Mars Saturn conjunction in horoscope
जन्मकुंडली में मंगल शनि युति
शनि मंगल युति को विस्फोटक योग, द्वंद्व योग, संघर्ष योग के नाम से जाना जाता है .
वैदिक ज्योतिष में शनि और मंगल को एक-दूसरे के शत्रु ग्रह माना गया हैं. जिस जातक की कुंडली में ये दोनों ग्रह एक ही भाव में होते हैं या एक दूसरे से सप्तम भाव में होते है उन्हें अपने जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. दूसरी तरफ ये जातक को अच्छा योद्धा, बनने अच्छा तकनीकी ज्ञान देने, कर्मठ बनने में सहायक है.ऐसा जातक हार में हार ना मानने की संकल्प शक्ति होती है. यह युति अच्छी शिक्षा के माध्यम से जातक को डॉक्टर इंजिनियर बनाने में सहायक है. मैकेनिकल और निर्माण संबंधी योग्यता देने में सहायक है .
इस युति को द्वंद्व योग संघर्ष योग के नाम से भी जाना जाता है. द्वंद्व का अर्थ है लड़ाई , शनि मंगल का योग कुंडली में करियर के लिए संघर्ष देने वाला होता है.ये संघर्ष कुण्डली में मंगल शनि किस भाव में हैं,इस पर निर्भर और कुण्डली में अन्य योग पर निर्भर करता है.
एक ही घर में बैठें हो ये दो दुश्मन तो बार बार दुर्घटना का शिकार होते हैं लोग
ज्योतिष शास्त्र में मंगल औऱ शनि को एक दूसरे का दुश्मन माना जाता है। ये दोनों अगर कुंडली के एक ही भाव में बैठ जाए तो अमंगल होता है।
यूं तो दुर्घटना और हादसे जीवन का अंग हैं और हर व्यक्ति जीवन में इनका शिकार होता रहता है। लेकिन कई बार कुछ लोग दुर्घटनाओं के ज्यादा शिकार होते हैं, ऐसे लोगों का हादसों में काफी खून बहता है। ज्योतिष विज्ञान में इसकी वजह कुंडली में मंगल और शनि की युति को बताया जाता है।
ज्योतिष शास्त्र कहता है कि अगर कुंडली में किसी भाव में मंगल और शनि की युति हो रही है तो यह जातक के लिए काफी जानलेवा साबित होती है। ऐसी स्थिति में जातक के साथ बार बार हादसे होते हैं और काफी खून बहता है।
दरअसल मंगल और शनि आपस में शत्रु हैं और इनका एक ही भाव में साथ युति करना किसी भी जातक के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक ही होता है।
मंगल औऱ शनि यह युति जीवन में बहुत ही नकारात्मक प्रभाव लेकर आती है। जिस कुंडली में शनि और मंगल की युति होती है वहां करियर और बिजनेस को सैट होने में दिक्कतें आती हैं।
शनि मंगल की युति यदि कुंडली के छठे या आठवें भाव में हो रही हो तो सेहत पर भारी पड़ता है। शनि मंगल का योग खास तौर से पेट से जुड़े मामलों की समस्या, जॉइंट्स पेन और सड़क हादसे जैसी परेशानियां होने लगती हैं।
मंगल औऱ शनि की युति पहले, चौथे, सातवें आठवें या 12वें भान में होने पर मंगल दोष को अधिक अमंगलकारी बनाता है, जिसके फलस्वरूप जातक के जीवन में विवाह संबंधी कठिनाइयां आती हैं।
अगर पहले यानी लग्न भाव में शनि-मंगल की युति हो रही हो तो जातक गलत फैसले करने वाला, भ्रम का शिकार, अहंकारी बन जाता है।
शनि मंगल युति शुभ रिजल्ट
मंगल शनि की युति शुभ हो तो जातक को आर्मी ऑफिसर , पुलिस ऑफिसर , डॉक्टर सर्जन , इंजिनियर , कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्टर , बिल्डर बना सकती है. वहीं उचित शिक्षा के अभाव में एक अच्छा मैकेनिक बना सकती है.ये युति टेक्निकल कार्यो के लिए शानदार है.
मंगल शनि युति प्रतियुति अगर द्वादश भाव में हो तो नींद में परेशानी देती है.स्त्री पुरुष पति पत्नी रिश्ते में कड़वाहट देती है.
शनि मंगल का योग यदि कुंडली के छठे या आठवे भाव में हो तो स्वास्थ में कष्ट उत्पन्न करता है. शनि मंगल का योग जॉइंट्स पेन और एक्सीडेंट जैसी समस्याएं दे सकती है .
लग्न में शनि-मंगल के होने से व्यक्ति अहंकारी या झगड़ालू और जिद्दी प्रवृति का हो सकता है जिस कारण वह अपने जीवन में हमेशा ऊट-पटांग निर्णय लेकर खुद को या परिवार को समस्या में डाल सकता है.
मंगल शनि युति में अगर दोनों में से कोई एक ग्रह वक्री हो तो बहुत खराब रिजल्ट मिल सकते है .
मंगल शनि युति में दोनों ग्रह मंगल शनि वक्री हो तो शनि मंगल के कारक तत्व में असामनता और अस्थिरता अlती है.ये दोनों ग्रह जिन भावो के स्वामी हो उनके रिजल्ट में भी अस्थिरता बन जाती है .
शनि-मंगल की युति में घटनाएं
अचानक घटित होती है.ये शुभ-अशुभ दोनों प्रकार की हो सकती है. शनि और मंगल दोनों की गिनती पाप ग्रहों में होती है. कुंडली में इनकी अशुभ स्थिति भाव फल का नाश कर व्यक्ति को परेशानियों में डाल सकती है, वहीं शुभ होने पर वे व्यक्ति को सुख भी देती है.इस युति के जातक को पूर्ण स्थायित्व प्राप्त करने में कठिनाई , सफलता असफलता अचानक मिलती है. इस युति के जातक किसी के सामने झुकते नहीं है और क्रोधी स्वभाव के होते है. जिसके कारण कार्य क्षेत्र में समस्या का सामना करना पड़ता है.काम्या वैदिक एस्ट्रो
लग्न ,सप्तम , चतुर्थ, अष्टम , द्वादश भाव में यह युति हानिकारक परिणाम देती है. मंगल के कारण तनाव-विवाद बनता है. मगर शनि आसानी से अलगाव नहीं होने देता है. जीवनसाथी के स्वास्थ्य में कष्ट बना रहता है.जातक की वाणी कटु होती है. जातक के जिद्दी हठी होने पर तालमेल के अभाव में वैवाहिक जीवन खराब हो सकता है .
शनि मंगल युति के निम्न उदाहरण जो इतिहास के पन्नों में हैं
हमारे ज्योतिष शास्त्रों में शनि मंगल के संबंध वाले जातक के विषय में निम्न बातें कही गयी हैं “ऐसा जातक वक्ता, जादू जानने वाला, धैर्यहीन, झगड़ालू, विष व मदिरा बनाने वाला, अन्याय से द्रव प्राप्ति करने वाला, कलहप्रिय, सुख रहित, दुःखी, निंदित, झूठी प्रतिज्ञा करने वाला अर्थात् झूठा होता है। अध्ययन में काफी हद तक ये बातें सही पायी गई हैं। इसके अतिरिक्त भी कुछ अन्य बातें हमें अपने इस अध्ययन के दौरान प्राप्त हुयीं। इन दोनों ग्रहां का एक अजीब सा रिश्ता है। मंगल जहां शनि के घर में उच्च का होता है वहीं शनि मंगल के घर में नीच का हो जाता है। ये दोनों एकमात्र ऐसे ग्रह हैं जो समसप्तक हुए बिना भी एक दूसरे से दृष्टि संबंध बना सकते हैं। ऐसे में इन दोनों ग्रहों की युति अथवा दृष्टि जातक विशेष की कुंडली में क्या परिणाम देती है, आइए कुछ कुंडलियों द्वारा जानने का प्रयास करते हैं। यह संबंध जातक विशेष को आत्महत्या करने पर मजबूर करता है। उदाहरण के लिए निम्न कुण्डलियां देखी जा सकती हैं:
1)श्री राम जी की कर्क लग्न की पत्रिका में शनि और मंगल (सप्तमेश-अष्टमेश व चमेश-कर्मेश ) की लग्न व दशम भाव पर दृष्टि है जिनके मिले-जुले प्रभावों से सभी जानते हैं कि श्री राम ने जलसमाधि लेकर आत्महत्या की थी।
2)29/4/1837 को मिथुन लग्न में जन्मं इस जातक ने फ्रांसीसी सेना में जनरल के पद पर रहते हुये फ्रांस के युद्धां में बहुत नाम कमाया था। 1889 में इन्हं शत्रुतापूर्ण कारवाई के चलते पद से हटा दिया गया। 1890 में इनकी पत्नी की भी मृत्यु हो गयी जिससे निराश होकर इन्होंने 30/9/1891 में आत्महत्या कर ली थी। इनकी पत्रिका में भी मंगल शनि का दृष्टि संबंध है।
3)हिटलर (20/4/1889) तुला लग्न की इस पत्रिका में शनि मंगल का दृष्टि संबंध है जो सप्तमेश चतुर्थेश का संबंध है जिससे हिटलर को सिंहासन व पद प्राप्ति की अदम्य असंतुष्टि की भावना प्राप्त हुई और वह अपनी तानाशाही प्रवृत्ति की ओर उन्मुख होकर विश्व में विवादित व्यक्ति के रूप में जाना गया। इन्हीं ग्रहां के लग्न पर प्रभाव ने उसे आत्महत्या करने को मजबूर किया। इसी प्रकार
4)25/7/1966 सिंह लग्न,
5)27/4/1967 मीन लग्न,
6)18/3/1957 कर्क लग्न,
7)31/1/1973 कन्या लग्न,
8)9/3/1989 कन्या लग्न,
9)6/10/1985 कर्क लग्न,
10)18/12/1959 वृश्चिक लग्न,
11)25/7/1966 सिंह लग्न,
12)11/9/1905 मकर लग्न,
13)20/10/1912 तुला लग्न,
14)9/3/1894 धनु लग्न,
15)27/12/1974 मीन लग्न,
16)25/12/1917 कन्या लग्न,
17)5/9/1967 मीन लग्न,
18)23/7/1931 वृश्चिक लग्न,
19)13/11/1970 मीन लग्न,
20)2/4/1929 मिथुन लग्न,
21)20/4/1934 मकर लग्न,
22)28/10/1994 कर्क लग्न इन सभी जातकांे की पत्रिका में शनि मंगल का संबंध है अथवा शनि मंगल किसी एक भाव पर दृष्टि दे रहे हैं जिसके कारण इन सभी जातक ने आत्महत्या की।
यह संबंध हिंसात्मक रूप से हत्या या दुर्घटना द्वारा मृत्यु प्रदान करता है।
इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ें और पढ़ कर इस ज्ञान को अपने तक ही ना रखें इसे अधिक से अधिक शेयर करें ताकि यह ज्ञान सब तक पहुंच सके क्योंकि ज्ञान का दान सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं लाभकारी है
✍आचार्य जे पी सिंह
ज्योतिष, वास्तु विशेषज्ञ एवं एस्ट्रो मेडिकल स्पेशलिस्ट
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Mob .9811558158
Mars Saturn conjunction in horoscope
Shani-Mangal conjunction is known as explosive yoga, duality yoga, conflict yoga.
In Vedic astrology, Saturn and Mars are considered to be enemies of each other. The person in whose horoscope these two planets are in the same house or in the seventh house from each other, they have to face many problems in their life. On the other hand, it helps the person to become a good warrior, to give good technical knowledge, to become diligent. Such a person has the will power to not give up in defeat. This combination is helpful in making the person a doctor engineer through good education. Helps in giving mechanical and construction related qualifications.
This combination is also known as Dwale Yoga, Sangharsh Yoga. Duel means fight, the yoga of Shani Mars gives struggle for career in the horoscope. This struggle depends on the house in which Mars Saturn is in the horoscope and on other yogas in the horoscope.
If you sit in the same house, these two enemies are the victims of accidents again and again.
In astrology, Mars and Saturn are considered enemies of each other. If both of these sit in the same house of the horoscope then it is inauspicious.
Accidents and mishaps are a part of life and every person becomes a victim of them in life. But sometimes some people are more victims of accidents, such people shed a lot of blood in accidents. In astrology, the reason for this is said to be the conjunction of Mars and Saturn in the horoscope.
Astrology says that if there is a conjunction of Mars and Saturn in any house in the horoscope, then it proves to be very fatal for the person. In such a situation, accidents happen again and again with the person and a lot of blood sheds.
Actually, Mars and Saturn are enemies with each other and their combination in the same house is dangerous for the health of any person.
This combination of Mars and Saturn brings very negative effects in life. In the horoscope where Saturn and Mars are in conjunction, there are problems in setting up career and business.
If the conjunction of Shani-Mars is happening in the sixth or eighth house of the horoscope, then it affects the health. The yoga of Shani Mars especially problems related to stomach, problems like joint pain and road accidents start happening.
The conjunction of Mars and Saturn in the first, fourth, seventh, eighth or 12th house makes Mangal Dosha more inauspicious, resulting in marriage-related difficulties in the life of the native.
If Saturn-Mars conjunction is happening in the first ie ascendant house, then the person becomes arrogant, arrogant, making wrong decisions.
Shani Mangal Yuti Auspicious Result
If the conjunction of Mars and Shani is auspicious, then the person can make the person an army officer, police officer, doctor surgeon, engineer, construction contractor, builder. At the same time, in the absence of proper education, one can make a good mechanic. This combination is great for technical work.
If Mars Shani conjunction is in the twelfth house, then it gives trouble in sleep. Man-Husband Wife gives bitterness in the relationship.
If the yoga of Saturn and Mars is in the sixth or eighth house of the horoscope, then it creates problems in health. The yoga of Shani Mars can give problems like joint pain and accident.
Due to the presence of Saturn and Mars in the Ascendant, a person can be arrogant or quarrelsome and stubborn, due to which he can always trouble himself or family by taking ludicrous decisions in his life.
If one of the two planets is retrograde in Mars-Saturn conjunction, then very bad results can be obtained.
If both the planets Mars and Saturn are retrograde in Mars-Saturn conjunction, then there is asymmetry and instability in the karaka element of Shani-Mars.
Events in Saturn-Mars conjunction
It happens suddenly. It can be of both good and bad types. Both Saturn and Mars are counted among the sin planets. Their inauspicious position in the horoscope can destroy the fruit of the house and put the person in trouble, while being auspicious, they also give happiness to the person. The people of this combination do not bow down in front of anyone and are of angry nature. Due to which problems have to be faced in the work area. Kamya Vedic Astro
In ascendant, seventh, fourth, eighth, twelfth house, this conjunction gives harmful results. Due to Mars, tension-disputes are created. But Saturn does not allow separation easily. There is trouble in the health of the spouse. The speech of the person is bitter. If the native is stubborn, marital life can be spoiled due to lack of coordination.
The following examples of Shani-Mangal conjunction which are in the pages of history
In our astrology, the following things have been said about the person related to Saturn and Mars, “Such a person is a speaker, who knows magic, is patient, quarrelsome, poison and drinker, gets liquid from injustice, discordant, happy, unhappy. , condemned, one who makes false promises, that is, is a liar. These things have been found to be true to a large extent in the study. Apart from this, we found some other things during our study. These two planets have a strange relationship. Where Mars is exalted in the house of Saturn, Saturn becomes debilitated in the house of Mars. These two are the only planets that can have a visual relationship with each other without being samsaptak. In such a situation, what result or vision of these two planets gives in the horoscope of a particular person, let us try to know through some horoscopes. This relationship compels the particular person to commit suicide. For example the following horoscopes can be seen:
1) In the journal of Cancer Ascendant of Shri Ram ji, there is a vision of Saturn and Mars (Saptamesh-Ashtmesh and Chamesh-Karmesh) on the ascendant and tenth house, due to their mixed effects, everyone knows that Shri Ram committed suicide by taking water.
2) Born in Gemini ascendant on 29/4/1837, this person had earned a lot of name in the French wars while being a general in the French army. In 1889, he was removed from office due to hostile action. His wife also died in 1890, due to which he committed suicide on 30/9/1891 in despair. There is also a relation of Mars and Saturn in his magazine.
3) Hitler (20/4/1889) In this journal of Libra ascendant, there is a relation of Saturn Mars, which is related to the seventh house, due to which Hitler got a feeling of indomitable dissatisfaction with the throne and position and he turned towards his dictatorial tendency. He became known as a controversial person in the world. The effect of these planets on the ascendant forced him to commit suicide. likewise
4) 25/7/1966 Leo Ascendant,
5)27/4/1967 Pisces Ascendant,
6)18/3/1957 Cancer Ascendant,
7)31/1/1973 Virgo Ascendant,
8) 9/3/1989 Virgo Ascendant,
9)6/10/1985 Cancer Ascendant,
10)18/12/1959 Scorpio Ascendant,
11)25/7/1966 Leo Ascendant,
12)11/9/1905 Capricorn Ascendant,
13) 20/10/1912 Libra Ascendant,
14) 9/3/1894 Sagittarius Ascendant,
15)27/12/1974 Pisces Ascendant,
16)25/12/1917 Virgo Ascendant,
17)5/9/1967 Pisces Ascendant,
18)23/7/1931 Scorpio Ascendant,
19)13/11/1970 Pisces Ascendant,
20)2/4/1929 Gemini Ascendant,
21)20/4/1934 Capricorn Ascendant,
22)28/10/1994 Cancer Ascendant In the journal of all these people, Saturn Mars is related or Saturn Mars is giving sight to any one house, due to which all these people committed suicide.
This relationship renders violence violently homicide or death by accident.
Read this article carefully and do not keep this knowledge to yourself after reading it, share it as much as possible so that this knowledge can reach everyone because the donation of knowledge is most important and beneficial.
Acharya JP Singh
Astrologer, Vastu Specialist & Astro Medical Specialist
www.astrojp.com,
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Mob .9811558158
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