Fate and karma ?
भाग्य एवं कर्म का ज्योतिष से संबंध क्या है ?
ज्योतिष की दृष्टि में " शुरू की थी तो मैंने बिलकुल नहीं सोचा था कि मुझे उन पहलुओं पर भी चर्चा करनी पड़ेगी जिस पर नज़र तो सबकी है लेकिन अपने अपने कारणों से अपनी आँखें बंद कर लेते हैं । इस जगत में जीवन अपने आप में एक अद्भुत घटना है और जीवन चक्र में मानव द्वारा की गयी खोजों में ज्योतिष भी एक बहुत बड़ी घटना है। ज्योतिष एक गंभीर और बड़ा विषय है , इसका विस्तार बहुत बड़ा और अनेक दिशाएं हैं। लेकिन आज के दौर में इसे एक तिरस्कृत और मजाक का विषय बना दिया गया है और इसके अनेक कारण हैं जिसमे ज्योतिष की कोई जिम्मेदारी नहीं है , लेकिन कुछ मायनों में हमारे ज्ञान, हमारे व्यवहार और ज्योतिष व ज्योतिषी के प्रति हमारी अवधारणा की भूमिका है । आज हम देख रहें हैं सोशल मीडिया का दौर है , लोगों को गूगल क्लिक/इंटरनेट क्लिक से ज्ञान और जानकारी फ्री में उपलब्ध है , ज्योतिष, वैदिक ज्योतिष टाइप करो तो हजारों की संख्या में एस्ट्रोलॉजी के साइट और ब्लॉग उपलब्ध हैं और ज्योतिषी भी । मेरा मकसद आपका ध्यान ज्योतिष के विषय में हमारी गम्भीरता को दर्शाना है , हम कितने गंभीर हैं ये हमारे सवालों में भी झलकता है और जवाबों में भी , तो इसका मतलब जिम्मेदार भी हम ही है । और एक एक व्यक्ति अपना सवाल सैंकड़ों ज्योतिषियों से करता है और सैंकड़ो जवाबों से कंफ्यूज भी हो जाता है । जबकि सच्चाई ये है कि बहुत सी घटनाओं को बदला जा सकता है ,विज्ञान ने बहुत कुछ संभव भी बना दिया है , व्यक्ति के पास बुद्धि और विवेक दोनों हैं , इसका जवाब आपको आगे मिल सकता है ।मैंने अपने पिछले लेख में बताया था कि अब तो वैज्ञानिक भी मानते है कि प्रत्येक ग्रह की रेडियो एक्टिविटी अलग है , तरंग अलग है । गुरु , शुक्र , बुध , शनि सब ग्रहों के रेडियो एक्टिव एलिमेंट अलग हैं उनकी अपनी एक अलग ध्वनि है अपना वातावरण है । कई जाने माने गणितज्ञ और वैज्ञानिकों का मानना है कि कोई भी राशि, नक्षत्र , ग्रह या उपग्रह जब यात्रा करता है तो अंतरिक्ष में एक विशेष तरंगें और ध्वनि पैदा होती है। और प्रत्ये्क नक्षत्र, ग्रह और उपग्रह की अपनी भी ख़ास ध्वनि पैदा होती है - इन सब ध्वनियों के ताल मेल से एक हारमनी पैदा होती है एक तरह के संगीत की लयबद्धता पैदा होती है - यही लयबद्धता और रेडियो एक्टिव एलिमेंट से एक वातावरण बनता है उस वातावरण में, उस क्षण में मनुष्य जब जन्म लेता है तो उसके चित्त पर हमेशा के लिए वो अंकित हो जाता है या कहे एक पिक्चर , एक फोटो क्लिक हो जाता है । इसका मतलब प्रत्येक व्यक्ति अपने अंदर एक बिल्ट -इन व्यक्तित्व लेकर पैदा होता है वैसे ही जैसे कोई भी बीज । एक फोटो नेगेटिव इमेज के साथ जिसका अब पॉजिटिव बनना बाकी है ।आज नहीं तो कल हम इसे डिकोड कर सकते हैं , मौसम विज्ञान की तरह ज्योतिष में भी उपकरणों का उपयोग हो सकता है और मुझे वो दिन बहुत दूर नहीं लगता ।प्रत्येक व्यक्ति अपने अंदर एक बिल्ट -इन व्यक्तित्व लेकर पैदा होता है वैसे ही जैसे कोई भी बीज- जिसे हम भाग्य कहते हैं और इसी लम्बी श्रृंखला को प्रारब्ध । भाग्य या एक बीज की क्या संभावना हो सकती है इसका एक बेहतरीन उदाहरण भगवान् महावीर और गोशालक की कथा से समझा जा सकता है , कथा थोड़ी लम्बी है लेकिन उसका सार रूप है -- कथा है महावीर और गोशालक एक रास्ते पर जा रहे हैं , गोशालक ने एक पौधे के पास रूककर महावीर से पूछा कि बताईये इस पौधे में फूल लगेगा या नहीं तो महावीर ने ध्यान लगाया और बोले -- इसमें फूल लगेगा , ये सुनकर गोशालक ने पौधे को उखाड़कर फेंक दिया और दोनों आगे बढ़ गए , बारिश के दिन थे कुछ दिनों बाद दोनों उसी रास्ते से लौट रहे थे तो महावीर अचानक उसी जगह आकर रुक गए जंहा गोशालक ने पौधे को उखाड़कर फेंक दिया था , रूककर बोले गोशालक देखो पौधे पर फूल उग आया है, बारिश की वजह से पौधे ने दोबारा अपनी जड़ें जमा ली थी। गोशालक बड़ा हैरान हुआ , कहानी तो आगे भी चलती है लेकिन यंहा इसका जिक्र करने का मकसद ये भी बताना था कि ज्योतिष संभावनाओं का भी विज्ञान हैं और बिल्ट इन व्यक्तित्व को देख लेना ही ज्योतिष का मकसद है ,इसलिये ज्योतिष अध्यात्म का अटूट अंग है । महावीर ने उस समय उस पौधे के बिल्ट-इन व्यक्तित्व को देखा और उसकी संभावनाओं के द्वार में झांककर उसकी जीवटता को भी देखा और ज्योतिष इन्ही संभावनाओं को देखने का विज्ञान है ।हमारे अस्तित्व को हम तीन भागों में बांटकर देखेंगे तो भाग्य की अवधारणा को समझने में आसानी होगी जैसे - आत्मा , मन और शरीर या इसे कह सकते हैं तीन तल हैं आत्मिक तल , मानसिक तल और शारीरिक तल । ये जो बिल्ट -इन व्यक्तित्व है उसके तीन तल हैं ।आत्मिक तल वो तल है ये वो अवस्था है जिसको जाना तो जा सकता है (जैसे महावीर ने जाना) लेकिन कोई भी बदलाव संभव नहीं, ये सबसे गहरा तल है इसको जानने के लिए ही ज्योतिष की खोज हुई , एक विज्ञान बना । मानसिक तल वो अवस्था है जिसको जानकर या समझकर उसमे बदलाव किया जा सकता है , अगर जान लिया जाये तो बदला जा सकता है अगर अनजान रहे तो कुछ नहीं किया जा सकता बीज रूप में जो है , वही होता चला जाता है - और ये वो महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसमे ज्योतिष का सबसे ज्यादा उपयोग किया जा सकता है और तीसरा तल है शारीरिक जो हमें अपने माँ बाप से मिलता है ये बायोलॉजिकल है , सब कुछ सांयोगिक है ,लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारा शारीरिक तल मानसिक तल से ज्यादा जुड़ा हुआ है हमारे मन पर ही ज्यादा निर्भर है । ज्योतिष से सम्बंधित हमारे ज्यादातर सवाल शारीरिक तल के ही होते हैं जिन्हे आसानी से बदला जा सकता है । मानसिक तल वो तल है जिनके बारे में अगर पहले पता चल जाये तो उनमे बदलाव किये जा सकते हैं ।"कर्म और भाग्य क्या है- : इसकी और गहराई में जाएं तो - मनुष्य कर्म करने को स्वतंत्र है कर्म से बहुत कुछ बदला जा सकता है , कर्म पर अधिकार तो है लेकिन फल पर नहीं इसलिए मनुष्य परम स्वतंत्र भी है और परम परतंत्र भी या कहे परम स्वतंत्र है अपनी सीमाओं के भीतर । इसे एक छोटी सी कहानी से समझा जा सकता है - कथा है एक शिष्य ने अपने गुरु से पूछा कि कर्म करने में आदमी स्वतंत्र है कि परतंत्र ! तो गुरु ने कहा - सामने आओ और अपना एक पैर उठा कर खड़े हो जाओ , शिष्य ने कहा हमने सवाल किया है कि आदमी स्वतंत्र है कि परतंत्र, इसमें पैर उठाना कंहा से आ गया ! तो गुरु ने कहा - जैसा कहा है वैसा करो - अपना एक पैर उठाओ , शिष्य बेचारा एक पैर - अपना दांया पैर उठा कर खड़ा हो गया । गुरु ने कहा अब अपना बांया पैर भी उठाओ , शिष्य तो हैरान हुआ उसने कहा गुरुदेव आप भी कैसी बात कर रहे हैं , मै गिर जाऊंगा । गुरु ने शिष्य से कहा तू पहले बांया पैर भी उठा सकता था लेकिन तूने दांया उठाया इसलिए अब बांया नहीं उठा सकता । गुरु ने कहा कि एक पैर उठाने को आदमी सदा स्वतंत्र है। लेकिन एक पैर उठाते ही तत्काल दूसरा पैर बंध जाता है। तो जो मानसिक तल है उसमें हम पूरी तरह पैर उठाने को स्वतंत्र हैं। लेकिन ध्यान रखना उसकी अपनी सीमायें है ।"कर्म और भाग्य क्या है- : इसकी और गहराई में जाएं तो इस जगत में सब कुछ जुड़ा हुआ है , सब कुछ संयुक्त है, मैं सांस लेता हूं तो पूरा का पूरा शरीर प्रभावित होता है। सूरज सांस लेता है तो पृथ्वी प्रभावित होती है। अगर सूरज पर कुछ होता है तो पृथ्वी उसके प्रभावों से बच नहीं सकती ।अगर भविष्य में जो होने वाला है, वह न हो तो मैं नही हो सकूंगा। जब कोई व्य़क्ति अपने को अतीत और भविष्य के बीच जुड़ा हुआ पाता है तो वह ज्योतिष को समझ पाता है -तब यही ज्योतिष धर्म और अध्यात्म बन जाता है । हमें व्यक्ति के मानसिक तल पर काम करने की सबसे ज्यादा जरुरत है क्योंकि इसमें बदलाव करके बहुत अच्छे परिणाम मिल सकते हैं , मसलन एक व्यक्ति अपने जीवन- यापन के लिए कई काम करता है , कई बदलाव करता है लेकिन अगर उसको पता चल जाये कि उसका असली टैलेंट क्या है तो उसको सही दिशा मिल सकती है जब पैशन ही प्रोफेशन बन जाये तो आदमी का जीवन आनंदपूर्ण हो सकता है । इसलिए हमें सारभूत ज्योतिष को समझना और समझाना होगा और व्यर्थ की बातों से बचना भी होगा और बचाना भी होगा यही l
भाग्य, कर्म और ज्योतिष विज्ञान
भाग्य कैसे बनता है -
वह पूर्व जन्म के कर्म जिनका फल चाहे वह सुख हो या दुःख हम वर्तमान जीवन में भोगते है भाग्य बनाते है। हर व्यक्ति का भाग्य उसके पूर्व जन्म के कर्मों के अनुसार निर्धारित होता है और उन्ही कर्मों की वजह से वर्तमान जन्म में एक विशेष तरीके से व्यवहार करने के लिए बाध्य होता है. सुख-दुःख, धन-गरीबी, क्रोध, अहंकार, आदि गुण जो भी हम जीवन में पाते हैं वह सब पूर्व निर्धारित होता है. ज्योतिष केवल घटनाएं जानने का विज्ञान नहीं है, वह हमें हमारा भूत और भविष्य भी बताता है. साधारण व्यक्ति भाग्य को परिवर्तित नहीं कर सकते हैं और ना ही भाग्य के विषय में आसानी से जाना जा सकता है. क्योकि कर्म के फलों में परिवर्तन करने के लिए एक साधनारत ज्योतिषी और परिश्रमी साधक को लम्बे समय तक धैर्य के साथ प्रयत्न करने के आवश्यकता होती है।
समय क्या है और कैसे बनता है -
समय ही एक सबसे बड़ी शक्ति है जो की पूरे ब्रह्माण्ड को नियंत्रित करती है . समय की निश्चित गति होती है. ग्रहों की अलग अलग गति हमारे जीवन में भिन्न भिन्न समय लाती है. उदहारण के लिए धरती का अपनी धुरी पर घूमना दिन और रात बनाता है, चन्द्रमा की पृथ्वी के चारों ओर गति महीने, और सूर्य के केंद्र में धरती की परिक्रमा वर्ष निर्धारित करती है. समय के हर पल की गति में एक विशेष गुण होता है. जब भी हमारे जीवन में कुछ विशेष समय होता है, वह सृष्टि के समय की तरंगों के समानांतर होता है. उदाहरण के लिए हमारे जीवन में विवाह अथवा व्यवसाय शुरू करने का समय, अन्तरिक्ष के समयचक्र में भी उर्जा की अधिकता से पूर्ण होता हैं.
गृह, हम और समय -
ग्रह हमारे कर्मों का प्रतिनिधित्व करते हैं. उनकी गति यह निर्धारित करती है की कब किस समय की उर्जा हमारे लिए लाभदायक है या हानिकारक है. समय की एक निश्चित्त प्रवृति होंने के कारण एक कुशल ज्योतिषी उसकी ताल को पहचान कर भूत, वर्तमान और भविष्य में होने वाली घटनाओं का विश्लेषण कर सकता है.
एक ही ग्रह अपने चार स्वरूपों को प्रदर्शित करता है. अपने निम्नतम स्वरुप में अपने अशुभ स्वभाव/राक्षस प्रवृत्ति को दर्शाते हैं. अपने निम्न स्वरुप में अस्थिर और स्वेच्छाचारी स्वभाव को बताते हैं. अपने अच्छे स्वरुप में मन की अच्छी प्रवृत्तियों, ज्ञान, बुद्धि और अच्छी रुचियों के विषय में बताते हैं. अपनी उच्च स्थिति में दिव्य गुणों को प्रदर्शित करते हैं, और उच्चतम स्थिति में चेतना को परम सत्य से अवगत कराते हैं. उदहारण के लिए मंगल ग्रह साधारण रूप में लाल रंग की ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है. अपनी निम्नतम स्थिति में वह अत्याधिक उपद्रवी बनाता है. निम्न स्थिति में व्यर्थ के झगड़े कराता है. अपनी सही स्थिति में यही मंगल ऐसी शक्ति प्रदान करता है की निर्माण की असंभव संभावनाएं भी संभव बना देता है.
ज्योतिष विज्ञान के माध्यम से जब हमें समस्याओं का कारण ग्रहों के माध्यम से पता चलता है, तो उन्ही की उर्जा को नकारात्मकता से हटाकर पूजा, दान, मंत्र, इत्यादि विधानों से सकारात्मक रूप में बदल देते हैं. क्योंकि ऊर्जा का कभी क्षय नहीं होता किन्तु उसका स्वरुप परिवर्तित किया जा सकता है.
यही सूक्ष्म परिवर्तन भाग्य को परिवर्तित करने में बड़ा सहायक होता है.ग्रह केवल बंधन का कारण ही नहीं वरन उन समस्याओं से मुक्ति का मार्ग भी दिखाते हैं.
ज्योतिष अगर सही ढंग से प्रयोग किया जाए तो यह हम में और विश्व चेतना में सामंजस्य स्थापित करता है और ग्रहों की भौतिक सीमाओं से परे जाने की शक्ति देता है, जो कि मोक्ष के लिए आवश्यक है.
कर्म और ज्योतिष विज्ञान -
ज्योतिष विज्ञानं हमारे कर्मो का ढांचा बताता है . यह हमारे भूत वर्तमान और भविष्य में एक कड़ी बनता है. कर्म चार प्रकार के होते है:
१- संचित
२- प्रारब्ध
३- क्रियमाण
४- आगम
संचित - संचित कर्म समस्त पूर्व जनम के कर्मो का संगृहीत रूप है . हमने जो भी कर्म अपने पिछले सारे जन्मों में जानकार या अनजान रूप से किये होते है वह सभी हमारे कर्म खाते में संचित हो जाते है. कर्म जैसे -२ परिपक्व होते जाते है हम उसे हर जन्म में भोगते है. जैसे किसी भी वृक्ष के फल एक साथ नहीं पकते, बल्कि फल प्राप्ति के महीने में अलग - अलग दिनों में ही पकते है.
प्रारब्ध - प्रारब्ध कर्म , संचित कर्म का वह भाग होता है जिसका हम भोग वर्तमान जनम में करने वाले है . इसी को भाग्य भी कहते है. समस्त संचित कर्मों को एक साथ नहीं भोग जा सकता. वह कर्म जो परिपाक हो गया होता है. यही समय दशा अन्तर्दशा के अनुसार जाना जाता है .
क्रियमाण - क्रियमाण कर्म वह कर्म है जो हम वर्तमान में करते है किन्तु इसकी स्वतंत्रता हमारे पिछले जन्म के कर्मो पर निर्भर करती है . क्रियमाण कर्म इश्वर प्रदत्त वह संकल्प शक्ति है, जो हमारे कई पूर्व जन्म के कर्मो के दुष्प्रभावों को समाप्त करने में सहायता करती है. उदाहरण के लिए वर्तमान जन्म में माना कि क्रोध अधिक आता है. यह क्रोध कि प्रवृत्ति पिछले कई जन्मों के कर्मों के कारण बन गयी है. यह तो सर्व विदित है कि क्रोध में कितने गलत कार्य हो जाते है. अगर कोई ध्यान और अन्य उपायों के द्वारा क्रोध को सजग रहकर नियंत्रित करे तो धीरे - धीरे प्रयासों के द्वारा क्रोध पर संयम पाया जा सकता है और भविष्य में कई बुरे कर्मों और समस्याओ जैसे कि रिश्तों में तनाव इत्यादि को दूर किया जा सकता है.
आगम - आगम करम वह नए करम है जो की हम भविष्य में करने वाले हैं. यह कर्म केवल ईश्वर की सहायता से ही संभव है. जैसे की भविष्य में होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास और उस समस्या के समाधान के लिए ईश्वर के द्वारा दिशा निर्देश. जैसे- जैसे हमारे पाप कर्मों का बोझ कम होता जाता है, उच्च शक्तियों की सहायता मिलने लगती है.
हम अपना भविष्य अपने विचारों, शब्दों और कर्मो के द्वारा बनाते है. कर्म दो प्रकार के होते है - शुभ और अशुभ. दूषित कर्म जीवन में दुःख लाते है . हमारे पूर्व जनम के कर्म मन को प्रभावित करते है . अगर हम नकारात्मक विचारों को, जो की मन को कमजोर बनाते है, ध्यान और उपायों के द्वारा दूर करें तो यही मन सकारात्मक विचारों की उर्जा से हमारे कर्मो को शुद्ध कर देता है जिससे एक नए भविष्य का निर्माण संभव हो जाता है . उपायों के द्वारा जब हम आपने पुराने कर्मो को संतुलित कर देते है तो मन के ऊपर से उनकी बाधा हट जाती है. भविष्य उसी तरह से परिवर्तित होता है जब चेतना अथवा मन परिवर्तित होता है . किसी भी समस्या से मुक्ति मिल सकती है आवश्यकता केवल निष्कपट रूप से सही दिशा में प्रयास करने की होती है.
भाग्य कैसे बदलता है -
हम जो भी मानसिक, शारीरिक अथवा वाचिक कर्म करते हैं, वह हमारे मानस पटल पर संस्कार बन कर अंकित हो जाते हैं. उदाहरण - यदि आम का बीज बोते हैं, तो हमें आम ही मिलते हैं. उससे हम अन्य फल नहीं पा सकते. किन्तु आम का बीज सही रूप से फल दे इसके लिए बाह्य परिस्थितियाँ भी उत्तरदायी होती हैं, जैसे की अच्छी ज़मीन, खाद और समय पर पानी. इस उदाहरण में बीज कारण हैं और बाकी चीज़ें ऐसे कारक जो की परिवर्तित किये जा सकते हैं . इससे यह तो सिद्ध हो गया की किसी भी कारण को फलीभूत होने के लिए उपयुक्त परिस्थितियाँ चाहिए होती हैं. अब हम यह मान लेते है की हमने अच्छा बीज, अच्छी ज़मीन में बोया और उसको समय समय पर खाद-पानी दिया किन्तु फिर भी फल के लिए हमें पौधे के वृक्ष बनने का और फल पाने के लिए ग्रीष्म ऋतु की प्रतीक्षा करनी पड़ती है. इसी तरह, जब हम सद्कर्म रुपी बीज बोते हैं या उपाय करते हैं, तो उसके फल के लिए हमें धैर्य रखना चाहिए और समय की प्रतीक्षा करनी चाहिए. इसी बात को अब हम बुरे कर्मों के लिए समझते हैं. अगर हमने पिछले जनम में कोई बुरा कर्म रुपी बीज बो रखा है, अगर हम उसे सही परिस्थितियाँ उपलब्ध न कराएं तो उसका फल हमें नहीं मिलेगा. यही भविष्य बदलने की कुंजी है.
कर्मों की प्रबलता और उपायों में लगने वाला समय -
कर्म फल की तीव्रता को 3 भागों में विभाजित किया गया है:
१- दृधा
२- दृधा - अदृधा
३- अदृधा
जो दृधा कर्म होते हैं उनको किसी भी उपाय से आसानी से नहीं बदला नहीं जा सकता और ऐसे कर्मो के फल बहुत हद तक भोगने ही पड़ते है . कुंडली में जब एक ही परिस्थिति के होने के लिए कई ग्रह उत्तरदायी हो तो वह कठिन दृधा कर्मों को बताते हैं. ऐसी परिस्थिति में परिवर्तन लाना बहुत कठिन होता है . यह परिस्थिति और भी विकट हो जाती है जब लगन , चन्द्र लगन और सूर्य लगन में भी वही परिस्थितियाँ घटित हो रही हो. यह कर्म केवल इश्वर और गुरु की कृपा से ही बदलना संभव है.
दृधा - अदृधा कर्म , कर्मों की एक मिश्रित परिस्थिति होती है जिसमे कर्मों को निष्प्रभावी को किया जा सकता है किन्तु अति कठोर प्रयासों की जरुरत होती है . इसमे समय भी अधिक लगता है और अदम्य इच्छा शक्ति की भी आवश्यकता होती है.ऐसे कर्मों के लिए कम से कम एक वर्ष की आवश्यकता होती है.
अदृधा कर्मों को ज्योतिषीय प्रयत्नों के साथ आसानी से परिवर्तित किये जा सकते है. अधिकांशतः ऐसे प्रयासों का फल ९० -१२० दिनों के भीतर मिल जाता है.
यह याद रखें की जो कर्म जितना अधिक प्रबल होगा उसको सही करने में समस्याए भी उतनी ही आती है. समय कठिन परीक्षा लेता है और कई बार ऐसी परिस्थितिया उत्पन्न होंगी कि उपाय करने का नियम भंग हो जाये.
भाग्य कौन बदल सकता है ?
अत्यंत गुणी ज्योतिष ही भविष्य का सही पूर्व कथन कर सकते हैं. समय को सही तरीके से सिर्फ ध्यान की उच्चतम स्थिति में ही देखा जा सकता है. हममें से अधिकाँश लोगों के मन भटकते रहने के कारण समय को सही तरीके से नहीं देख पाते है और न ही समझ पाते हैं. ध्यान की विचारशून्य स्थिति में ही भाग्य को बदला जा सकता है और नए भाग्य का निर्माण किया जा सकता है. गंभीर ध्यान की स्थिति में बीते हुए समय, वर्तमान समय और भविष्य, सब एक हो जाते हैं. अर्थात उन्हें अच्छी तरह से बिना बाधा के देखा जा सकता है. ज्योतिषी गणना तो प्रशिक्षण के द्वारा भी सीखी जा सकती है किन्तु भविष्य का सही ज्ञान सिर्फ ध्यान की स्थिति में ही संभव है.
भाग्य परिवर्तन के लिए नियम -
हमारी कुंडली में केवल ग्रह ही हैं जो बदलते रहते हैं और उनका प्रभाव हमारे जीवन पर बहुत अधिक पड़ता है. किन्तु यही ऐसे कारक हैं जिन तक पहुंचना और कुछ हद तक समझ पाना हमारे लिए संभव है. ग्रहों के केवल विनम्रता और प्रेम के साथ ही मनाया जा सकता है. इसका तात्पर्य यह है की हम जब भी उपाय करें अपने ज्ञान और सामर्थ्य के अहंकार को छोड़ कर पूर्ण श्रद्धा, विश्वास और समर्पण के साथ उपायों को करें. ज्योतिष उपायों के माध्यम से ही ग्रहों के उपायों द्वारा अपने कर्मों को बदला जा सकता है. ईमानदारी और नियमतता उपाय सफल होने के आवश्यक अंग हैं.
नए भविष्य निर्माण के लिए सबसे पहला कदम है अपनी कमियों को समझ कर उन्हें दूर करने का प्रयास करना. हम जो भी करें, उसके लिए हमें शांत, संयमित होना चाहिए. साथ ही अपने कर्मों का सजग रह कर विश्लेषण भी करना चाहिए. अगर हम कमियों को हमेशा सही ही साबित करेंगे तो हम कभी भी अपने जीवन में उन्नति नहीं कर पायेंगे और न ही भविष्य को संवार पायेंगे. हमारे पूर्व जन्म के बुरे कर्मों ने ही वर्तमान की विषम परिस्थितियों को पैदा किया होता है और हमारे अन्दर नकारात्मक कर्मों के लिए प्रवृत्ति भी पैदा की होती है. यदि हम उस प्रवृत्ति में बहते जायेंगे तो भविष्य और बिगड़ता ही जाएगा. अतः सबसे महत्त्वपूर्ण कदम है अपनी कमियों को समझना.
किसी भी कर्म के प्रभाव को निष्क्रिय करने के लिए वर्तमान में हमें उसी परिमाण, तीव्रता और गुणात्मकता के कर्म करने पड़ते है , तब कहीं एक साधारण परिवर्तन प्राप्त कर पाते है . यही कर्म का अटल सिद्धांत है . अतः यह हमेशा ध्यान रखें कि समस्या जितनी बड़ी होगी उसी के अनुसार मंत्र जाप , दान, रत्न , अनुष्ठान , और अन्य उपायों की जरुरत पड़ती है. यह समझना एक भूल होती है कि बड़ी बड़ी समस्याएँ केवल एक ही उपाय जैसे मन्त्र जाप या छोटे छोटे दान से शीघ्र संभव हो जाये. वह समस्या की तीव्रता को कुछ सीमा तक कम कर सकते है परन्तु परिस्थितियों में पूरी तरह बदलाव नहीं ला सकते. पूर्व जन्म के कर्मों को निष्फल करने के लिए बहुत सघन प्रयासों की ज़रूरत होती है. कई बार इसमें पूरा जन्म भी लग जाता है.
बहुत बार ऐसा होता है कि जीवन की दूर की घटनाओं को देखना संभव नहीं हो पाता है और बहुत कुशल ज्योतिषी भी भविष्य की घटनाओं को पढने में सक्षम नहीं हो पाते किन्तु इसका अर्थ यह नहीं होता की ज्योतिषी के ज्ञान में कमी है. कई बार प्रश्नकर्ता के पाप कर्मों का भार इतना अधिक होता है की वह अच्छे से अच्छे ज्ञानी के विवेक और अंतर्दृष्टि के आगे एक दीवार बना देता है जिससे की ग्रहों को समझ पाना और अन्य गणनाएं करना मुश्किल हो जाता है. ज्योतिषी अगर साधना के उच्च स्तर पर है, जो वह कुछ हद तक उस सीमा को पार कर समस्या का समाधान ढूंढने में सक्षम हो जाता है. इसका तात्पर्य यह है की प्रश्नकर्ता को यह भी समझना चाहिए की ज्योतिष को एक विज्ञान की तरह लें. उदाहरण के लिए चिकित्सा क्षेत्र में बहुत उन्नति होने के बाद भी कहीं न कहीं कुछ सीमा होती है और चिकित्सक को सारी जांच के परिणामों को अपनी बुद्धि के साथ रोग की पहचान करनी पड़ती है. उसी तरह ज्योतिष में भी ग्रहों की स्थिति और अन्य योगों के द्वारा समस्याओं का समाधान गुरु के मार्गदर्शन में गहन विद्या अध्ययन और आध्यात्मिक उन्नति के बाद ही संभव है .
What is the relation of fate and karma with astrology?
When I started "in the eyes of astrology, I did not think at all that I would have to discuss those aspects which everyone has an eye on but close their eyes for their own reasons. Life in this world is a wonderful thing in itself." Astrology is also a very big event in the discoveries made by human beings in the life cycle. Astrology is a serious and big subject, its expansion is very large and many directions. But in today's era, it has become a despised and joked subject. It has been given and there are many reasons for this in which astrology has no responsibility, but in some ways our knowledge, our behavior and our perception towards astrologers have a role. Today we are seeing the era of social media, people Knowledge and information is available for free from google click / internet click, type astrology, vedic astrology, then thousands of sites and blogs of astrology are available and astrologers too. My aim is to show your attention to our seriousness about astrology, How serious we are is reflected in our questions and also in our answers. It means we are also responsible. And one person asks his question to hundreds of astrologers and gets confused with hundreds of answers. While the truth is that many events can be changed, science has made many things possible, man has both intelligence and wisdom, you can get the answer further. I told in my previous article that now So scientists also believe that the radio activity of each planet is different, the wave is different. Jupiter, Venus, Mercury, Saturn The radio active elements of all the planets are different, they have their own different sound and their own atmosphere. Many well-known mathematicians and scientists believe that when any zodiac, constellation, planet or satellite travels, a special wave and sound is created in space. And each constellation, planet and satellite also produces its own special sound - the harmonization of all these sounds creates a harmony of a kind of music - this rhythm and radio active element creates an atmosphere that In the environment, at that moment when a person is born, it gets imprinted on his mind forever or say a picture, a photo gets clicked. It means that each person is born with a built-in personality in himself just like any seed. A photo with a negative image, which is yet to become positive. Today or tomorrow we can decode it, tools can be used in astrology like meteorology and I don't think that day is too far away. One is born with a built-in personality, just like any seed – which we call destiny and this long chain of destiny. A great example of what can be the potential of a seed can be understood from the story of Lord Mahavira and Goshalak, the story is a bit long but its essence is - the story is Mahavir and Goshalak are going on a path, Goshalak He stopped near a plant and asked Mahavir if this plant will flower or not, then Mahavir meditated and said - Hearing this, Goshalak uprooted the plant and both went ahead, it was a rainy day. After a few days, both of them were returning from the same path, then Mahavir suddenly stopped at the same place where Goshalak had uprooted the plant, stopped and said, look Goshalak, the flower has grown on the plant, due to rain, the plant took its roots again. Was. Goshalak was very surprised, the story goes even further, but the purpose of mentioning it here was also to tell that astrology is also a science of possibilities and the purpose of astrology is to see the built in personality, so astrology is an inextricable part of spirituality. Mahavir saw the built-in personality of that plant at that time and peeped into the door of its possibilities and saw its vitality and astrology is the science of seeing these possibilities. If we divide our existence into three parts, then we will understand the concept of luck. There will be ease in such as - soul, mind and body or it can be called three planes are spiritual plane, mental plane and physical plane. This built-in personality has three planes. Spiritual plane is that plane. Astrology was discovered, became a science. The mental plane is that state which can be changed by knowing or understanding it, if it is known, it can be changed, if it remains unknown, nothing can be done. This is the part in which astrology can be used the most and the third level is physical, which we get from our parents, it is biological, everything is coincidental, but you will be surprised to know that our physical plane is more connected with the mental plane. Much depends on our mind. Most of our questions related to astrology are from the physical plane, which can be changed easily. Mental plane is that plane about which if it is known earlier then changes can be made in them. There is a right on action but not on fruit, therefore man is also supremely independent and also supremely independent or say supremely independent within his limits. This can be understood from a short story - the story is a disciple asked his guru A man is free in doing the work that is dependent! So the guru said - come in front and stand up by raising one leg, the disciple said, we have asked whether man is independent or dependent, where did he come from to lift his feet in this! The guru said - do as you have said - raise your one leg, poor disciple one leg - raised your right leg and stood up. The guru said now raise your left leg too, the disciple was surprised, he said Gurudev, how are you also You are doing it, I will fall. Guru said to the disciple you could have raised the left leg earlier but you raised the right so now you cannot lift the left. Guru said that come to lift one leg. Dami is always free. But as soon as one leg is raised, the other leg is tied immediately. So we are completely free to raise our feet in the mental plane that is there. But keep in mind it has its limits. If one breathes, the earth is affected. If something happens to the sun, then the earth cannot escape its effects. If what is going to happen in the future, I will not be there. If it is connected between then he is able to understand astrology - then this astrology becomes religion and spirituality. We most need to work on the mental plane of the person because changing it can give very good results, for example a person He does many things for his living, makes many changes, but if he comes to know what his real talent is, then he can get the right direction, when passion becomes a profession, then man's life can be blissful. We have to understand and explain the essence-astrology and we have to avoid unnecessary things and also have to save this.
Luck, Karma and Astrology
How does luck happen?
Those actions of the past birth, the result of which whether it is happiness or sorrow, we experience in the present life, create destiny. The fate of every person is determined according to the karma of his previous birth and because of those karmas one is bound to behave in a particular way in the present birth. Happiness-sadness, wealth-poverty, anger, ego, etc., whatever qualities we get in life, all are predetermined. Astrology is not only the science of knowing events, it also tells us our past and future. Ordinary people cannot change fate, nor can fate be known easily. Because in order to change the results of karma, a sadhna astrologer and hardworking seeker need to make efforts with patience for a long time.
What is time and how is it made?
Time is the single greatest force which controls the entire universe. Time has a fixed speed. Different movement of planets brings different time in our life. For example, the rotation of the Earth on its axis creates day and night, the motion of the Moon around the Earth determines the month, and the revolution of the Earth at the center of the Sun determines the year. The movement of each moment of time has a special quality. Whenever there is some special time in our life, it is parallel to the waves of time of creation. For example, the time of marriage or starting a business in our life is also "full of energy" in the time cycle of space.
Home, We and Time -
The planets represent our actions. Their speed determines when the energy of which time is beneficial or harmful for us. Due to the definite nature of time, a skilled astrologer can identify its rhythm and analyze the events happening in the past, present and future.
A single planet shows its four forms. In their lowest form, they show their inauspicious nature / demonic tendencies. In their low form, they show their unstable and arbitrary nature. In his good form, he tells about the good tendencies of the mind, knowledge, intelligence and good interests. They display the divine qualities in their highest state, and in their highest state make the consciousness aware of the Absolute Truth. For example, the planet Mars simply represents the energy of red color. In his lowest state he makes a lot of trouble. In the following situation, it leads to unnecessary fights. This Mars in its right position provides such power that it makes even impossible possibilities of creation possible.
Through astrology, when we come to know the cause of problems through planets, then by removing their energy from negativity, we change it in a positive form through worship, charity, mantra, etc. Because energy never decays but its form can be changed.
This subtle change is very helpful in changing the fate. Planets not only cause bondage but also show the way to get rid of those problems.
Astrology, if used properly, establishes harmony in us and the world consciousness and gives the power to go beyond the physical limitations of the planets, which is essential for salvation.
Karma and Astrology -
Astrology tells the structure of our karma. It forms a link between our past, present and future. There are four types of Karma:
1- accumulated
2- destiny
3- action
4- Agama
Sanchit - Sanchit Karma is the accumulated form of the Karmas of all previous births. Whatever karma we have done knowingly or unknowingly in all our previous births, all of them get accumulated in our karmic account. Karma, like -2, matures, goes on, we experience it in every birth. Just like the fruits of any tree do not ripen together, but fruits ripen only on different days in the month of receipt.
Prarabdha - Prarabdha karma is that part of the sanchit karma which we are going to enjoy in the present birth. This is also called luck. All the accumulated karmas cannot be enjoyed at the same time. The karma that has matured. This time is known according to Dasha Antardasha.
Kriyaman - Kriyaman Karma is the action that we do in the present but its independence depends on the actions of our previous birth. Kriyaman Karma is the will power given by God, which helps in eliminating the ill effects of our many previous births. For example, in the present birth, it is believed that anger comes more. This tendency to anger has become due to the actions of many previous births. It is well known how many wrong things are done in anger. If one controls anger through meditation and other measures, then gradually through efforts, control of anger can be found and in future many bad karma and problems like tension in relationships etc. can be overcome.
Aagam- Aagam Karam is the new Karam which we are going to do in future. This work is possible only with the help of God. Such as the foreshadowing of future events and the direction given by God to solve that problem. As the burden of our sinful deeds gets reduced, the help of higher powers starts coming.
We make our future through our thoughts, words and deeds. Karma is of two types - good and bad. Bad deeds bring sorrow in life. The actions of our previous birth affect the mind. If we remove negative thoughts, which make the mind weak, through meditation and remedies, then this mind purifies our karma with the energy of positive thoughts, which makes it possible to create a new future. When we balance your old karmas by means of remedies, then their hindrances get removed from the mind.
Comments
Post a Comment