उनके एक पुत्र का नाम लक्ष्मण और दूसरे पुत्र का नाम शत्रुघ्न था। लक्ष्मण के विषय में कौन नहीं जानता, भगवान श्री राम के सबसे प्रिय भाई लक्ष्मण ही थे। ऐसा कहा जाता है कि जिस दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था, उसी दिन को लोग रामनवमी के उपलक्ष में मनाते हैं।
भगवान श्रीराम का जन्म पृथ्वी पर दानवों का नाश करने के लिए हुआ था और इसके साथ-साथ भगवान श्री राम जी का जन्म पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करने के लिए भी हुआ था। भगवान श्री राम भगवान श्री हरि विष्णु के सातवें अवतार थे। शास्त्रों के अनुसार भगवान राम ने विष्णु के 7 अवतार के रूप में राजा दशरथ के घर जन्म लिया था।
भगवान श्रीराम को राजा दशरथ और महारानी कैकेई, कौशल्या और सुमित्रा तीनों ही बहुत प्रेम करते थे। परंतु किसी कारणवश इनकी माता कैकई ने इन्हें वनवास दे दिया था। भगवान श्रीराम का जन्म त्रेता युग में कौशल्या माता के कोख से मृत्यु लोक में हुआ था।
मृत्यु लोक वही है, जिसे हम पृथ्वी कहते हैं। इस पृथ्वी को मृत्यु लोग कहने का यह तात्पर्य है कि इस पृथ्वी पर जो कोई भी जन्म लेता है, उसकी मृत्यु निश्चित होती है। भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म रावण के अत्याचारों को खत्म करने के लिए हुआ था, इसके साथ-साथ भगवान रामचंद्र का जन्म दुष्टों का संहार करके पुनर धर्म स्थापना करना था।
भगवान श्री रामचंद्र जी ने चैत्र मास की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र में कर्क लग्न के समय जन्म लिया था। भगवान श्री रामचंद्र जी ने लंका पर विजय हासिल की थी और दानवों का वध कर दिया था। आपको बता दें कि भगवान श्री राम जी को पुरुषोत्तम के नाम से भी जाना जाता है।
भगवान श्री राम जी को पुरुषोत्तम इसीलिए कहा जाता है क्योंकि भगवान श्री राम जी पुरुषों में सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति थे। इसके साथ-साथ भगवान श्री रामचंद्र जी को आदर्श पुरुष के रूप में भी जाना जाता है और भगवान श्री राम के द्वारा बहुत से लोगों को सदमार्ग का दर्शन भी कराया गया था।
रामनवमी का त्यौहार किस तरह मनाते हैं?
भगवान राम के जन्मोत्सव को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। विभिन्न छोटे बड़े मंदिरों में भगवान श्री राम की मूर्ति को सजाई जाती है। साथ ही माता सीता और लक्ष्मण की मूर्ति को भी सजाया जाता है। भगवान राम के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है।
हर मंदिरों में भजन-कीर्तन होता है, भगवान राम की महिमा का बखान किया जाता है। सभी घरों में लोग व्रत रखते हैं। भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में रामनवमी के दिन कुछ अलग ही आकर्षक माहौल उत्पन्न किया जाता है। वहां पर अयोध्या मंदिर के साथ ही आसपास के क्षेत्र को भी सजा दिया जाता है।
इसके साथ ही वहां मेले भी आयोजित होते हैं, जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। देशभर से भक्त लोग अयोध्या जाकर भगवान राम के मंदिर के द्वार पर माथा टेकते हैं। यहां आने वाले लोग यमुना नदी में स्नान भी करते हैं।
कलियुग में राम नाम का महत्व
त्रेता युग के बाद कलयुग का प्रारंभ हुआ। कलयुग पूरी तरीके से हिंसा और अत्याचार से भरा हुआ है। पाप से भरे इस युग में भगवान राम के नाम के स्मरण से ही मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है। माना जाता है भगवान राम के जाप से ही व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं, इसलिए रामनवमी के दिन समस्त भारतीय लोग भगवान राम की पूजा पाठ करते हैं।
इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ें और पढ़ कर इस ज्ञान को अपने तक ही ना रखें इसे अधिक से अधिक शेयर करें ताकि यह ज्ञान सब तक पहुंच सके क्योंकि ज्ञान का दान सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं लाभकारी है
✍आचार्य जे पी सिंह
ज्योतिष, वास्तु विशेषज्ञ एवं एस्ट्रो मेडिकल स्पेशलिस्ट www.astrojp.com,
www.astrojpsingh.com
Mob .9811558158
Importance of Ram Navami
This is the birthplace, here the worship of Ramnavami is celebrated with great pomp. On the day of Ram Navami, there is a lot of movement in the whole of Ayodhya, on this day a grand fair is organized here.
Devotees from far and wide as well as sages and ascetics also come to this fair and celebrate Ram Janmotsav together. On the day of this Puja, especially in Ayodhya, women especially decorate the houses. On this day women keep the houses clean and install the holy Kalash in the temple of the house. The name of Lord Shri Ram is taken for the whole nine days. Along with this, kirtan and bhajan are also organized in the houses by making special decorations, sanctifying the house and setting up the urn and worshiping Shriram ji, bhajan-kirtan is organized. Along with this, Mata Janaki and Laxman ji are also worshipped.
Mystery and knowledge of Ram Navami
Ram Navami Puja is celebrated as the birthday of Lord Shri Ram. The basic purpose of this worship is to enlighten the light of knowledge hidden within and to awaken it. Let us know the deep secrets and knowledge hidden in Ram Navami Puja. In the worship of Ram Navami, each character represents someone or the other apart from Lord Rama.
The meaning of the name of Mata Kaushalya is proficiency and skill means whatever work the devotees do, they should do it efficiently with a lot of heart.
So the meaning of the name of King Dasaratha is the person who has ten chariots, here ten chariots mean the part of our body. There are 10 organs in the body of any person. the five senses and the five senses of action
(Mouth, two hands, excretory organs, two legs, genitals) Keeping all these under control is also the main purpose of this worship.
Similarly, the name of Mata Sumitra means one who has a friendly nature with all people, while the name Kaikeyi means one who helps everyone without any selfishness. In this way, the mystery and mystery involved in Ramnavami Puja is that our body is like the kingdom of Ayodhya and the five organs of action and the five senses contained within it are the kings of this kingdom in the form of Ayodhya. And Kaushalya, Sumitra and Kaikeyi Mata make this body strong, skillful, developing and charitable.
If you want to get all the information related to Ram Navami, then this article of ours is going to be very important for you, so definitely read it till the end.
Why is Ram Navami celebrated? Its history and importance
What is the festival of Ram Navami?
The festival of Ram Navami is celebrated to mark the birth anniversary of Lord Rama. It is also said that this festival is also celebrated because of the establishment of Lord Rama as an ideal man. By reading or watching mythological stories and stories, we learn that the character of a man should be like that of Lord Rama, due to which there were a large number of followers of Lord Rama in India.
On the day of Ram Navami, all the people of Hindu religion in the country celebrate this festival with great pomp. It is said that Lord Rama was born on the day of Ram Navami. For this reason, every year on this day, the followers of Hinduism celebrate this festival of Ram Navami with great enthusiasm and pomp to mark the birthday of Lord Shri Ram.
People consider this day so auspicious that on this day many people keep fast etc. for Lord Shri Ram to express their faith. People complete their fast by remembering Lord Shri Ram.
People believe that this festival is associated with Lord Rama, that is why this festival is considered very auspicious and this festival is celebrated with great pomp. This festival is celebrated by people of all Hindu religions in India.
When does the setting up and conclusion of the Ramnavami festival take place?
Chaitra's Navratri ends on the day of Ram Navami. That is why on this day many followers of Hindu religion go to Ayodhya and take bath in the most famous river Saryu and on this day many people keep fast and perform Havan at many places.
It is believed by the people that by observing a fast on the day of Ram Navami, all the wishes of the person observing the fast are fulfilled and that person gets the desired result. On the same day Ram Mela is organized in Ayodhya district and every year a huge crowd gathers there. There, in this fair, many good people are also met.
On the day of Ram Navami, people recite Ramcharitmanas in their homes after taking bath, people get Ramcharitmanas recited with great fanfare not only in their homes but also in nearby temples. On the day of Ram Navami, not only Ramcharitmanas but also Puranas are recited along with it at many places and a very grand event is organized on this occasion.
Why is Ram Navami celebrated?
According to the scriptures, it is believed that this Ram Navami festival is celebrated since the time of Treta Yuga to commemorate the birth of Lord Rama, an incarnation of Lord Sri Vishnu. Lord Shri Ram was born to eliminate the atrocities of Ravana and his evil name. A new religion was established to destroy evil and eliminate demons from the earth.
It is said that the festival of Ram Navami is celebrated as the birth anniversary of Lord Rama and this festival is being celebrated since the inception of this new religion. It is also believed by the scriptures that after conquering Lanka, the palace of Lord Shri Ram Ravana, Maa Durga was worshipped, due to which the festival of Ram Navami begins just after the end of Navratri in the month of Chaitra. .
What is the history of Ram Navami?
If we believe in mythology, Lord Shri Ram was born in the Raj Mahal in Ayodhya. Lord Shri Ram's father's name was Maharaja Dasaratha, King Dasaratha had three wives. None of the wives of Maharaja Dasaratha were getting any child, due to which Maharaja was very sad and upset. Maharaj Dashrath reached to Maharishi Vashishtha with such a problem.
After going to Maharishi Vashishtha, he told his entire sorrow to Maharishi Vashishtha. After this, Maharishi Vashishtha asked to perform a yajna, Maharaja Dasharatha did exactly that. It is said that after the yajna was over, Maharishi offered him kheer and Maharishi Vashishtha said that you will feed this kheer to your three queens.
Maharaja Dasaratha fed this kheer to his wives and after 9 months Kaushalya, the eldest wife of Maharaja Dasaratha, was blessed with a very bright son. This son of Maharaja Dasaratha was none other than Lord Shri Ram. After that Queen Kaikai gave birth to Bharat, Bharat was very sensitive towards his brother Shri Ram and loved his brother very much.
Queen Sumitra, the youngest wife of King Dasaratha, was blessed with twin children, one son named Lakshmana and the other son named Shatrughna. Who doesn't know about Laxman, Lord Shri Ram's most beloved brother was Lakshman. It is said that the day on which Lord Rama was born, people celebrate the same day as Ram Navami.
Lord Shri Ram was born on earth to destroy the demons and along with this Lord Shri Ram was also born to establish Dharma on earth. Lord Shri Ram was the seventh incarnation of Lord Shri Hari Vishnu. According to the scriptures, Lord Rama was born in the house of King Dasaratha as one of the 7 incarnations of Vishnu.
King Dashrath and Queen Kaikeyi, Kaushalya and Sumitra loved Lord Shriram very much. But for some reason his mother Kaikai had given him exile. Lord Shriram was born in the world of death from the womb of mother Kaushalya in Treta Yuga.
The world of death is the same, which we call the earth. To call this earth the people of death means that whoever takes birth on this earth, his death is certain. Lord Shri Krishna was born to end the atrocities of Ravana, along with this the birth of Lord Ramchandra was to kill the wicked and re-establish religion.
Lord Shri Ramchandra ji was born on the Navami day of Chaitra month in Punarvasu Nakshatra at the time of Cancer ascendant. Lord Shri Ramchandra ji had conquered Lanka and killed the demons. Let us tell you that Lord Shri Ram is also known as Purushottam.
Lord Shri Ram ji is called Purushottam because Lord Shri Ram ji was the best person among men. Along with this, Lord Shri Ramchandra ji is also known as an ideal man and many people were shown the right path by Lord Shri Ram.
How is the festival of Ram Navami celebrated?
The birth anniversary of Lord Rama is celebrated with pomp across the country. The idol of Lord Shri Ram is decorated in various small and big temples. Along with this, idols of Mother Sita and Lakshmana are also decorated. The child form of Lord Rama is worshipped.
Bhajan-kirtan takes place in every temples, the glory of Lord Rama is told. People keep fast in all the houses. On the day of Ram Navami in Ayodhya, the birthplace of Lord Rama, a different attractive atmosphere is created. There, along with the Ayodhya temple, the surrounding area is also decorated.
Along with this, fairs are also organized there, which people come from far and wide to see. Devotees from all over the country go to Ayodhya and bow their heads at the door of Lord Rama's temple. People coming here also take bath in Yamuna river.
Importance of name Ram in Kali Yuga
Kalyug started after Treta Yug. Kalyug is completely full of violence and tyranny. In this age full of sins, salvation can be attained only by remembering the name of Lord Rama. It is believed that a person's sins are washed away only by chanting Lord Rama, so on the day of Ram Navami, all Indians worship Lord Rama.
Read this article carefully and do not keep this knowledge to yourself after reading, share it as much as possible so that this knowledge can reach everyone because the donation of knowledge is most important and beneficial.
✍ Acharya JP Singh
Astrology, Vastu Specialist & Astro Medical Specialist www.astrojp.com,
www.astrojpsingh.com
Mob.9811558158
Comments
Post a Comment