Effect of retrograde Mercury


बुध का वक्री एवं अस्त होना क्या है ?

वक्री ग्रहों की दशा में देशाटन, व्यसन एवं अत्यधिक भागदौड़ का योग बनता है। कुंडली में में जो ग्रह वक्री होता है वह अपनी दशा एवं अंतरदशा में प्रभावशाली फल प्रदान करने वाला बनता है। बुध ग्रह के वक्री होने पर मिलेजुले प्रभावों को देखा जा सकता है। बुध के शुभ या अशुभ फल का प्रभाव उसके अन्य ग्रहों के साथ संबंधों एवं अन्य तथ्यों के आधार पर किया जा सकता है।

किसी जातक की कुंडली में सामान्य रूप से शुभ फल देने वाले बुध वक्री होने की स्थिति में उस कुंडली में शुभ फल प्रदान करते हैं और कुंडली में सामान्य रूप से अशुभ फल देने वाले बुध वक्री होने की स्थिति में अपनी अशुभता में वृद्धि कर देते हैं। 

 वक्री होने से बुध ग्रह में अंतर को आसानी से समझा जा सकता है। बुध के वक्री होने पर जातक के व्यवहार एवं उसकी बौद्धिकता पर प्रभाव को देखा जा सकता है क्योंकि बुध बुद्धि का कारक है इस कारण से वक्री बुध के प्रभाव स्वरुप उसके विचारों में भिन्नता देखी जा सकती है, विचारों में बदलाव को देखा जा सकता है। जातक की बातचीत करने की क्षमता तथा निर्णय लेने की क्षमता दोनों ही में अंतर की स्पष्टता को देखा जा सकता है। 

 वक्री बुध ग्रह का प्रभाव

वक्री बुध के प्रभाव में आकर जीवन मे कई अप्रत्याशित परिवर्तन देखे जा सकते हैं। व्यक्ति अनेक प्रकार के अकस्मात होने वाले परिवर्तनों में कुछ अनचाहे निर्णय़ ले सकता है। उसके यह परिस्थितियों के हिसाब से लिए जाने वाले निर्णय उसे बाद में परेशान भी कर सकते हैं। वक्री बुध के प्रभाव से जीवन में ऐसे निर्णय लेते ही रहते हैं। इन बदलावों के साथ ही साथ वक्री बुध के कारण आचरण में बदलाव को देखा जा सकता है। बुध विचार एवं भावनाओं को प्रभावित करके उनमें क्रांतिकारी बदलाव दिखाता है।

बुध का वक्री स्वरुप जातक की साधारणत: बुद्धि, वाणी, अभिव्यक्ति, शिक्षा एवं साहित्य के प्रति लगाव को प्रभावित करता है। बुध अपनी दशा एवं अन्तरदशा में जातक की मौलिक चिंतन तथा सृजनात्मक शक्ति को बढ़ाता है। बुध वक्री होने पर अपनी दशा में लेखन कार्यों की ओर रुख करवाता है। जातक की रचना में अन्तर्विरोध एवं परिवर्तन को अधिक बल मिलता है। कभी कभी अपनी बात को दर्शाने के लिए गलत तर्कों को भी सहमति देता हुआ दिखाई देता है।
वक्री बुध झुंझलाहट और झल्लाहट उत्पन्न करता है। बुध का प्रभाव जातक को आखिरी समय में भी फैसला बदलने पर मजबूर कर सकता है। बुध वक्री, मार्गी और अतिगामी होते देखे जा सकते हैं। सूर्य के करीब होने पर बुध, सूर्य के साथ मिलकर बुधादित्‍य योग का निर्माण करते हैं। इस योग के फलस्वरुप जातक बुद्धिमान होता है। बुध का प्रभाव सूर्य के सतह होने पर तीव्र बुद्धि होती है परंतु सूर्य से अधिक दूर जाने पर बुध वक्री हो जाते हैं। 

मीडिया एवं संचार क्रांति में बुध का प्रभाव रहा है। लेखन, संप्रेषण का कारक है, हास्य मनोविनोद बुध द्वारा ही प्रभावित होता है। बुध के प्रभाव से व्यक्ति सामान्य से अधिक बोलने वाले होते हैं या फिर बिल्कुल ही कम बोलने वाले कई बार व्यक्ति बहुत कुछ बोलना चाहता है लेकिन कुछ भी बोल नहीं पाता इन सभी में बुध का प्रभाव पूर्ण रुप से प्रदर्शित होता है। 

अस्त गृह 

जन्म कुंडली का अध्ययन बिना अस्त ग्रहों के अध्ययन के बिना अधूरा है और कुंडली धारक के विषय में की गई कई भविष्यवाणियां गलत हो सकती हैं। जन्म कुंडली में अस्त ग्रहों का अपना एक विशेष महत्व होता है। आकाश मंडल में कोई भी ग्रह जब सूर्य से एक निश्चित दूरी के अंदर आ जाता है तो सूर्य के तेज से वह ग्रह अपनी आभा तथा शक्ति खोने लगता है जिसके कारण वह आकाश मंडल में दिखाई देना बंद हो जाता है तथा इस ग्रह को अस्त ग्रह का नाम दिया जाता है। किसी भी ग्रह के अस्त हो जाने की स्थिति में उसके बल में कमी आ जाती है तथा वह किसी कुंडली में सुचारू रुप से कार्य करने में सक्षम नहीं रह जाता। किसी भी अस्त ग्रह की बलहीनता का सही अनुमान लगाने के लिए उस ग्रह का किसी कुंडली में स्थिति के कारण बल, सूर्य का उसी कुंडली विशेष में बल तथा अस्त ग्रह की सूर्य से दूरी देखना आवश्यक होता है। 

जिस मापदंड से हर ग्रह की सूर्य से समीपता नापी जाती है वो डिग्रियों में मापी जाती है।  इस मापदंड के अनुसार हर ग्रह सूर्य से निश्चित दूरी पर आते ही अस्त हो जाता है। 

बुध सूर्य के दोनों ओर 14 डिग्री या इससे अधिक समीप आने पर अस्त माने जाते हैं। किन्तु यदि बुध अपनी सामान्य गति की बजाएं वक्र गति से चल रहे हों तो वह सूर्य के दोनों ओर 12 डिग्री या इससे अधिक समीप आने पर अस्त माने जाते हैं।

अस्त बुध का फल

 बुध ग्रह-बुध ग्रह अस्त होने से व्यक्ति में विश्वास की कमी, शरीर में ऐंठन, श्वास, चर्म रोग व गले आदि के रोग हो जाते है। जब बुध अस्त होता है तो युवाओं का दिमाग भ्रमित हो जाता है, उनका किसी काम में मन नहीं लगता है।

इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ें और पढ़ कर इस ज्ञान को अपने तक ही ना रखें इसे अधिक से अधिक शेयर करें ताकि यह ज्ञान सब तक पहुंच सके क्योंकि ज्ञान का दान सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं लाभकारी है

✍आचार्य जे पी सिंह
ज्योतिष, वास्तु विशेषज्ञ एवं एस्ट्रो मेडिकल स्पेशलिस्ट       
www.astrojp.com,
www.astrojpsingh.com
Mob .9811558158

What is the retrograde and setting of Mercury?

In the dasha of retrograde planets, the sum of country, addiction and excessive running is formed.  The planet which is retrograde in the horoscope becomes the one to give effective results in its dasha and antardasha.  Mixed effects can be seen when the planet Mercury is retrograde.  The effect of the auspicious or inauspicious results of Mercury can be done on the basis of its relationship with other planets and other facts.

In the case of Mercury retrograde giving generally auspicious results in the horoscope of a person, it gives auspicious results in that horoscope and in case of Mercury retrograde giving generally inauspicious results in the horoscope, increase its inauspiciousness.

Due to retrograde, the difference in the planet Mercury can be easily understood.  The effect on the person's behavior and intelligence can be seen when Mercury is retrograde, because Mercury is the factor of intelligence, for this reason, due to the effect of retrograde Mercury, differences in his thoughts can be seen, changes in thoughts can be seen.  The clarity of difference can be seen in both the ability of the person to talk and make decisions.

Effect of retrograde Mercury

Many unexpected changes can be seen in life under the influence of retrograde Mercury.  A person can take some unwanted decisions in a variety of sudden changes.  These decisions taken according to his circumstances can also trouble him later.  Under the influence of retrograde Mercury, they keep on taking such decisions in life.  Along with these changes, a change in behavior can be seen due to retrograde Mercury.  Mercury shows revolutionary changes by influencing thoughts and feelings.

The retrograde form of Mercury affects the person's intellect, speech, expression, education and attachment to literature in general.  Mercury in its dasha and antardasha increases the original thinking and creative power of the native.  When Mercury is retrograde, in its dasha, it leads to writing works.  Conflict and change get more strength in the creation of the person.  Sometimes he is also seen agreeing to wrong arguments to show his point.
Retrograde Mercury creates annoyance and fret.  The influence of Mercury can force the native to change his decision even at the last moment.  Mercury can be seen to be retrograde, transiting and exaggerating.  When Mercury is close to the Sun, together with the Sun, it forms Budhaditya Yoga.  As a result of this yoga, the person becomes intelligent.  Influence of Mercury When the Sun is on the surface, there is a sharp intellect, but when it is farther away from the Sun, Mercury becomes retrograde.

Mercury has been an influence in the media and communication revolution.  Writing is the factor of communication, humor is influenced by the entanglement of Mercury.  Due to the influence of Mercury, people speak more than usual or they speak very little, sometimes a person wants to speak a lot but is unable to speak anything, the effect of Mercury is fully displayed in all these.

stable house

The study of the birth chart is incomplete without the study of the set planets and many predictions made about the horoscope holder can be wrong.  The set planets have their own special significance in the birth chart.  When any planet in the sky comes within a certain distance from the Sun, then due to the brightness of the Sun, that planet starts losing its aura and power, due to which it stops appearing in the sky and this planet is called a set planet.  name is given.  In the event of any planet being set, its strength decreases and it is not able to work smoothly in any horoscope.  To correctly estimate the strength of any set planet, it is necessary to see the force of that planet due to its position in a horoscope, the force of the Sun in that particular horoscope and the distance of the setting planet from the Sun.

The measure by which the proximity of each planet to the Sun is measured is measured in degrees.  According to this criterion, every planet sets as soon as it comes at a certain distance from the Sun.

Mercury is considered to set when it comes closer to 14 degrees or more on either side of the Sun.  But if Mercury is moving at a curved speed instead of its normal speed, then it is considered to be setting when it comes close to 12 degrees or more on either side of the Sun.

fruit of Mercury

Due to the debilitation of the planet Mercury, there is a lack of faith in the person, body cramps, breathing, skin diseases and diseases of the throat etc.  When Mercury sets, the mind of the youth gets confused, they do not feel like doing any work.

Read this article carefully and do not keep this knowledge to yourself after reading it, share it as much as possible so that this knowledge can reach everyone because the donation of knowledge is most important and beneficial.

Acharya JP Singh
Astrologer, Vastu Specialist & Astro Medical Specialist
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